भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक,

गुरुग्राम। आज भाजपा और जजपा ने निकाय चुनाव साथ लडऩे का फैसला लिया है। इससे भाजपा की छवि को धक्का तो लगेगा, क्योंकि चंद रोज पहले ही प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा की थी। जिस मीटिंग के बाद यह घोषणा की गई थी, तो उस मीटिंग में मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे लेकिन घोषणा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा की गई थी, जबकि हमारे मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी हर मीटिंग के बाद पत्रकारों से बात अवश्य करते हैं लेकिन उस समय से अब तक उनका इस विषय पर वक्तव्य नहीं आया है।

पिछले दिनों में राजनैतिक परिस्थितियों का चक्र तेजी से घूम रहा है। राज्यसभा चुनाव में अचानक जजपा ने अपनी ओर से कार्तिकेय वशिष्ठ को हरियाणा राज्यसभा चुनाव के लिए उतार दिया। अब कार्तिकेय की जीत-हार भी जजपा के साथ-साथ भाजपा के सम्मान का प्रश्न भी बन गई है और संभव है कि राज्यसभा चुनाव के चलते ही निकाय चुनाव साथ लडऩे का फैसला लिया गया हो। स्मरणीय है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जजपा की ओर से अजय चौटाला सदा यही कहते रहे थे कि हम निकाय चुनाव साथ लड़ेंगे।

जब प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने चुनाव अकेले लडऩे का निर्णय सुनाया था तब उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के विचार जानकर यह फैसला लिया है। तो अब बड़ा प्रश्न यह है कि जिन भाजपाईयों के विचार जानकर मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष एवं अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में यह फैसला लिया गया था अब उनके दिलों में क्या विचार आएंगे? क्या वह इस फैसले को पचा पाएंगे? या फिर कहेंगे कि बनाके क्यूं बिगाड़ा रे नसीबा ऊपर वाले।