पंचायतों के चुनाव न होने से गांवों में विकास कार्य हुए ठप्प।
सरकार द्वारा पंचायतों के चुनाव न करवाने से ग्रामीणों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हो रहा है हनन।
ग्राम विकास के लिए आवंटित 2,400 करोड़ रुपए का बजट 2021-22 में इस्तेमाल ना होने के कारण लैप्स हो गया।
बिना पंचायतों के कैसा पंचायती राज दिवस?

गुरुग्राम। 24 अप्रैल 2022 – संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि हरियाणा में पंचायती राज व्यवस्था पुरी तरह चरमरा गयी है तथा पंचायतों के चुनाव न होने से गाँव के विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प हो गए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार पंचायती राज व्यवस्था को कमज़ोर कर रही है।

पंचायतें लोकतंत्र की नीव हैं।हरियाणा सरकार पंचायतों के चुनाव न करवाकर ना सिर्फ़ पंचायती राज व्यवस्था को कमज़ोर कर रही है,बल्कि लोकतंत्र को भी कमज़ोर कर रही है।

उन्होने हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पर ग्रामीणों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझकर पंचायतों के चुनाव पिछले 14 महीने से लटकाए हुए हैं और पंचायतों के अधिकारों को सरकारी प्रशासकों के हाथों में सौंप दिया है।

हरियाणा सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति दुर्भावनापूर्वक व्यवहार कर रही है, जिसके कारण प्रदेश की 6,200 से अधिक पंचायतें पिछले 14 महीने से भंग चल रही हैं।ग्राम विकास के लिए आवंटित 2,400 करोड़ रुपए का बजट भी वर्ष 2021-22 में इस्तेमाल ना होने के कारण लैप्स हो गया है।

गाँवों में चुनी हुई पंचायत न होने के कारण ग्रामीणों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी प्रशासकों से मिलने के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के पास पुलिस सत्यापन, चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने, मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड आदि विभिन्न दस्तावेजों में त्रृटि सुधार, सत्यापन के लिए अधिकार होते थे, लेकिन पंचायत ना होने के कारण आम लोगों को प्रशासकों के पास जाना पड़ रहा है, जो ज्यादातर उनके गावों में उपलब्ध नहीं होते।

पंचायती राज व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सरकार ने भारतीय संविधान में 73वां संविधान संशोधन किया था,जो 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ था। 73वां संविधान संशोधन 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ था और इसलिए अब हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि बिना पंचायतों के कैसा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस?

संविधान के आर्टिकल 243 ई के मुताबिक सरकार पंचायती चुनावों को समय पर करवाने के लिए बाध्य है।
सरकार ने पंचायती चुनावों को 14 महीने टालकर संवैधानिक प्रावधानों की उल्लंघना की है।

हाल ही में प्रदेश में जब से ग्राम पंचायतें भंग हुई है,तब से ग्रामीण विकास के मामलों में सैंकड़ों करोड रुपए के घोटाले और भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आ चुके हैं।

उन्होंने सरकार से माँग की कि हरियाणा में पंचायतों के चुनाव करवाए जाएं ताकि गांवों में विकास कार्य हो सके तथा ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो सके।

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