भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। परसों से आपसी कलह से जूझती कांग्रेस को चंद क्षणों के लिए यह सुखद अहसास हुआ कि कांग्रेस में अब गुटबाजी समाप्त हो जाएगी परंतु यह क्षणिक ही दिखाई दे रहा है। प्रथम तो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों की घोषणा के पश्चात जो अनुमान लगाया जाता है कि कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग होगी, वह नदारद दिखाई दी। दूसरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौ. भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने ट्वीट डालकर यह बता दिया कि वह इस फैसले से खुश नहीं हैं। इन सब संकेतों से लग रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राहें आसान नहीं हैं।कांग्रेस को चौथा दलित अध्यक्ष मिला है। फूलचंद मुलाना फिर अशोक तंवर फिर कुमारी शैलजा और अब उदयभान। फूलचंद मुलाना तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साये में रहे हैं लेकिन अशोक तंवर और कुमारी शैलजा का भूपेंद्र सिंह हुड्डा से तालमेल नहीं बैठा। अब देखना यह होगा कि उदयभान का कितना तालमेल बैठता है भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ, क्योंकि वर्तमान में भी यह देखा जा रहा था कि जब वह चंडीगढ़ जाते थे तो कुमारी शैलजा से अवश्य मिलकर आते थे। वैसे भी यह विशुद्ध कांग्रेसी तो है नहीं, पार्टियां बदलते रहते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न तो यह होगा कि उदयभान और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का तालमेल बनेगा या उदयभान, फूलचंद मुलाना की तरह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रसन्न रख पाएंगे? अब कांग्रेस में आशा जगी है कि शायद कांग्रेस का भी संगठन बनेगा। देखना दिलचस्प होगा कि उदयभान में ऐसी कौन-सी विशेषता है जो कुमारी शैलजा और अशोक तंवर में नहीं थी, जिस विशेषता से यह अपना संगठन बना पाएं। वर्तमान में कांग्रेस के कुछ प्रकोष्ठ बने हुए हैं, महिला मोर्चा भी है। प्रश्न बड़ा यह है कि क्या वह कार्य करते रहेेंगे, या उन सबको बंद कर नई नियुक्ति की जाएगी? हुड्डा साहब ने विरोध का एक नायाब तरीका प्रस्तुत किया था कि अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को निष्क्रिय करने के निर्देश दे दो। प्रश्न इस समय यह है कि जो इनके विरोध में कांग्रेसी हैं, क्या वह भी अब यही तरीका तो नहीं अपनाएंगे? तात्पर्य यह कि संगठन बनाना नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और उनके चारों कार्यकारी प्रधानों के लिए टेढ़ी खीर होगा, क्योंकि चारों कार्यकारी प्रधान अलग-अलग विचारधारा के हैं। अत: सर्वसम्मति से संगठन बनाना तो संभव दिखाई नहीं देता और ऐसी स्थिति में यह फिर पहले की तरह लटका ही न रह जाए। आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बताया कि नवनियुक्त अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्षों को 4 मई को चंडीगढ़ में शपथ दिलाई जाएगी और शपथ लेने के लिए पहले अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दिल्ली निवास जाएंगे और वहां से चंडीगढ़ के लिए रवाना होंगे। हुड्डा साहब का कहना है कि कुंडली बॉर्डर से वे हरियाणा में प्रवेश करेंगे तो कांग्रेसी कार्यकर्ता उनका स्वागत करेंगे और यह क्रम चंडीगढ़ तक चलता जाएगा। ऐसा पहले तो कभी सुना नहीं कि हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष शपथ लेने के लिए पहले दिल्ली जाएगा, फिर दिल्ली से हरियाणा में प्रवेश करेगा, फिर उसका स्वागत होगा और फिर प्रदेश अध्यक्ष हुड्डा साहब के साथ होगा। विज्ञप्ति में यह नहीं बताया गया कि चारों कार्यकारी अध्यक्ष साथ होंगे या नहीं। लगता ऐसा है कि वे साथ नहीं होंगे। कुछ कांग्रेसियों और राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कार्यक्रम हुड्डा साहब ने अपनी स्थिति को देखकर बनाया है, क्योंकि जो कार्यकर्ता उनके कहने से पिछले सात साल निष्क्रिय थे, वे अब भी निष्क्रिय ही नजर आते हैं, क्योंकि जो हुड्डा साहब ने आशा की थी कि बधाइयों का जो सिलसिला आरंभ होगा, वह हुआ नहीं। हमारे गुरुग्राम से भी किसी द्वारा उदयभान को बधाई देने का समाचार आया नहीं है। तो वह स्वागत के बहाने अपने निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना चाहते हैं। Post navigation चौक चौराहों का नाम बदलने से गुरुग्राम का कितना होगा विकास, क्या जनता को बताएगी सरकार : पंकज डावर आरडब्लूए सोसायटियों को नियम, कानून और ज्ञान के प्रति जागरूक करने के लिए गुरूग्राम में किया गया सेवोकॉन का आयोजन