बढती महंगाई में ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा बढाने की बजाय घटाना कैसे जायज व तर्कसंगत हो सकता है? जब केन्द्र सरकार ने ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा 8 लाख रूपये वार्षिक कर रखी है, तब हरियाणा सरकार द्वारा इस सीमा को 6 लाख रूपये वार्षिक करना कैसे वाजिब है ? विद्रोही

07 जून 2022 – पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक सुनवाई के दौरान हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार द्वार ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा को 8 लाख रूपये से घटाकर 6 लाख रूपये वार्षिक करने को जायज व तर्कसंगत बताने की स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कठोर आलोचना करते हुए कहा कि इस स्टैंड के बाद एकबार फिर साबित हो चुका है कि भाजपा खट्टर सरकार ओबीसी वर्ग की घोर मानसिक विरोधी है। विद्रोही ने खट्टर से सवाल किया कि बढती महंगाई में ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा बढाने की बजाय घटाना कैसे जायज व तर्कसंगत हो सकता है? जब केन्द्र सरकार ने ओबीसी क्रीमीलेयर सीमा 8 लाख रूपये वार्षिक कर रखी है, तब हरियाणा सरकार द्वारा इस सीमा को 6 लाख रूपये वार्षिक करना कैसे वाजिब है? प्रदेश में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए वार्षिक आय सीमा 8 लाख रूपये, वहीं ओबीबी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर सीमा 6 लाख वार्षिक करना जातिय भेदभाव का खुला प्रमाण नहीे तो क्या है? स्वर्ण जाति का ईब्डल्यूएस 8 लाख रूपये वार्षिक होने पर गरीब व ओबीसी वर्ग का व्यक्ति 6 लाख रूपये वार्षिक आय होने पर अमीर, यह कैसी नीति व सोच है? 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-संघ पिछड़े वर्ग के हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर इन वर्गो को गुमराह करके अपना समर्थक बनाकर उनकी वोट हडपकर सत्ता पाते है और सत्ता पाते ही ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ कैसे न मिले, इसके लिए सत्ता दुरूपयोग से षडयंत्र रचते है। विद्रोही ने कहा कि पर्दे के पीछे प्रदेश व देश में ओबीेसी आरक्षण को खत्म करने या कम करने का षडयंत्र करने वाले भाजपाई-संघी ही पिछडे वर्ग के हितैषी है तो उनका दुश्मन कौन है?

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