इस वर्ष केन्द्र सरकार ने 444 मीट्रिक टन गेंहू खरीदने का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में घटाकर 195 मीट्रिक टन कर दिया गया। विद्रोही
भारतीय खाद्य निगम के अनुसार सरकार केवल 178 मीट्रिक टन गेंहू ही खरीद पाई। विद्रोही
सरकारी गोदामों में इतना गेंहू नही रहेगा कि सरकारी योजनाओं की पूर्ति व बाजार में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के पास पर्याप्त गेंहू बच सके। विद्रोही

19 मई 2022 – मंगलवार को स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में मांग की कि देश के अन्न भंडार भरने व लोगों को भूख से बचाने और सरकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त गेंहू उपलब्ध हो, इसके लिए मोदी सरकार गेंंहू एमएसपी खरीद पर किसानों को 500 रूपये प्रति क्विंटल का बोनस दे। विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार ने गेंहू के निर्यात पर यह कहकर रोक लगा दी कि देश में गेंहू की कमी न हो और सरकार पर्याप्त मात्रा में गेंहू खरीद सके। इस वर्ष केन्द्र सरकार ने 444 मीट्रिक टन गेंहू खरीदने का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में घटाकर 195 मीट्रिक टन कर दिया गया। लेकिन एमएसपी पर सरकारी खरीद बंद होने तक यह लक्ष्य भी पूरा नही हुआ और भारतीय खाद्य निगम अनुसार सरकार केवल 178 मीट्रिक टन गेंहू ही खरीद पाई। गेंहू की पर्याप्त मात्रा में खरीद न होने पर हरियाणा में एमएसपी सरकरी खरीद दोबारा शुरू करके 31 मई तक गेंहू खरीदने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह अन्य राज्यों में भी गेंहू की सरकारी खरीद तारीखे बढ़ा दी गई है।

विद्रोही ने कहा कि सरकारी गोदामों में सबसे ज्यादा गेंहू पंजाब व हरियाणा से मिलता है। हरियाणा में गेंहू की सरकारी खरीद की तारीख तो 31 मई तक बढ़ा दी गई है, पर मुझे नही लगता कि किसान वर्तमान एमएसपी पर अपना गेंहू सरकार को बेचेगा। यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते विश्व बाजार में गेंहू की मांग बढने से किसानों को देश में निजी अनाज व्यापारियों से एमएसपी से ज्यादा भाव मिल रहा है। इस कारण किसान एमएसपी पर सरकारी खरीद केन्द्रों में गेंहू नही बेच रहा। सरकार ने बेशक गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी है, पर भविष्य में गेंहू की बढ़ती मांग के मध्यनजर किसान अपना गेंहू सरकार को बेचने की बजाय अपने घर पर रखकर भाव बढने का इंतजार करेगा। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि सरकारी गोदामों के लिए यदि मोदी सरकार को पर्याप्त गेंहू खरीद करनी है तो बिना किन्तु-परन्तु गेंहू पर प्रति क्विंटल 500 रूपये का बोनस किसानों को दे। यदि सरकार ने इस जमीनी धरातल की वास्तविकता को नही समझा तो सरकारी गोदामों में इतना गेंहू नही रहेगा कि सरकारी योजनाओं की पूर्ति व बाजार में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के पास पर्याप्त गेंहू बच सके। विद्रोही ने आशा प्रकट की कि जमीनीे वास्तविकता को समझकर मोदी सरकार प्रति क्विंटल 500 रूपये का बोनस गेंंहू पर किसानों देने का तत्काल फैसला करेगी।  

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