नप चुनाव परिणाम करेंगे विधायक के राजनैतिक भविष्य का फैसला, आप पार्टी की प्रत्याशी इंदू शर्मा को मिल रहा है राजनैतिक परिवार का लाभ ईश्वर धामु भिवानी। भिवानी नगर परिषद चुनाव में तीन राजनैतिक परिवार और भाजपा के विधायक की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। पूर्व मंत्री किरण चौधरी समर्थित प्रत्याशी मीनू अग्रवाल पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वर्गीय रामभजन अग्रवाल की पौत्रवधु है। रामभजन अग्रवाल के बेटे नंदकिशोर अग्रवाल अपने पिता की राजनैतिक विरासत को आगे तो नहीं बढ़ा पाये पर उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में अपने आप को स्थापित कर लिया। अब नंदकिशोर के उद्योगपति पुत्र नरेश अग्रवाल की धर्मपत्नि मीनू अग्रवाल नगर परिषद चेयरमैन पद के लिए चुनावी दंगल में है। मीनू अग्रवाल को पूर्वमंत्री किरण चौधरी का आशीर्वाद प्राप्त है। लेकिन अभी तक किरण चौधरी किसी भी चुनावी प्रचार अभियान में शामिल नहीं हुई है। किरण चौधरी की पूर्व सांसद बेटी एवं कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी ने दो बार मीनू अग्रवाल का चुनाव प्रचार अभियान चलाया है। मीनू अग्रवाल का राजनीति से कोई भी प्रत्यक्ष संबंध नहीं रहा है। यहां तक कि उसके राजनैतिक सलाहकार भी उसको भिवानी की भौगोलिक स्थिति से अवगत करवा रहे हैं। भिवानी का दूसरी राजनैतिक परिवार औमप्रकाश मान के बेटे हर्षवर्धन मान की धर्मपत्नी प्रीति मान चुनाव लड़ रही है। स्वर्गीय औमप्रकाश मान पहले कांग्रेस में रहे। उसके पश्चात वे भाजपा में शामिल हो गये। लेकिन उनका सीधे रूप से जुड़ाव जाट महासभा से था। जाट राजनीति करने के लिए उन्होंने कांग्रेस या भाजपा की राजनीति से कोई समझौता नहीं किया। उनकी एक पुत्रवधु सविता मान महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव है और जाट महासभी की महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष है। स्वर्गीय मान का एक भाई ईश्वर मान जेजेपी का प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी है। अब स्वर्गीय औमप्रकाश मान के छोटे बेटे हर्षवर्धन मान की धर्मपत्नी प्रीति मान नगर परिषद चेयरमैन पद के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही है। लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच अंजान चेहरा होना प्रीति मान के लिए चुनाव में बड़ी समस्या है। हरियाणा के मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे डाक्टर वासुदेश शर्मा की पुत्रवधु इंदू शर्मा आप पार्टी की प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है। डाक्टर वासुदेव शर्मा विधायक न रहते हुए भी भिवानी की राजनीति के केंद्र बिंदू रहे हैं। राजनीति के साथ-साथ वे बड़ा परिवार के बैनर तले सामाजिक सरोकार से भी जुड़े हुए हैं। इंदू शर्मा को आप पार्टी के प्रभाव के अलावा अपने ससुर की राजनीति का भी लाभ इस चुनाव में मिल रहा है। हालांकि डाक्टर वासुदेव शर्मा के बेटे राजनीति में नहीं हैं। फिर भी परिवार में राजनैतिक माहौल बना हुआ है। इंदू शर्मा के चुनाव को उस वक्त बल मिला जब समस्त भारतीय पार्टी का उनको समर्थन मिल गया। इतना ही नहीं इंदू शर्मा को पंजाबी महापंचायत ने भी अपना समर्थन दिया है। भिवानी से भाजपा विधायक घनश्याम सर्राफ के अति विश्वसनीय नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रहे भवानी प्रताप ङ्क्षसंह को वे चेयरमैन पद के लिए पार्टी की टिकट नहीं दिलवा पाए तो भवानी प्रताप सिंह ने विरोध स्वरूप अपनी धर्मपत्नि प्रीति भवानी सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतार दिया। अब भाजपा विधायक घनश्याम सर्राफ के लिए एक विचित्र स्थिति बन गई है। विधायक सर्राफ का परिवार खुले रूप में प्रीति भवानी सिंह के समर्थन में है। विधायक सर्राफ चुनाव प्रचार समाप्त होने को जा रहा है, इस बीच भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में दिखाई नहीं दिये। भाजपा चुनावी प्रचार अभियान से किनारा करने को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं गर्म हैं। कहा जा रहा है कि विधायक पर्दे के पीछे रह कर भवानी प्रताप की जम कर मदद कर रहा है। अब विधायक को यह डर सता रहा है कि अगर किन्हीं स्थितियों में प्रीति भवानी सिंह की हार हो जाती है तो भाजपा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकती है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि 2024 के चुनाव में भाजपा इनको विधानसभा की टिकट न दे? लेकिन अगर प्रीति भवानी सिंह चुनाव जीत जाती है तो इस निर्दलिय प्रत्याशी को भाजपा में शामिल करवा कर 2024 के चुनाव के लिए अपनी टिकट पक्की करवा लेंगे। लेकिन अभी तक प्रीति भवानी सिंह की जीत-हार पर संशय बना हुआ है तो विधायक के राजनैतिक भविष्य पर लगा प्रश्रचिंह हटा नहीं है। अभी तक भिवानी नगर परिषद चेयरमैन पद के चुनाव के लिए यही चार प्रत्याशी मुकाबले में चल रहे हैं। ये चुनाव परिणाम तीन राजनैतिक परिवार और भाजपा विधायक का भविष्य तय करेंगे। Post navigation क्यों अग्निवीर उठ खड़े है सरकार की अग्निपरीक्षा लेने को ? भिवानी बोर्ड का 10वीं का परिणाम जारी