वोट दलितों के-राज करेंगे हुड्डा
कठपुतली की तरह चाहिए हुड्डा को एससी नेता
फूलचंद मुलाना के बाद उदय भान को भी सिर्फ रबड़ स्टैंप की तरह इस्तेमाल करने के लिए बनवाया अध्यक्ष
आम आदमी पार्टी से मुकाबले की सोच के बीच खस्ता हाल पहियों पर कांग्रेस का रथ

अशोक कुमार कौशिक

पहले दिल्ली और फिर पंजाब में कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीनने वाली आम आदमी पार्टी की बढ़ते रूतबे से बौखलाई कांग्रेस ने बुधवार को हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव किए है। नया प्रदेश अध्यक्ष देने के साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिए। लेकिन, देश की सबसे बड़ी पार्टी हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्य में इतने कमजोर घोड़ों पर दांव लगाकर सत्ता का सपना देख सकती है, देख कर हर कोई हैरान है।

चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करते हुए हाईकमान ने हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमिटी के रथ में चार पहिये लगाते हुए इनकी कमान नवनियुक्त अध्यक्ष उदयभान को सौंप दी है। चार कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर श्रुति चौधरी, रामकिशन गुर्जर, जितेंद्र कुमार भारद्वाज, सुरेश गुप्ता को तैनाती मिली है। देखा जाए तो कांग्रेस ने एक साथ पांच बिरादरियों को कांग्रेस की कमान दे दी है। लेकिन, ये चेहरे हरियाणा में कांग्रेस के खेवनहार बन पाएंगे, इसमें अभी काफी संशय है। हाईकमान के सपने को पूरा करने के लिए इन्हें काफी मेहनत करनी होगी।

हरियाणा में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल है और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले तक माना जा रहा था कि प्रदेश में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के ही बीच रह सकता है। लेकिन, अब आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से भाजपा, कांग्रेस समेत प्रदेश के सभी दलों में बैचेनी है। अभी से धरातल पर पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने बड़े बदलाव करने की हिम्मत तो जरूर दिखाई, लेकिन कहीं न कहीं चयन प्रक्रिया पार्टी को मजबूती देने की बजाए धड़ों को प्रतिनिधित्व देने तक ही सीमित होती दिखाई दी। जिस तरह से अपने-अपने इलाके तक ही सीमित लोगों को पार्टी की कमान दी है, उससे मिशन 2024 को लेकर कांग्रेस की गंभीरता कहीं नजर नहीं आई।

कुमारी शैलजा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से हटवाकर अपने समर्थक उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भूपेंद्र हुड्डा ने यह साबित कर दिया है कि उन्हें खुद्दार और रसुख वाले दलित नेताओं का वजूद मंजूर नहीं है। बल्कि इसकी बजाय कठपुतली और रबड़ स्टैंप जैसे दलित नेता उन्हें सुहाते हैं।

 भूपेंद्र हुड्डा की आज पहली ही कॉन्फ्रेंस में उदय भान के साथ खुद उनके ऑफिस द्वारा जारी की गई फोटो से यह साफ हो जाता है कि भूपेंद्र हुड्डा के दरबार में उदय भान की क्या हैसियत है। फोटो में साफ दिख रहा है कि भूपेंद्र हुड्डा शहंशाह की तरह बैठे हैं और उदय भान को पिछलग्गू की तरह दबाया गया है।

 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने पहले फूलचंद मुलाना को रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल किया। 2014 में अशोक तंवर को भी भूपेंद्र हुड्डा ने इसी मंशा के साथ प्रदेश अध्यक्ष बनाया था कि वह फूल चंद मुलाना की तरह कठपुतली बनकर उनके आदेश को मानेंगे, लेकिन खुद्दार स्वभाव के अशोक तंवर को यह गवारा नहीं हुआ और उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा को बराबर की चुनौती देने का काम किया।

भूपेंद्र हुड्डा को यह बात पूरी तरह से खटक गई कि एक दलित नेता उनको कैसे चुनौती दे सकता है और इसीलिए समर्थकों के जरिए अशोक तंवर को लाठियों से पिटवाया गया। भूपेंद्र हुड्डा ने साढ़े 5 साल तक अशोक तंवर को पार्टी का संगठन भी नहीं बनवा दिया और हर जगह फेल करने के हथकंडे इस्तेमाल किए।

 अशोक तंवर को हटवाने के बाद भूपेंद्र हुड्डा की मर्जी के बगैर कुमारी शैलजा की हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर नियुक्ति हुई। यह वही कुमारी शैलजा थी जिन्होंने भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनवाने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा ने सत्ता हासिल होने के 1 साल के अंदर ही कुमारी शैलजा को हाशिए पर डलवा दिया और उनकी विनोद शर्मा को अंबाला बेल्ट में सुपर पावर का दर्जा दर्जा दे दिया। भूपेंद्र हुड्डा ने कुमारी शैलजा को सियासी तौर पर खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

कुमारी शैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने उनके साथ भी तंवर जैसा सुलूक किया और उनको अध्यक्ष के पद पर कामयाब नहीं होने दिया। कुमारी शैलजा को भी 3 साल तक भूपेंद्र हुड्डा ने पार्टी का संगठन नहीं बनाने दिया।

 भूपेंद्र हुड्डा दलित अध्यक्ष बनवा कर उन्हें इस्तेमाल करके सत्ता हासिल करने की सोच रखते हैं। उन्हें दलित नेताओं का उनके सामने खड़ा होकर नजर से नजर मिला कर बात करना गवारा नहीं है। इसलिए उन्होंने मजबूत खुद्दार और रसूख वाले अशोक तंवर व कुमारी शैलजा दोनों को ही प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर हटवाने का काम किया।

हुड्डा दलितों के बलबूते पर सिर्फ राज करना चाहते हैं। भूपेंद्र हुड्डा का एक ही फार्मूला है कि वोट तुम्हारे- राज मेरा। अब देखना यही है कि हरियाणा के दलित वोटर भूपेंद्र हुड्डा के इस दो मुंहे व्यवहार को पहचान पाते हैं या नहीं।

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