योगी ने गुरुजनों को समर्पित की सफलता हांसी । मनमोहन शर्मा भारत दुनिया की सबसे पुरानी और जीवित संस्कृति व सभ्यता है। इसकी जड़ें अत्यंत गहरी हैं और इन जड़ों के रूप में यहां के सिद्धांत हैं जो इसको अभी तक जीवित रखें हुए हैं। इस संस्कृति के मूल में है गुरु-शिष्य परंपरा औऱ सिद्धान्त है आवश्यकता आविष्कार की जननी है।जिसने इसको समय के अनुसार परिवर्तन के साथ खड़ा रखा है। यहां की पीढ़ियों ने, समय की मांग व आवश्यकता के अनुसार ढल जाने की विशेषता और इस सिद्धांत की परम्परा से प्रवाहमान रहने की यहां की संस्कृति व सभ्यता को आज तक जिंदा रखा हुआ है। इसी को ही कृतार्थ करने में लगे हुए हैं जानकारी देते हुए वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि हिसार के ढाणा कलां के योगी विकास, जो योग, आयुर्वेद व भारतीय संस्कृति में अपना यथासंभव योगदान दे रहे हैं। पारम्परिक को प्रवाहमान रखना हो या उसको संशोधित करके वर्तमान स्वरूप में लेकर आना हो। उन्होंने स्वामी रामदेव जी के सानिध्य और अपने गुरुजनों के सहयोग से इसी कड़ी में आज गुरु-शिष्य परंपरा व आवश्यकता आविष्कार की जननी को कृतार्थ करते हुए समय व समाज की मांग के अनुसार उच्च शिक्षा यूजीसी नेट व आयुष मंत्रालय के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक “योग: द योगा साइंस” का लेखन किया और गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करते हुए आज योगऋषि स्वामी रामदेव जी के कर कमलों द्वारा इस पुस्तक के दूसरे संस्करण का विमोचन भी हुआ। स्वामी रामदेव के साथ भारत सरकार में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में इस योग पुस्तक का विमोचन किया और योगी विकास को इस पुस्तक की सफलता के लिए आशिर्वाद प्रदान किया। योगी ने इस पुस्तक को अपने गुरुजनों को समर्पित किया। योगी ने स्वामी रामदेव जी, मंत्री आठवले जी, योगपीठ के केंद्रीय प्रभारी राकेश मित्तल, आचार्य तीर्थदेव, आचार्य चंदन, हरियाणा के पतंजलि प्रभारी ईश आर्य व पूरे पतंजलि परिवार व गुरुजनों का आभार प्रकट किया। Post navigation रिपोर्टिंग करते समय रखें समाज व देशहित का ध्यान : छाबड़ा सिंचाई विभाग में कार्यकारी अभियन्ता ऑफिस में जमकर भ्रष्टाचार के खिलाफ दूसरे दिन धरना प्रर्दशन : पूनिया