गुरू महाराज ने पीढिय़ों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए जीने मरने की प्ररेणा दी 

हिसार, 24 अप्रैल : आजादी के अमृत महोत्सव शृंखला में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशपर्व पर पानीपत में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय समारोह में शामिल होने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों की संगत आज सुबह रवाना हुई। इस संगत को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी आर काम्बोज ने झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर पर कुलपति प्रो.  काम्बोज ने उपस्थित संगत को श्री गुरू तेग बहादुर जी के सामाजिक सदभाव के कार्यों व बलिदान के बारे में विस्तार से बताया। हिन्द की चादर श्री गुरू तेग बहादुर जी का हरियाणा  से गहरा नाता रहा है। गुरू महाराज ने हरियाणा के अलग-अलग जिलों में समय-समय पर अपने चरण रखें और धर्म प्रचार किया। संगत के आग्रह पर गुरू महाराज गांव और शहरों में गए। आज यहां पर ऐतिहासिक गुरूद्वारे स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर साहब के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी, हिन्द की चादर बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। औरंगजेब और उसके जैसे अत्याचारियों ने भले ही अनेकों सिर को धड़ से अलग किया हो लेकिन वह हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर सका। गुरु तेग बहादुरजी के बलिदान ने, भारत की अनेक पीढियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी।

इस संगत के समन्वयक व निदेशक विस्तार शिक्षा डा.बलवान सिंह, ने बताया कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को ले जाने के लिए बसों का इंतजाम किया गया है। इसके अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र पानीपत भी आसपास के इच्छुक लोगों को इस प्रकाश पर्व में शामिल होने के लिए इंतजाम किया गया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एस के महता, ओएसडी डा.अतुल ढींगड़ा, अधिष्ठाता कृषि विश्वविद्यालय डा.एस के पाहुजा, निदेशक मानव संसाधन, लाईब्रेरियन डा.बलवान सिंह, जितेन्द्र कुमार, डा. कृष्ण यादव, कपिल अरोड़ा व अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित  थे।

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