केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह से आग्रह किया कि वे अपना आत्मविश्लेषण करे कि एम्स निर्माण संदर्भ में उन्होंने जब-जब मुख्यमंत्री व हरियाणा सरकार के उच्च स्तरीय प्रशासन से कोई वार्ता करके निर्माण दिशा में कोई भी घोषणा की है, क्या विगत सात सालों में आज तक पूरी हुई और पूरी नही हुई तो क्यों नही हुई?

15 मई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मनेठी-माजरा एम्स पर हुई भाजपा सरकार की कथित उच्च स्तरीय बैठक, केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह व रेवाडी जिला प्रशासन का यह दावा भी जुमला निकाला कि विगत सप्ताह में माजरा के किसानों की जमीन की रजिस्ट्रीया एम्स के नाम से शुरू कर दी जायेगी। विद्रोही ने कहा कि एम्स के नाम पर किसानों की जमीन की रजिस्ट्रीया शुरू करने का सरकार व प्रशासन का दावा भी एक जुमला निकला और वहीं हुआ पूरा सप्ताह बीत गया, रजिस्ट्रीया तो शुरू नही हुई, ऊपर से सरकार का एक ओर फरमान आ गया कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के लिए 50 एकड़ अतिरिक्त जमीने और चाहिए। इससे पहले एफसीआर एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का नक्शा यह कहकर रद्द कर दिया कि चारदिवारी टेढी-मेढ़ी है जिसे सीधा करने के लिए जहां पैच है, उन किसानों से भी जमीन ली जाये। सवाल उठता है कि भाजपा सरकार व प्रशासन माजरा के किसानों से तय सहमति के अनुसार जमीन लेने के लिए रजिस्ट्रीया शुरू करने की तारीख घोषित करने के बाद बार-बार यूटर्न लेकर लये पेंचे क्यों फंसाये जा रहे है? 

विद्रोही ने कहा कि सरकार के रवैये से साफ है कि उसकी नीयत मनेठी-माजरा में एम्स निर्माण करने की कम, मामले को लम्बा खींचकर लोगों को मूर्ख बनाने में ज्यादा है। यदि सरकार की नीयत साफ होती तो सरकार दावे करने की बजाये एम्स निर्माण के प्रति स्पष्ट रोडमैप बनाती। पर सरकार के पास कोई रोडमैप है ही नही तभी तो बार-बार नई तकनीकी समस्याएं फंसा दी जाती है। जब सरकार खुद ही तकनीकी पेंच फंसाकर एम्स निर्माण को रोकेगी तो वह निर्माण होगा कैसे? वहीं यह भीे उल्लेखनीय है कि जब-जब अहीरवाल के लोग एम्स निर्माण में हो रही देरी का सवाल उठात है तो लोगों को आंदोलन करने से रोकने के लिए सरकार एम्स जमीन रजिस्ट्रीया शुरू करने की एक नई तारीख मीडिया में उछाल देती है, पर वह तारीख कभी आई नही। 

विद्रोही ने केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह से भी आग्रह किया कि वे अपना आत्मविश्लेषण करे कि एम्स निर्माण संदर्भ में उन्होंने जब-जब मुख्यमंत्री व हरियाणा सरकार के उच्च स्तरीय प्रशासन से कोई वार्ता करके निर्माण दिशा में कोई भी घोषणा की है, क्या विगत सात सालों में आज तक पूरी हुई और पूरी नही हुई तो क्यों नही हुई? मनेठी-माजरा एम्स को फुटबाल समझकर मनमानी किक क्यों मारी जा रही है? एम्स के नाम पर भावनात्मक रूप से ठगा क्यों जा रहा है? एम्स निर्माण करने की बजाये औच्छी व गंदी राजनीति क्यों की जा रही है और राव साहब सबकुछ जानते हुए भी कठोर कदम उठाने की बजाय कुर्सी से क्यों चिपके हुए है?

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