-कमलेश भारतीय प्रो जगमोहन सिंह युवा शक्ति में मेरा विश्वास सबसे ज्यादा है और शहीद भगत सिंह भी युवाओं के हीरो हैं । यह कहना है शहीद ए आज़म भगत सिंह के भांजे प्रो जगमोहन सिंह का । वे कल से हिसार में हैं । वे सर्वोदय भवन में प्रोग्रेसिव छात्र फ्रंट की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में विशेष तौर पर आए थे । मेरी इनसे मुलाकातें सन् 1979 से हैं जब मुझे खटकड़ कलां के आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हिदी प्राध्यापक(बाद में प्रिंसिपल) के रूप में काम करने का अवसर मिला था । तब वे शहीद भगत सिंह के साथियों के दस्तावेज पुस्तक पर काम कर रहे थे और वह किताब आने पर मुझे प्रेमपूर्वक भेंट भी की थी । जब इनके हिसार आगमन का पता चला तो मुलाकात की और पुरानी यादें भी ताजा कीं और छोटी सी बातचीत भी की । इनका जन्म पाकिस्तान के लायलपुर के चक नम्बर 206 में सन् 1944 में हुआ और स्वतंत्रता के बाद इनका परिवार जीटीरोड पर स्थित गांव दयालपुरा में आ गया । इसी गांव के स्कूल से मैट्रिक की और बाद में जालंधर के डी ए वी काॅलेज से बी एस सी की । वे बताते हैं कि मैट्रिक करते ही बड़े भाई जोगिन्दर सिंह ने नयी साइकिल उपहार में दी । उसी पर बीस किलोमीटर जालंधर पढ़ने जाते थे । फिर लुधियाना के गुरु नानक इंजीनियरिंग काॅलेज से इंजीनियरिंग की जिससे पहले ऑल इंडिया स्कॉलरशिप मिल गयी थी । -पहली जाॅब कहां ?-चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग काॅलेज में एक साल । फिर लुधियाना के अपने ही गुरु नानक इंजीनियरिंग काॅलेज ने बुला लिया । साल भर बाद ही खड़गपुर आईआईटी में एम टैक करने के लिए चुना गया । टाॅपर रहा । -फिर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कब ?-सन् 1975 से सन् 2004 तक । यहीं से सेवानिवृत्त । एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में सोचा कि क्या योगदान दे सकता हूं ? -फिर क्या योगदान दिया ?-किसानों के लिए बनाया ट्यूबैल मोटर के लिए सेल्फ स्टार्टर जो किसानों में बहुत लोकप्रिय हुआ । मेरे नाम पेटेंट करना चाहते थे जिससे मुझे दो प्रतिशत मिलता लेकिन मैंने बिल्कुल मना करते कहा कि यह मैंने किसानों का ऋण उतारने के लिए बनाया है , अपने निजी फायदे के लिए नहीं । -फिर शहीद भगत सिंह व इनके साथियों के दस्तावेज लिखने तक कैसे पहुँचे ?-बचपन में दादा जी ने शेख सादी की पुस्तकें व अरविंद घोष की आत्मकथा जैसी पुस्तक पढ़ने के लिए दी थीं । आठवीं में पढ़ता था जब ऐसी पठन पाठन की रूचि बना दी । मामा भगत सिंह की किताबों ने भी बहुत रोशनी दी । -कहां से प्रेरणा मिली ?-सन् 1963 में गदर पार्टी के पचास साल पूरे हो रहे थे तब सोहन सिंह भकना को शहीद यादगार हाल में सुनने का पहला अवसर मिला । उन्होंने आह्वान किया कि युवा हमारे जैसे क्रान्तिकारियों की विरासत संभालने के लिए आगे आए । बस । -फिर कैसे आगे बढ़े इस दिशा में ?-मेरे प्रो व मित्र मलविंदरजीत थे । उनके साथ सलाह मशविरा किया और खटकड़ कलां में बनाया युवक केद्र । तब तक नानी विद्यावती भी थीं । इसीलिए इसी गांव को चुना । फिर निकाला ‘कौमी लहर’ मासिक । इसमें शहीदों व क्रान्तिकारियों की गाथाएं देते थे । फिर आपातकाल लग जाने से सब काम रुक गया । -फिर कैसे शुरू किया ?-आपातकाल के बाद । सन् 1977 में बनाई जम्हूरी अधिकार सभा । सन् 1981 में शहादत की पचासवीं वर्षगांठ पर नानी विद्यावती के पास आए थे किरमचंद्र दास , शिव वर्मा , जयदेव कपूर और डाॅ दया प्रसाद । सबने पंजाब सरकार को भेजा कि भगत सिंह का एक बुत्त कम लगा लो लेकिन दस्तावेज प्रकाशित करो लेकिन जवाब आया था कि विचार कर रहे हैं और फिर सबने यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर डालते कहा कि तुम्हें प्रोफेसर किसलिए बनाया है ? बस । काम शुरू कर दिया । -कैसे काम हुआ ?-तब प्रताप के संपादक वीरेंद्र व मिलाप के संपादक यश भी इनके सहयोगी रहे थे , वे शहीदी दिवस पर इनकी पुरानी चिट्ठियां प्रकाशित किया करते थे । वे सब इकट्ठी कीं । भगत सिंह ने तीन माह तक किरती का संपादक किया था , वे अंक खोजे । इस तरह जाकर किताब को अंतिम रूप दिया । जेएनयू में खोज कमेटी बनी जिसके सर्वेसर्वा थे विपिन चंद्र । उनका भो मुगालता दूर हुआ जब उन्हें पता चला कि समाजवाद की अवधारणा भगत सिंह की है न कि जवाहरलाल नेहरू की । -और कितनी किताबें लिखीं आपने ? लिखी नहीं । संपादित कीं या पुनर्प्रकाशित कीं , कह सकते हैं । चाचा अजीत सिंह की जीवनी पगड़ी संभाल ओए जट्टा का अनुवाद प्रकाशित हुआ । अब अजीत सिंह की मोहबाने वतन को ‘देशप्रेमी’ के रूप में प्रस्तुत किया है । -भगत सिंह का क्या योगदान मानते हैं आप ?-भगत सिंह हमारे ऐसे हीरो जो हर संकट व समय के हीरो हैं । युवा भगत सिंह के बारे में सबसे ज्यादा सवेर पूछते हैं जहां भी व्याख्यान के लिए जाता हूं । -आपका संदेश व लक्ष्य ?-युवा शक्ति में ही मेरा विश्वास । हमारी शुभकामनाएं प्रो जगमोहन सिंह को । आप इस नम्बर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9814001836 Post navigation नव वर्ष विक्रमी संवत भारतीय संस्कृति का महापर्व सार्वजनिक धन के कुशल उपयोग के लिए कई सुधारों की आवश्यकता