5 से 8 साल के छोटे-छोटे बच्चे सडकों पर मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, हरियाणा सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा रहे ! विद्रोही 14 मई 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से आग्रह किया कि वेे सत्ता दुरूपयोग से इतिहास की स्कूली पुस्तकों का पाठयक्रम बदलकर संघी हिन्दुत्व विचारधारा को महिमंडित करने व विश्वविद्यालयों की ग्रांट को रोककर ऋण देने की योजना लागू करके उनका निजीकरण और व्यवसायिकरण करने के कुप्रयासों को छोडकर प्रदेश में शिक्षा आधारभूत ढांचा मजबूत करके सभी छात्र-छात्राओं को स्कूली, कालेज व उच्च स्तर की शिक्षा सुलभ, सस्ती व गुणवत्तापूर्वक मिले, इसकी ओर गंभीरता से काम करे। विद्रोही ने कहा कि यह कितनी शर्मनाक बात है कि आज हरियाणा में शिक्षा अधिकार नियम 134ए के तहते छोटेे-छोटे बच्चे स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए अपने अभिभावकों के साथ इस भयंकर गर्मी में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर धरना-प्रदर्शन देने को मजबूर है। 5 से 8 साल के छोटे-छोटे बच्चे जो अत्यंत कोमल है और जिन्हे स्कूल में शिक्षा लेनी चाहिए वे धारा 134ए के तहत प्रवेश न मिलने के कारण सडकों पर मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, हरियाणा भाजपा सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाकर धरना-प्रदर्शन कर रहे है। हरियाणा के 55 सालों के राजनीतिक इतिहास में ऐसा किसी ने नही देखा जब 5 से 8 साल के बच्चे स्कूलों में प्रवेश पाने के अपने संवैद्यानिक अधिकार को पाने सत्ताधारी नेताओं के नाम लेकर ना केवल मुर्दाबाद के नारे लगा रहे है अपितु सार्वजनिक स्थानों पर उनकेे पुतले भी फूंक रहे है। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार युवाओं की प्रतिभा को विकसित करने उन्हे सरकारी खर्च पर उच्च शिक्षा दिलवाती है। लेकिन हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार तो तिकडमी चालों से प्रदेश में सभी दस सरकारी विश्वविद्यालयों का आगे चलकर निजीकरण व व्यवसीयकरण करने का षडयंत्र रच रही है जिसके चलते इन विश्वविद्यालयों को मिलने वाली सरकारी ग्रांट को ऋण में बदलने का कुप्रयास किया लेकिन कांग्रेस के जोरदार विरोध के चलते सरकार अपने कदम से पीछे हट गई और ऋण के रूप में स्वीकृत गए 147.75 करोड़ रूपये को फिर से अनुदान में देने को मजबूर हो गई। पर इस बात की क्या गारंटी है कि भाजपा सरकारे आगे चलकर फिर से ऐसे षडयंत्र को आगे नही बढ़ाएगी? विद्रोही ने कहा कि इसी तरह प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 40 हजार से ज्यादा अध्यापकों के पद खाली पडे है। कालेजों में 55 प्रतिशत से ज्यादा प्राध्यापक नही है। विश्वविद्यालयां में छात्रों की आवश्यकता अनुसार आधे से भी ज्यादा से शिक्षक स्टाफ नही है। सरकारी मेडिकल, इंजीनियरिंग व तकनीकीे संस्थानों में न तो पर्याप्त अध्यापक है और न ही स्टाफ और न ही पर्याप्त आधारभूत ढांचा है। भाजपा सरकार शिक्षा का तो संघीकरण करने का कुप्रयास कर रही है, लेकिन शिक्षा का आधारभूत ढांचा मजबूत करके छात्रों को बेहतर शिक्षा देने का कोई गंभीर प्रयास नही कर रही। Post navigation प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काम करने की राजनीति शुरू की- गृह मंत्री ग्रीन रिवोल्यूशन के बाद एवरग्रीन रिवोल्यूशन लाना चाहती है कांग्रेस – हुड्डा