मुख्यमंत्री मनोहर लाल-भ्रष्टाचार का काल रख रहे निगाह निगम पर निकाय मंत्री ने भी जांच की निगम की, देखना है मुख्यमंत्री से ऊपर दे सकेंगे फैसला केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जब आन-बान-शान से निगम गठन का दावा करते हैं तो आन-बान-शान से निगम में भ्रष्टाचार के अंत का भी करें दावा भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आज स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता भी आए थे और उन्होंने पार्षदों, निगम अधिकारियों, भाजपा जिला अध्यक्ष आदि से मुलाकात की जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का विवाद सुलझाने के लिए। स्मरण रहे कि कल भ्रष्टाचार के काल-मनोहर लाल भी आए थे और वह निगम मेयर के आवास पर पार्षदों से मिले भी थे। पार्षदों ने उन्हें अधिकारियों की शिकायत भी की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि पार्षद और अधिकारी एक गाड़ी के दो पहिये हैं, इनमें तालमेल आवश्यक है। अत: तालमेल बनाकर रखिए। एक तरफ तो वह कहते हैं कि भ्रष्टाचार का काल-मनोहर लाल और दूसरी तरफ अधिकारियों और पार्षदों को राय देते हैं कि तालमेल बनाकर रखिए। आपको याद दिला दें कि गुरुग्राम में निगम की सामान्य बैठक में एक अधिकारी को एक पार्षद ने अशोभनीय शब्द कहे थे और अभी मंगलवार को उसी पार्षद ने निगम कार्यालय पर निगम के मुख्य अभियंता ठाकुल लाल के अनुसार कुर्सी से हमला किया और उन्हें धमकी दी। उसमें ठेकेदारों की एक संस्था का अध्यक्ष भी शामिल बताया।इस घटना के पश्चात ठेकेदार, अधिकारी और पार्षद तीनों की अलग-अलग बैठकें हुईं। पार्षद ब्रहम यादव का कहना यह है कि चीफ इंजीनियर फाइलों पर बार-बार ऑब्जैक्शन लगा देते हैं, जबकि कुछ पार्षदों का ही कहना है कि बंदरबांट का खेल है। जहां कभी दिक्कत आती है तो दुख होना स्वाभाविक है। पार्षदों में भी भिन्न-भिन्न विचार निकलकर सामने आ रहे हैं। कुछ पार्षदों का कहना है कि चाहे कितनी ही नाइंसाफी हो रही थी, उसकी शिकायत उच्च अधिकारियों, विधायक और मंत्रियों से की जा सकती थी। अपशब्द बोलना और वह भी जनप्रतिनिधि का किसी भी रूप में उचित नहीं माना जा सकता। अब बात करते हैं तबकि जब मेयर टीम बनी थी। उस समय बड़े जोर-शोर से कहा गया था कि राव इंद्रजीत की ओर से कि हमारी आन-बान-शान का सवाल है और राव इंद्रजीत ने ही अपने मुताबिक मेयर टीम का गठन किया। हालांकि उसके पीछे मुसंबी बांटें जाने की चर्चाएं बहुत आम हुई थीं। उस समय भाजपा और राव इंद्रजीत गुट के पार्षद अलग बंटें दिखाई दे रहे थे और पार्षद ब्रहम यादव उस समय राव इंद्रजीत की टीम में नहीं थे। अत: यह भी पार्षदों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मेयर से जब यह पूछा गया कि आपकी राव साहब से इस बारे में क्या बात हुई या राव साहब का इस बारे में क्या कहना है तो उनका उत्तर था कि राव साहब आउट ऑफ स्टेशन हैं। अभी हमारी उनसे कोई बात हुई नहीं है। राव साहब के समर्थक पार्षदों में भी इस बात का असंतोष है कि जब हम राव साहब की कृपा से ही अब तक कार्य कर रहे थे तो सर्वप्रथम यह सूचना राव साहब को पहुंचाई जानी थी। आज के इस साइबर युग में यह बात तो हास्यास्पद लगती है कि उनके बाहर होने के कारण हमारी बात हुई नहीं। राव इंद्रजीत सिंह के कार्यालय से प्राप्त सूत्रों के अनुसार राव साहब इस प्रकरण से प्रसन्न नहीं हैं। राव साहब का कहना है कि मैंने ताउम्र कभी भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं किया और न ही कभी स्वाभिमान से समझौता किया, अमर्यादित भाषा का न कभी प्रयोग किया और न ही समर्थन किया तो अनुमान लगाया जा सकता है कि राव साहब का रूख इस ओर क्या होगा? अब मुख्यमंत्री का कहना जनप्रतिनिधि और अधिकारी गाड़ी के दो पहिये हैं, मिलकर चलना चाहिए। निकाय मंत्री भी आज कोई ऐसी बात नहीं कह गए, जिससे अनुमान लगे कि भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही होगी। कल इस बारे में कुछ और…। Post navigation छात्रों ने अपनी रचनात्मक सोच के आधार पर नए स्टार्टअप के लिए प्रस्तुत की अपनी व्यापार योजना पंजाबी बिरादरी महा संगठन की एक नई पहल – सभी जाति के लोगों को हरद्वार की तीर्थ यात्रा