अप्रैल, 2016 से लागू कानूनी संशोधन में नगर निकायों के प्रति देनदारी को उल्लेख ही नहीं – एडवोकेट हेमंत

चंडीगढ़ — बुधवार 1 जून 2022 को हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव कार्यालय की पोलिटिकल ब्रांच द्वारा एक सर्कुलर पत्र जारी कर राज्य सरकार के सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, सरकारी बोर्ड/निगमों के प्रबंध निदेशकों/मुख्य प्रशासकों, प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों और उपायुक्तों को कहा गया है कि वह हरियाणा की 46 नगर निकायों ( 18 नगर परिषदों और 28 नगर पालिकाओं) के आम चुनावों में भावी उम्मीदवारों द्वारा नामांकन फार्म के साथ जो विभिन्न सरकारी विभागों/ संगठनों से एन. डी. सी.( नो ड्यू सर्टिफिकेट) संलग्न करना होता है, उसे प्राप्त करने में उम्मीदवारों को कोई परेशानी न आए, इसके लिए जिलों में चुनावों के रिटर्निंग अधिकारियों के साथ परामर्श कर “सिंगल विंडो” स्थापित की जाए. बीती 31 मई को ही इस विषय पर हरियाणा राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह ने मुख्य सचिव संजीव कौशल को पत्र लिखा था.

उपरोक्त 46 नगर निकायों के लिए गत 30 मई से आगामी 4 जून तक इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल किये जा सकते हैं. उम्मीदवारों के नामांकन फार्म के साथ उनकी संबंधित नगर पालिका/परिषद से, प्राथमिक कृषि कोआपरेटिव सोसाइटी से, जिला केन्द्रीय कोआपरेटिव बैंक, जिला प्राथमिक कृषि ग्रामीण विकास बैंक और उत्तरी/हरियाणा हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड से एनडीसी लेना अनिवार्य है जिसमें यह सत्यापित होना चाहिए कि नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले अमुक उम्मीदवार की उक्त संस्थानों के प्रति किसी प्रकार की कोई देनदारी / धनराशि देय नहीं है.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा नगर पालिका (संशोधन ) कानून, 2016 , जो 21 अप्रैल 2016 से लागू हुआ था, द्वारा हरियाणा नगर पालिका कानून, 1973 की धारा 13 ए में संशोधन किया गया था जिसके फलस्वरूप नगर पालिका/परिषद का चुनाव लड़ने वाले हर भावी उम्मीदवार के लिए न्यूनतम मेट्रिक (दसवीं ) पास होना आवश्यक है. हालांकि अनुसूचित जाति (एस.सी. ) वर्ग के पुरुष और हर वर्ग की महिला के लिए चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आठवीं पास होना आवश्यक है. इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग कि महिला उम्मीदवार के लिए पांचवी पास होना जरूरी है.

हालांकि वर्ष 2019 में उसमें और संशोधन कर उल्लेख कर दिया गया था कि अनुसूचित जाति महिला अगर नगर निकाय अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे हालांकि आठवीं पास होना आवश्यक होगा.

इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा किसी क्रिमिनल केस में दस वर्ष की जेल की सजा हो चुकी हो अथवा उसके विरूद्ध ऐसे किसी आपराधिक मामले में चार्जे फ्रेम (आरोप तय ) किये गए हैं जिसमें उसे दोषी साबित होने पर कम से कम दस वर्ष का कारावास ( जेल) हो सकता है, वह भी नगर निकाय अध्यक्ष या वार्ड सदस्य (पार्षद) दोनों का चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य होगा.

इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति का प्राथमिक कृषि कोपरेटिव सोसाइटी, जिला केंद्रीय कोआपरेटिव बैंक या जिला प्राथमिक कोआपरेटिव कृषि ग्रामीण विकास बैंक और प्रदेश की दोनों बिजली वितरण निगमों के प्रति बिल-भुगतान या किसी अन्य प्रकार की देनदारी हो या उसने किसी लंबित धनराशि का भुगतान न किया हो, तो वह व्यक्ति भी नगर निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है. इसके अतिरिक्त अगर भावी उम्मीदवार यह स्व घोषणा करने में असफल रहा कि उसके घर/निवासी स्थान पर कार्यशील टॉयलेट (शौचालय ) है, तब भी उसे उक्त चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा.

हेमंत ने बताया कि चूंकि हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 13 ए में वर्ष 2016 में प्रदेश विधानसभा द्वारा किए गए उपरोक्त कानूनी संशोधन में संबंधित नगर पालिका/परिषदों के प्रति देनदारी ( प्रापर्टी टैक्स, सीवरेज टैक्स आदि) का उल्लेख/प्रावधान ही नहीं किया गया था, इसलिए कानूनन नगर निकाय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों से इस संबंध में उनकी संबंधित नगर निकाय अर्थात नगर पालिका या नगर परिषद से एनडीसी प्राप्त करने को नहीं कहा जा सकता है.

हेमंत ने हरियाणा राज्य निर्वाचन आयुक्त से इस संबंध में तत्काल संज्ञान लेकर उपयुक्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

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