रेवाड़ी प्रशासन जमीन अधिग्रहण करने व सम्बन्धित किसानों को शीघ्र मुआवजा देने का दावा ठोकता है, फिर अगले ही दिन पता चलता है कि जमीन अधिग्रहण में फिर कोई नया पेंच आ गया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब से साफ है कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के प्रति हरियाणा भाजपा सरकार जमीन अधिग्रहण मामले में वह गंभीरता व तत्परता नही दिखा रही हैे जिसका दिखावा मीडिया बयानों में किया जाता है।

30 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि मंगलवार को कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा के एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के लिए अभी तक हरियाणा सरकार की ओर से जमीन उपलब्ध नही करवाई गई है और जब तक जमीन उपलब्ध नही होती, निर्माण कार्य प्रक्रिया आगे नही बढ़ सकता। विद्रोही ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब से साफ है कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के प्रति हरियाणा भाजपा सरकार जमीन अधिग्रहण मामले में वह गंभीरता व तत्परता नही दिखा रही हैे जिसका दिखावा मीडिया बयानों में किया जाता है। जब भी मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के लिए प्रस्तावित जमीन का मुद्दा उठता है तो हरियाणा सरकार व रेवाडी जिला प्रशासन मीडिया में असली तथ्य सामने आने से रोकने के लिए सत्ता दुरूपयोग से ऐसी मांग के बयानों को दबाकर अपनी प्रायोजित खबरे परोसकर शीघ्र एम्स निर्माण के दावे ठोक देता है, लेकिन यह यह नही बताता है कि वह शीघ्र समय आयेगा कब?

जब भाजपा सरकार एम्स निर्माण से पहले ही कदम जमीन अधिग्रहण में इतनी अनावश्यक देरी कर रही है तो सहज अनुमान लगा ले कि सरकार-प्रशासन की मनेठी-माजरा एम्स निर्माण प्रतिबृद्धतो में कमी है और भाजपा सरकारे इस पर काम कम राजनीति ज्यादा कर रही है। रेवाड़ी प्रशासन जमीन अधिग्रहण करने व सम्बन्धित किसानों को शीघ्र मुआवजा देने का दावा ठोकता है, फिर अगले ही दिन पता चलता है कि जमीन अधिग्रहण में फिर कोई नया पेंच आ गया। विगत एक साल से यही खेल हो रहा है। किसी ने किसी तकनीकी बहाने को आधार बनाकर एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का अधिग्रहण करने व उस जमीन का मुआवजा किसानों को देने का मामला लटकाया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब भाजपा सरकार व उसके प्रशासन का एम्स के लिए प्रस्तावित माजरा की जमीन की स्थिति  क्या है और उस जमीन की रजिस्ट्री एम्स के नाम पर करने में क्या-क्या समस्याएं है? जब तक एकबार में यह जानकारी भी प्रशासन नही जुटा पा रहा तो सरकार व प्रशासन की नीयत पर सवाल उठना स्वभाविक है।

विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा सरकार की नीयत साफ है और वे मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है तो जमीन को लेकर मामले को इस तरह नही उलझाते। किसानों से सीधी जमीन खरीदने की नौटंकी करने की बजाय यदि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून के तहत आवश्यक जमीन अधिग्रहित करती तो एम्स के लिए कभी की जमीन उपलब्ध हो जाती। लेकिन किसानों की जमीन सस्ती हडपने व उन्हे भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत मुआवजा देने के हक को मारने के लिए मुख्यमंत्री खट्टर ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत जमीन अधिग्रहण को इस तरह उलझाया जिससे जमीन अधिग्रहण में देरी हो और मामला लटकाया जा सके।

सरकार एम्स बनाना भी नही चाहती व मनेठी-माजरा में एम्स न बनाने की जवाबदेही अपने सिर भी नही लेना चाहती। जमीन अधिग्रहण मामले का सारा ठीकरा अहीरवाल के लोगों के माथे पर मंढकर खुद चालाकी से भागना चाहती है जिसके चलते प्रस्तावित जमीन पर कोई न कोई नया पेंच फंसाकर जान-बूझकर मामले को लटका रही है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से मांग की कि मनेठी-माजरा एम्स निर्माण के नाम पर लोगों को भावनात्मक रूप से ठगने की बजाय अपनी स्थिति स्पष्ट करे और यदि वे ईमानदार व सच्चे-सुच्चे है तो एम्स जमीन अधिग्रहण की एक निश्चित तारीख तय करके सभी औपचारिकताएं पूरी करके प्रस्तावित जमीन की रजिस्ट्री एम्स के नाम पर करवाकर कम से कम एम्स निर्माण का पहला कदम तो पार करे। 

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