जब किसी अधिकारी की एम्स निर्माण औपचारिताएं पूरी करने की कोई निश्चित जवाबदेही ही नही है तो औपचारिकताएं समय पर पूरी कैसे होगी? विद्रोही
दो-तीन बाद पता चल जायेगा कि किसानों से एम्स के लिए ली जाने वाली जमीन की रजिस्ट्रीया होती है या पूर्व की तरह ही यह भी घोषणा मात्र बन कर जायेगी: विद्रोही

7 मई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि जब-जब अहीरवाल के लोग मनेठी-माजरा एम्स निर्माण में हो रही देरी के चलते सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन की चेतावनी देते है तब भाजपा खट्टर सरकार कोई न कोई कथित बैठक करके एम्स निर्माण के लिए माजरा की प्रस्तावित जमीन की रजिस्ट्री करने की नई तारीख घोषित कर देती है। विद्रोही ने कहा कि एम्स बनने में हो रही देरी के कारण अहीरवाल में बढ़ते रोष को शांत करने के लिए अब चंडीगढ़ में एक और कथित उच्च स्तरीय बैठक करके अगले सप्ताह से एम्स की प्रस्तावित जमीन किसानों से लेकर रजिस्ट्रीया करवाने की घोषणा की गई है। ऐसी घोषणा करके सरकार-प्रशासन जमीन की रजिस्ट्रीया करवाने की तारीख पहले भी कई बार देे चुका है, परे अभी तक तो कुछ भी नही हुआ। दो-तीन बाद पता चल जायेगा कि किसानों से एम्स के लिए ली जाने वाली जमीन की रजिस्ट्रीया होती है या पूर्व की तरह ही यह भी घोषणा मात्र बन कर जायेगी।

विद्रोही ने कहा कि जब हरियाणा भाजपा खट्टर व उसका प्रशासन प्रस्तावित जमीन पर कब्जा लेने खातिर जमीन की रजिस्ट्रीया करवाने व किसानों को मुआवजा देने के रोडमैप भी बार-बार दावे करने के बाद भी तैयार नही कर पा रहा है तब एम्स निर्माण की अन्य औपचारिकताएं कब पूरी होगी, कोई नही जानता। भाजपा सरकार का यह व्यवहार बताता है कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के प्रति सरकार में गंभीरता व ईमानदारी का अभाव है। किसानों से जमीन लेकर एम्स के नाम पर करने में सरकार तकनीकी कारणों को बहाना बना रही है लेकिन प्रस्तावित 200 एकड़ जमीन में जो 60 एकड़ जमीन माजरा ग्राम पंचायत की है, उस पंचायती जमीन को भी आज तक हरियाणा पंचायत विभाग ने एम्स के नाम पर ट्रांसफर करने की अनुमति नही दी है। 

विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर व उनके प्रशासन से पूछा कि ग्राम पंचायत माजरा की 60 एकड़ जमीन को एम्स के नाम पर ट्रांसफर करने में उन्हे कौनसी समस्या आ रही है? जब सरकार विगत एक साल से ग्राम पंचायत की जमीन को भी एम्स के नाम करने की कानूनी औपचारिकता के लिए अनुमति देने की प्रक्रिया पूरी नही कर पाई है तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि एम्स निर्माण के प्रति भाजपा खट्टर सरकार कितनी ईमानदार व गंभीर है। जब जमीन रूपी प्रथम सीढी को पार करने में ही सरकार-प्रशासन ऐसी सुस्ती दिखा रहा है तो निर्माण की अन्य कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने में कितना समय लगेगा कोई नही जानता। सरकार माजरा-मनेठी एम्स निर्माण के प्रति गंभीर व ईमानदार होती तो निर्माण से सम्बन्धित हर बिन्दू पर एक निश्चित कलेंडर तैयार करती और हर बिन्दू के लिए एक अधिकारी की जवाबदेही तय करके निश्चित समय में हर हालत में उसे पूरा करने की जिम्मेदारी डालती तभी एम्स निर्माण की बाधाएं दूर होती।  विद्रोही ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसा न करके स्वयं अपनी नीयत पर सवाल खड़े किये है। जब किसी अधिकारी की एम्स निर्माण औपचारिताएं पूरी करने की कोई निश्चित जवाबदेही ही नही है तो औपचारिकताएं समय पर पूरी कैसे होगी?

error: Content is protected !!