भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज भी जगह-जगह रोज की तरह लोगों के आप में शामिल होने के समाचार आए और सबसे बड़ा समाचार तो यह आया कि अरविंद केजरीवाल ने खुद अशोक तंवर को अपनी टीम में शामिल किया। और इधर गुरुग्राम में भाजपा के मीडिया प्रभारी अजीत यादव की विज्ञप्ति आई, जिसमें बताया कि सत्यव्रत शास्त्री कह रहे हैं कि भगवंत मान के पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ पर प्रस्ताव पास करने के पश्चात हरियाणा में आप वाले मुंह छिपा रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि आप का जनाधार जमीन पर बढ़ता दिखाई दे रहा है, जिससे लगता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही घबराई हुई हैं।

अजीत यादव की प्रेस विज्ञप्ति आने के पश्चात अजीत यादव को फोन कर सच्चाई जाननी चाहिए तो जैसा कि होता है वही हुआ, वह मीडिया प्रभारी तो फोन उठाते ही नहीं है तो आज भी नहीं उठाया। वैसे कुछ भाजपाई बताते हैं कि अपने संबंधों की वजह से उन्हें यह पद मिला है। प्रेस नोट बनाना और पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देना उनकी सामथ्र्य में नहीं है इसीलिए वह फोन नहीं उठाते हैं।

आज उन्होंने लिखा कि प्रेस वार्ता में यह कहा लेकिन पता नहीं कौन-से चंद पत्रकारों को उन्होंने अपने पास बुलाया और प्रेस वार्ता का नाम ले दिया। जहां तक मेरी जानकारी है और मैंने समझा है कि वर्तमान में भाजपा का कोई पदाधिकारी प्रेस से मुखातिब होने से बचता है।

नाम का जिक्र न करने की बात कह एक नहीं अनेक कार्यकर्ता यह कहते हैं कि भाजपा पदाधिकारी जवाब कहां से देंगे, वे खुद जो बोलते हैं उससे सहमत नहीं होते लेकिन उन्हें हाईकमान से आए आदेश तो पूरे करने होते हैं तो उनको पूरा करने की इतिश्री अपने ही अपने लोगों में मिल-बैठकर कर ली जाती है।

आज प्रदेश प्रवक्ता सत्यव्रत शास्त्री जो बात प्रेस वार्ता का नाम लेकर कह रहे हैं, वह बात उनके मुख्यमंत्री, मंत्री, प्रदेश प्रधान पहले ही कह चुके हैं। सब अखबारों में छप चुकी है और आज उन्होंने एक नई बात जरूर कही, जो उन लोगों ने नहीं कही थी कि आप वाले डर रहे हैं और जो आप पार्टी में शामिल हो चुके हैं, वह अफसोस कर रहे हैं कि हमने यह गलती क्यों की। इसके पीछे भाजपा का क्या लक्ष्य है, यह समझ तो नहीं आया लेकिन एक पत्रकार की बुद्धि से यह जरूर समझ आया कि वह यह बात बोल अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ढांढस बंधा रहे हैं और कहना चाहते हैं कि और कोई छोड़कर न जाए।

वैसे गुरुग्राम में भाजपा के सर्वाधिक वोटों से जीते पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल के साथ असंख्य भाजपाई पहले ही भाजपा छोड़ चुके हैं। आने वाले समय में भी अनेक भाजपाइयों के छोडऩे की संभावना है।मैं आज की बात ही नहीं कह रहा। किसान मोर्चा की स्थिति यह है कि उसके पदाधिकारियों की टीम में किसान ढूंढने से ही मिलेंगे। इधर युवा मोर्चा है। युवा मोर्चा में जो भी कार्यक्रम करते हैं, उनके अंदर विवाद हो जाते हैं। चाहे रक्तदान शिविर की बात करें या वर्तमान में कश्मीर फाइल्स फिल्म दिखाने की। इनके अध्यक्ष भी प्रेस से बात करने से बचते रहते हैं लेकिन मजेदारी की बात यह है कि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की इन पर सबसे अधिक कृपा दृष्टि है।

इसी प्रकार की अनेक चर्चाएं हैं भाजपा के बारे में भाजपाईयों की ही चल रही हैं। वह भाजपा की वास्तविक स्थिति का अवलोकन कराते हैं लेकिन बिना नाम छापने की शर्त पर। आने वाले समय में आपको और भी बताएंगे, जैसा बता रहे हैं।

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