किसानों को 15 से 20 हजार तक प्रति एकड़ अतिरिक्त मुनाफा.
क्षेत्र के गांव भोकरका में सरसों दिवस का किया गया आयोजन.
कंपनी पायनियर के अधिकारी डॉ माधों सिंह तोमर ने खोला रहस्य.
सभी किसान खेती के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके अपनाएं

फतह सिंह उजाला

पटौदी । किसानों के बीच चर्चा और जिज्ञासा का विषय यही बना रहा कि कैसे और किस प्रकार प्रति एकड़ औसतन 4 क्विंटल अधिक सरसों की पैदावार प्राप्त की गई । पंडाल में मौजूद गांव भोकरका, लौकरी लोकरा, मऊ व आसपास के गांव के किसान आपस में इसी मुद्दे को लेकर चर्चा करते रहे। गौरतलब है कि इन दिनों सरसों की कटाई के साथ ही किसानों के द्वारा मंडी में सरसों की उपज की बिक्री भी की जा रही है । पटौदी क्षेत्र के गांव भेकरका में कोर्टेवा एग्रीसाइंस सीड्स प्राइवेट लिमिटेड-पायनियर के तत्वाधान में सरसों कटाई दिवस का आयोजन किया गया ।

इस मौके पर कंपनी के अधिकारी डॉ माधों सिंह तोमर ने किसानों की जिज्ञासा को शांत करते हुए  किस प्रकार से किसान अन्य किसानों के मुकाबले सरसों की अधिक पैदावार अथवा उपज प्राप्त कर रहे हैं ? इस बात का रहस्य खोला । सरसों कटाई दिवस के मौके पर गांव भोकरका में सरसों कटाई दिवस सेमिनार का आयोजन किया गया । इस मौके पर आसपास के गांवों से पहुंचे किसानों में दाताराम, सुरेंदर, बलवान, जितेंद्र, राजवीर, धर्मवीर, सुरजन, आकाश, प्रताप, धर्मवीर, सत्येंद्र, तुलाराम, धनपत सहित और भी किसान मौजूद रहे । सेमिनार में पायनियर कंपनी के अधिकृत सीड्स होलसेलर केदारनाथ बुधराम से पुरुषोत्तम और गांव लौकरी से मनजीत विशेष रुप से शामिल हुए । कंपनी के अधिकारी डॉ तोमर के द्वारा किसानों की जिज्ञासा को शांत करते हुए मौके पर ही पी एच आई सरसों के बीज की बिजाई के उपरांत निकाली गई सरसों और अन्य कंपनियों की उपजाई गई सरसों किसानों के बीच से ही मंगवा कर सभी के सामने वजन करवाया गया । पंडाल में मौजूद किसान हैरान तो हुए ही किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट भी देखी गई, इसका कारण था कि अन्य कंपनियों के मुकाबले पी एच आई सरसों का वजन प्रति एकड़ अतिरिक्त पाया गया ।

वही मौके पर मौजूद कई किसानों ने बताया कि साथी किसानों के कहने पर ही उनके द्वारा पायनियर 45 एस 46 बीज का सरसों की पैदावार के लिए बीजारोपण किया गया था। इसके साथ ही खेती में पारंपरिक चले आ रहे तरीकों को छोड़कर वैज्ञानिक और आधुनिक तरीके से फसल को तैयार किया गया। यहां मौके पर किसानों ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि बीते वर्षाे के मुकाबले इस बार प्रति एकड़ औसतन 4 क्विंटल सरसों की अधिक झड़त अथवा उपज या पैदावार प्राप्त हुई है । इसका सीधा लाभ यह है कि जो भाव वर्तमान में सरसों का किसानों को मंडी में मिल रहा है उसे देखते हुए किसानों को औसतन प्रति एकड़ 15 से 20  हजार अतिरिक्त मुनाफा हो रहा है । केदारनाथ बुधराम से पुरुषोत्तम और मनजीत लौकरी ने इस मौके पर बताया कि किसानों को इस बदलाव सहित आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से सरसों की बिजाई के लिए प्रेरित किया गया । किसानों ने भरोसा भी किया और इस भरोसे का परिणाम आज किसानों को मिल भी रहा है ।

कोर्टेवा एग्रीसाइंस सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी डॉ माधों सिंह तोमर ने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि जिस प्रकार से खेती के लिए जमीन का रकबा घट रहा है जोत कम हो रही है या छोटी होती जा रही है । इन सब हालात को ध्यान में रखते हुए किसान भाई किस प्रकार से अपनी कोई भी फसल की उपज अथवा पैदावार को पहले से अधिक प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए सबसे आसान उपाय यही है कि किसान भाई उपलब्ध संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए किसानी और खेती के लिए वैज्ञानिक तथा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें । यहां कार्यशाला में जो कुछ भी किसान भाइयों ने अपनी आंखों से देखा और आपस में चर्चा करते हुए इस बात को समझा भी किस प्रकार से सरसों की उपज अथवा पैदावार बीते वर्षाे के मुकाबले अतिरिक्त प्राप्त की गई है । यह कार्य कोई भी किसान आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक अपनाते हुए विश्वसनीय कंपनियों के बीज अपने खेतों में फसल उपजाने के लिए इस्तेमाल करने की पहल करें। किसान दाताराम और सुरेंद्र के मुताबिक उन्हें उस समय भरोसा हुआ जब अपने हाथों से और अपनी आंखों के सामने बिजाई की गई सरसों को निकालने के बाद उसका वजन किया गया । वास्तव में पहले के मुकाबले इस बार अधिक सरसों प्रति एकड़ प्राप्त करने में सफल रहे हैं। 

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