क्या इस बार भी बचा लेंगे राजनीतिक आका—
भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी है नगर परिषद रेवाड़ी —
भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सुर्खियों में रही है नगर परिषद—
विपक्षी ही नहीं,पार्षद भी लगा चुके हैं भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप-
ठेकेदार शीशराम ने भी लगाए थे अधिकारियों पर कमीशन मांगने के आरोप—
9 माह बाद भी नहीं हुई आरोपों की जांच—
कष्ट निवारण समिति में भी जांच की लगा चुका है गुहार—
राजनीतिक शह के चलते नहीं हुई आज तक कोई कार्रवाई–
केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह के दरबार में भी पहुंचा था नगर परिषद का भ्रष्टाचार का मामला—
एनडीसी देने के लिए मांगे 2 लाख–
2 लाख रिश्वत मांगने के आरोप में ईओ,एमई सहित तीन पर केस–
क्या राजनैतिक प्रभाव के चलते बच जाएंगी बड़ी मछलियां—

भारत सारथी

रेवाड़ी, 1 अप्रैल। घोटालों का पर्याय बन चुकी नगर परिषद पर गुरूवार को स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का डंडा चल गया। ब्यूरो की टीम ने एंटी क्रप्शन एक्ट के तहत नप के अधिकारी को देर सायं गिरफ्तार कर लिया। उसके पिता व एक अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। समाचार लिखे जाने तक एसवीबी के डीआईजी ने गिरफ्तारी की पुष्टि की, लेकिन उसके नाम का खुलासा नहीं किया गया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट विजिलेंस ब्यूरो गुरूग्राम को एक व्यक्ति ने बातचीत की रिकॉडिंग देते हुए नप के एक अधिकारी, उसके पिता और एक पटवारी पर रिश्वत के आरोप लगाए थे। एसवीजी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीनों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सूत्रों के अनुसार देर सायं अधिकारी एसवीबी के हत्थे चढ़ गया। ब्यूरो के डीआईजी ने इसकी पुष्टि तो की है, परंतु अन्य नाम का खुलासा करने से इंकार किया है

नगर परिषद रेवाड़ी व भ्रष्टाचार का शायद चोली दामन का साथ है। सत्ता परिवर्तन हुआ लेकिन नगर परिषद की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ। कांग्रेस के शासनकाल से लेकर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दावा करने वाली भाजपा शासन में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई। दर्जनों बार भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, सरकार व प्रशासन द्वारा जांच करने का राग भी अलापा गया लेकिन कार्रवाई जीरो ही रही। 

केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह नगर परिषद में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर कई बार आगाह कर चुके। बीते कुछ दिन पूर्व ही नगर परिषद के पार्षद एकजुट होकर राव इंदरजीत सिंह के दरबार में पहुंचे और उन्होंने नगर परिषद में बढ़ते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की गुहार लगाई। बताते हैं कि राव इंद्रजीत सिंह ने भी चेयर पर्सन  पूनम यादव को बुलाकर इस मामले में फटकार भी लगाई लेकिन भ्रष्टाचार नहीं रुका। 

भ्रष्टाचार का ताजा मामला प्रकाश में आया है इस मामले में देखा जा सकता है कि नगर परिषद के अधिकारी के साथ साथ पिता भी भ्रष्टाचार का नेटवर्क चला रहा था। विकास नगर निवासी जगदीश ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके चाचा रविंद्र कुमार को अपने बेटे राजेश के नाम एक प्लाट की टीपी( ट्रांसफर परमिशन) के लिए आवेदन करना था इस काम के लिए उन्हें नगर परिषद से नो ड्यूज सर्टिफिकेट की जरूरत थी। दिसंबर 2021 में नगर परिषद के बाहर से सीएससी से ऑनलाइन अप्लाई कर दिया लेकिन जवाब नहीं आया। जब रजिस्टर देखा तो फाइल सभी अधिकारियों के पास भेजी जा चुकी थी। फाइल को अधिकारियों ने 4 से 5 बार रिजेक्ट कर दिया। आरोप है कि एमई सोहनलाल ने 2 लाख में काम हो जाने की बात कही और घर बुलाया वहां घर पर एमी सोहनलाल के पिता जन स्वास्थ्य विभाग में बतौर एसडीओ कार्यरत नंदलाल मिले। 

शिकायतकर्ता ने दो लाख में बात हो जाने के बारे में बताया नंदलाल ने फोन पर एम ई सोहन से फोन पर बात की तथा शिकायतकर्ता जगदीश का काम करने को कहा साथ ही जगदीश को बताया कि 2 लाख में ईओ,एक्सईएन, एमई, जेई व  बीआई का सभी आ लिए। नंदलाल से बातचीत की रिकॉर्डिंग कर शिकायतकर्ता ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी। विजिलेंस टीम ने इस मामले में ईओ, अभय सिंह एमई सोहन और एमईके पिता एसडीओ नंदलाल के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7-ए के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे पूर्व ही नगर परिषद के ठेकेदार शीशराम ने भी बिल पास कराने के नाम पर कमीशन लेने के आरोप लगाए थे।

 मामला काफी सुर्खियों में रहा, जांच कराए जाने की बात कही गई, कष्ट निवारण समिति की बैठक में सामाजिक न्याय मंत्री ओम प्रकाश यादव ने भी इस मामले में जांच के आदेश दिए थे लेकिन हर बार की तरह नगर परिषद की जांच कभी भी पूरी नहीं हो पाई। आम जनता से लेकर नगर परिषद के अधिकांश पार्षद, विपक्ष लगातार नगर परिषद में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर बेशक आरोप लगाते रहे हो लेकिन राजनैतिक वरदहस्त प्राप्त अधिकारियों का आज तक बाल भी बांका नहीं हुआ। बार-बार उन्हीं अधिकारियों को मलाईदार पदों पर लगाया गया जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। अगर सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दावा करती है तो नगर परिषद की 1-1 फाइलों को खंगाला जाए। हर एक फाइल में भ्रष्टाचार की बू नजर आएगी। विपक्ष  ही नहीं सत्ता दल से जुड़े वरिष्ठ नेता सतीश यादव ने नगर परिषद से जुड़े भ्रष्टाचार के काले चिट्ठे सबूतों के साथ जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री को भेजे थे लेकिन आज वर्षों बीतने के बाद कार्रवाई की तो छोड़े जांच तक भी नहीं हुई। 

राजनीतिक प्रभाव के चलते आज तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। अब यह पहला मामला है जब नगर परिषद के 2 बड़े अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है लेकिन लोगों में अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है की क्या अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी।

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