फौजी वर मनदीप का लगन-टीके में 11 लाख लेने से सहर्ष इंकार.
रकम लौटा अशोक सिंह तंवर बने राजपूत समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत.
एक रूपया और नारियल स्वीकार करके बनाया पावन रिश्ता पक्का

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
राजपूत सहित अन्य समाज में भी दहेज प्रथा की कुरुति बहुत गहराई से पैर फैलाये है। पिता को अपनी पुत्री का विवाह करने तक के लिए जमीन जायदाद तक बेचनी पड़ जाती है। समर्थवान लोग भी अपने बेटे की शादी में मगरमच्छ की भांति मुह खोल कर दहेज की डिमांड करते है। लेकिन तेजी से बदल़ते समय और शिक्षित युवाओं की सोच के साथ लोगो सहित समाज में जागरूकता आनी शुरू हुई है।

13 अप्रैल 2022 को गाँव महचाना से भीम सिंह चौहान की पुत्री सोनिया का लगन लेकर गाँव पालुवास भिवानी में अशोक सिंह तंवर (रिटायर्ड आर्मीमैन/मौजूदा सरकारी बैंक में सेवारत) के पुत्र मनदीप (आर्मी में सेवारत) के यहाँ पहुँचे। भीम सिंह (बिटिया के पिता) ने समाज की मर्यादा बनाये रखने के लिए ग्यारह लाख की नकदी, लगन रस्म में बेटे मनदीप को भेंट की। लेकिन बेटे के पिता ने सर्वसमाज के बीच उदहारण पेश करते हुए केवल एक रुपये व नारियल स्वीकार किया। इसके साथ ही गयारह लाख नकद बिटिया के पिता को वापिस लौटा दिए।

अशोक सिंह तंवर ने यह फैसला लेकर न केवल राजपूत समाज से बल्कि अन्य समाजों में प्रचलित दहेजप्रथा जैसी कुरीति का दमन करने के लिए प्रेरणा बनने का कार्य किया। सर्व समाज के द्वारा उनके इस फैसले को सराहा गया है। इसी मौके पर ही प्रबुद्ध लोगों ने भी सवाल किया कि- ऐसा कौन होगा जो कि विवाह-शादी में एक स्पया और नारियल का रिकार्ड भी तोड़ सकेगा ? बेटी के विवाह के लिए , जिस पिता या भाईयों को जमीन जायदाद बेचनी पड़ जाए और बेटी को इस बात का पता चले तो वह भी मन से बहुत दुखी होती है- लेकिन अपने मन की पीड़ा-दर्द को चाहकर भी नहीं कह पाती है। वहीं ससुराल के परिवार वालों की भी इमेज बेटी के लिए अक्सर अच्छी नहीं बन पाती है।

इस मौके पर गांव महचाना व गांव पालुवास दोनों गाँवों की सरदारी ने अशोक तंवर के फैसले को सभी  लोगो के लिए प्रेरित करने वाला बताया व सभी से अपील की गई कि आप अपने बच्चों की शादी में दहेज नहीं लेने-देने के निर्णय लेकर समाज को इन कुरूतियों से बाहर निकाले का काम करें। दहेज को खत्म करने के लिए कोई बाहर से नही आने वाला ,हमें ही शुरुआत करनी होगी। हम सभी अपने-अपने समाज सहित बच्चों की खुशी और दहेज रूपी राक्षस के खात्में के लिये  अशोक सिंह तंवर बनना होगा। तभी किसी भी पुत्री का पिता अपनी बेटी को भली भांति शिक्षित कर सकेगा। वहीं पुत्री भी अपने पिता पर बोझ नही बल्कि पिता का गौरव बन कर रहेगी। 

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