वर्ष 2018, 2019, 2020 व 2021 के विगत चार सालों में नष्ट फसलों का मुआवजा न मिलने पर रेवाडी में किसान विगत चार दिनों से अनिश्चितकाल धरने पर बैठे हैं।
आंदोलनरत किसानों का आरोप है कि बीमा कम्पनियों ने विगत चार वर्षो से बीमा प्रीमियम के बावजूद भी लगभग 13 हजार किसानों को नष्ट फसलों का 1400 करोड़ रूपये का मुआवजा नही दिया है

05 जून 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार व बीमा कम्पनियों की आपसी सांठगांठ से किसानों से फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम तो हडप लिया जाता है, लेकिन जब नष्ट फसलों का मुआवजा देने की बात आती है तब बीमा कम्पनिया कुछ न कुछ तकनीकी बहाना बनाकर मुआवजा देने से भाग जाती है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार बीमा कम्पनियों पर दबाव डालकर व कानूनी कार्रवाई करके प्रभावित किसानों को उनकी फसलों का मुआवजा दिलवाने की बजाय अप्रत्यक्ष रूप से लुटेरी बीमा कम्पनियों को ही सरंक्षण देती है। वर्ष 2018, 2019, 2020 व 2021 के विगत चार सालों में नष्ट फसलों का मुआवजा न मिलने पर रेवाडी में किसान विगत चार दिनों से अनिश्चितकाल धरने पर बैठे हैं। आंदोलनरत किसानों का आरोप है कि बीमा कम्पनियों ने विगत चार वर्षो से बीमा प्रीमियम के बावजूद भी लगभग 13 हजार किसानों को नष्ट फसलों का 1400 करोड़ रूपये का मुआवजा नही दिया है और भाजपा खट्टर सरकार किसानों का साथ देने की बजाय बीमा कम्पनियों की इस लूट को ही सरंक्षण दे रही है।

विद्रोही ने कहा कि यह समस्या केवल रेवाडी जिले के किसानों की नही है, अपितु पूरे हरियाणा में यही हो रहा है। सहकारी बैंकों व पैक्सों के माध्यम से किसानों से उनकी फसलों का प्रीमियम तो चुपचाप ऋण से काटकर बीमा कम्पनियों के खाते में डाल दिया जाता है, पर जब किसान को नष्ट फसलों का मुआवजा देने का वक्त आता है तब बीमा कम्पनियां व भाजपा सरकार आपसी सांठगांठ से किसानों को मुआवजे से वंचित कर देती है। विगत छह वर्षो से बीमा कम्पनिया व भाजपा सरकार किसानों को लूट रही है और किसान इस पर आवाज उठाते है तो उनकी कहीं भी सुनवाई नही हो रही। 

विद्रोही ने कहा कि नष्ट फसलों का मुआवजा देन की जिम्मेदारी जब से निजीे पूंजीपतियों द्वारा संचालित बीमा कम्पनियों को मोदी सरकार ने सौंपी है तभीे से किसानों को समुचित मुआवजा विगत 6-7 साल से नही मिल रहा है। बीमा कम्पनियां बैंकों के माध्यम से किसानों से फसलों का बीमा प्रीमियम तो वसूल लेती, पर जब मुआवजा देने की बात आती है तो किसानों को ठेंगा दिखा दिया जाता है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि विगत पांच साल से ही बीमा कम्पनियोंं ने जितना धन फसल बीमा प्रीमियम के जरिये किसानों से ऐंठा है, उसके अनुपात में नामामत्र का मुआवजा किसानों को दिया है और लगभग 50 हजार करोड़ रूपये का मुनाफा कमाकर बीमा कम्पनियां बिना कुछ किये किसानों के हक का पैसा हजम कर चुकी है। 

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