‘जीवन का उद्देश्य ‘ विषय पर वक्ताओं ने रखे अपने  गहन चिंतन युक्त विचार

गुरुग्राम। सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्वावधान में रविवार 1 मई 2022 को सायं 4 बजे सी सी ए स्कूल सेक्टर 4, गुरुग्राम के सभागार में विचार गोष्ठी – संवाद का आयोजन किया गया जिसका विषय था जीवन का उद्देश्य ।

इस अनौपचारिक गोष्ठी में उक्त विषय पर गहन चिन्तन प्रकट हुआ । पूर्व आयुक्त कुलबीर सिंह मलिक की अध्यक्षता में हुई गोष्ठी में 12 वक़्ताओं ने अपने विचार रखे । विषय स्थापित करते हुए संयोजक मदन साहनी ने कहा कि जीवन जीने का एक उद्देश्य होता है जिसकी प्राप्ति के लिए मनुष्य समय समय पर लक्ष्य निर्धारित करता है । प्रायः लोग मोक्ष प्राप्त करना, बेहतर इन्सान बनना, आनन्द प्राप्त करना, परहित जीना जैसे उद्देश्य निश्चित करते हैं । जीवन का उद्देश्य अपनी चाहत से जीना और चाहत को पाने की यात्रा है । इसके बाद शशांक शर्मा ने कहा कि उद्देश्य काल और परिस्थिति जन्य होते हैं और उनमें परिवर्तन होते रहते हैं । तत्पश्चात् नरेंद्र ख़ामोश के विचार से जीवन का उद्देश्य आत्म सन्तोष की स्थिति प्राप्त करना होता है ।

नरोत्तम शर्मा का कहना था कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें क्या मिला अपितु अधिक महत्वपूर्ण है कि हमने क्या किया और क्या दिया है ।सुरुचि परिवार के अध्यक्ष डॉ धनीराम अग्रवाल ने कहा कि कि जीवन में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का महत्व है , तो विनय माही ने कहा जीवन का अन्तिम लक्ष्य ख़ुशी पाना ही होता है ।

माही जी ने विजन और मिशन के अन्तर को बाखूबी समझाया । विदुषी सविता स्याल ने निःस्वार्थ एवं कृतज्ञता के भाव से जीने को उद्देश्य माना तो विभा गोयल ने वर्तमान में जीने को । विचारक एवं कवि त्रिलोक कोशिक का मत था कि प्रत्येक व्यक्ति के लक्ष्य निजी होते हैं और इनका सामान्यीकरण सम्भव नहीं है । आर. एस. पसरीचा ने ख़ुशी को उद्देश्य माना तो अध्यक्षता कर रहे श्री मलिक जी ने कहा कि जीवन में कोई न कोई शौक़ सबको रखना चाहिए और वर्तमान में सकारात्मक सोच से जीना ही लक्ष्य होना चाहिए । श्री मलिक ने सुरुचि परिवार के इस नये कार्यक्रम संवाद की पहल को अत्यंत सार्थक एवं उपयोगी बताया ।

error: Content is protected !!