–कारगिल युद्ध के नायक व परमवीर चक्र विजेता ने  संभाली अहीर रेजिमेंट आंदोलन की कमान 
–सर्वसम्मति से बने संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

मानेसर। अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर गुरुग्राम के खेड़की दौला में जारी संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के आंदोलन की कमान अब कारगिल युद्ध के नायक व वीरता के सर्वोच्च सम्मान से सुशोभित परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव संभालेंगे। शनिवार को गुरुग्राम के खेड़की दौला में संपन्न हुई मोर्चा की बैठक में सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया की अब आगे की लड़ाई योगेंद्र यादव के नेतृत्व में लड़ी जाएगी।

बैठक उपरांत इस बारे में जानकारी देते हुए मोर्चा की कोर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि मोर्चा की बैठक में सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया है कि आंदोलन को पूरे देश में आगे बढ़ाने के एक ऐसे व्यक्तित्व की जरुरत है जिसे आंदोलन का राष्ट्रीय चेहरा बनाकर प्रस्तुत किया जा सके और जिसकी पूरे देश के यादव समाज में स्वीकार्यता हो। इसके लिए परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव से उपयुक्त कोई और हो ही नहीं सकता। वो यादव समाज के साथ- साथ पूरे देश के गौरव है। इसलिए मोर्चा ने आगे की लड़ाई योगेंद्र यादव के नेतृत्व में लड़ने का निर्णय लिया है।

–सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन ही मेरा एकमात्र लक्ष्य
संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत होने पर प्रतिक्रिया देते हुए परमवीर योगेंद्र यादव ने कहा कि भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन उनका एकमात्र लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि वर्षो से यादव समाज देश के लिए कुर्बानी देते आया है। आज अगर समाज सम्मान के तौर पर कंधे पर अपना नाम मांग रहा है तो सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। बल्कि इससे तो समाज का हौसला और भी बढेगा। योगेंद्र यादव ने कहा कि मोर्चा ने उन्हें जो सामाजिक जिम्मेदारी सौंपी है वे इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएंगे।

मात्र 19 वर्ष की आयु में मिला वीरता का सर्वोच्च सम्मान “परमवीर चक्र”
सन1980 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जन्मे व भारतीय सेना की 18 ग्रेनाडिएर्श यूनिट में हॉनरी कैप्टन 42 वर्षीय योगेंद्र यादव ने वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मात्र 19 साल की आयु में अदभुत शौर्य व वीरता का परिचय देते हुए शरीर पर 15 गोलियां लगने के बाद भी टाइगर हिल पर भारतीय तिरंगा फहराकर देश के करोड़ो लोगों का मस्तक गर्व से ऊंचा किया था, जिसके लिए भारतीय सेना ने उन्हें  वीरता के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया था। वे सबसे कम उम्र (19 साल) में परमवीर चक्र पाने वाले भारतीय है।

error: Content is protected !!