लेखक: शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता हिसार, 05 अप्रैल। विश्व की सबसे अधिक सदस्यों वाली सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव प्राप्त भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को की गई। सर्वसम्मति से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनसंघ के वरिष्ठ नेता रहे और जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया गया। पार्टी का चुनाव चिन्ह रखा गया कमल का फूल। अपने निर्वाचन के बाद अटलजी ने कविता के माध्यम से कहा था, अंधेरा हटेगा-कमल खिलेगा। उनकी भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुईं। आज भारतीय जनता पार्टी न केवल संगठनात्मक दृष्टि बल्कि लोक सभा, राज्य सभा, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधियों की दृष्टि से भी सबसे अधिक सदस्यों वाली पार्टी बन चुकी है। इसका पूरा श्रेय पार्टी के मजबूत, निष्ठावान व समर्पित कैडर, पार्टी की विचारधारा तथा पार्टी के वे कार्यकर्ता है, जो अपना घर, परिवार व ऐश्वर्य पूर्ण जीवन का त्याग कर श्वेत वस्त्रो में सन्यासी जैसा जीवन जी कर पार्टी के माध्यम से राष्ट्र व समाज की सेवा कर रहे है। हमारे देश मे अधिकतर वंशवादी, परिवार वादी व क्षेत्रवादी पार्टियों का ही बोलबाला रहा है। जातिवाद व मजहब के नाम पर सोशल इंजनरिंग के फार्मूले गढ़ कर ये पार्टियां वोट हासिल कर सत्ता में आती रही है। प्राइवेट कंपनियों सरीखा इनका पूरा संगठनात्मक प्रबंधन होता है। पार्टियों में कभी संगठनात्मक चुनाव नही होते। पार्टी के सुप्रीमो जो फैसला करते है, वहीं सभी को मान्य होता है । वहीं इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी का पूरा ढांचा लोकतांत्रिक व्यस्था पर आधरित है। नियत समय पर बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव कर पार्टी अध्यक्ष चुने जाते है। पार्टी में एक साधारण कार्यकर्ता भी अपनी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पदों तक पहुंच सकता है। इसका साक्षात प्रमाण हम देख ही रहे हैं। यह भाजपा की ही विशेषता है कि एक चाय बेचने वाला एक साधारण बालक बड़ा होकर देश का प्रधान मंत्री बन सकता है। भारतीय जनता पार्टी केवल एक राजनीति पार्टी ही नही एक समाज सेवी संगठन भी है। समय समय पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की भूमिका लोगो के बीच जाकर सेवा भाव की रही है। कोविड काल में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सामाजिक कार्यकर्ता बनकर रात दिन कोविड पीडि़तों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारतीय संस्कृति और मर्यादा पार्टी का आधार है पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांत में विश्व कल्याण की भावना झलकती है। इस विचार -धारा में बटे विश्व को एक कर शांति प्रदान की जा सकती है। यद्यपि पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुईं, परन्तु इससे पूर्व की इसकी थोड़ी सी पृष्ठ भूमि को जान लेना भी अति आवश्यक है । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दूसरे सरसंघ चालक (गुरुजी) ने जब संगठन की बागडोर संभाली तब समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के दृष्टि से संघ ने एक व्यापक कार्य योजना का निर्धारण किया, जिसमें 1951 में पंडित श्याम प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में गुरु जी की प्रेरणा से भारतीय जनसंघ की स्थापना की गई। पार्टी के माध्यम से राष्ट्रीय समस्याओं पर गहन चिंतन किया गया। जिसमें कश्मीर की समस्या एक बहुत बड़ी समस्या मानी जाती थी। पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने वहां स्थापित दो संविधान, दो निशान व दो प्रधान का डट कर विरोध किया। वे जम्मू कश्मीर का भारत मे पूर्ण विलय मानते थे। धारा 370 का उन्होंने कड़ा विरोध किया। आखिरकार जेल में कड़ी यातनाओं के बीच उनकी हत्या कर दी गई। भारत माता का सच्चा सपूत हमने खो दिया। परंतु उनका बलिदान व्यर्थ नही गया। 2019 में मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने पर धारा 370 को जड़ मूल से समाप्त कर दिया गया। देश की जनता ने सुख औऱ संतोष की सांस ली। 1967 में कालीकट अधिवेशन में भारतीय जनसंघ के महान विचारक व दार्शनिक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। आज भी यह एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। पार्टी को आगे बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, बाद में मुगलसराय स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रख दिया गया। Post navigation बाबू जगजीवनराम का जीवन व कृतित्व हमारे के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है हम अभी क्या क्या होंगे और कहां जायेंगे पता नहीं,,,,