परिक्रमा पदयात्रा द्वारा ही संभव होगी वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 28 मार्च : कुरुक्षेत्र तीर्थो की अष्टकोसी परिक्रमा वीरवार, 31मार्च को सुबह 5 बजे ब्रह्मा जी की जन्मस्थली नाभी कमल तीर्थ कुरुक्षेत्र से आरंभ होगी। यह जानकारी देते हुए प्राचीन तीर्थ नाभी कमल मंदिर दर्रा खेड़ा के महंत विशाल मणिदास ने बताया कि यह अष्टकोसी परिक्रमा ( 24 किलोमीटर ) मंदिर से आरंभ होकर सायं 7 बजे इसी मंदिर में संपन्न होगी। नाभिकमल तीर्थ से शुरू होकर यह तीर्थ यात्रा सोम तीर्थ कार्तिकेय मंदिर ( ओजस तीर्थ ) बाहरी, स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर, ब्रह्मामंदिर, दधिची तीर्थ, कुबेर तीर्थ, परशुराम तीर्थ, खीर सागर, नंदी – भौजी तीर्थ, सरस्वती तीर्थ खेड़ी मारकंडा, जिला कारागार के पीछे स्थित वृद्ध कन्या तीर्थ, रंतुक यक्ष ( ठाकुरद्वारा रत्नदक्ष पिपली ), शिव मंदिर पलवल, औघड़ तीर्थ, बाण गंगा दयालपुर, अपगया तीर्थ ( कर्ण का टिल्ला ), भीषम कुंड नरकातारी तीर्थों पर जाएगी। इसके पश्चात नाभीकमल तीर्थ में यह यात्रा संपन्न होगी। सायं 7 बजे नाभि कमल मंदिर में आरती के पश्चात प्रसाद वितरित होगा। जगह – जगह तीर्थ यात्रा का स्वागत किया जाएगा। इस तीर्थ यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि चैत्रकृष्ण चतुर्दशी को होने वाली इस तीर्थ यात्रा के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि जो व्यक्ति इस यात्रा का संकल्प करता है अथवा इस यात्रा में शामिल लोगों की सेवा करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। बड़े ही पुण्यों के प्रताप से इस दुर्लभ यात्रा का अवसर मिलता है इसलिए इस यात्रा में बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए। Post navigation प्रोफेसर राजवीर सिंह यादव राष्ट्रीय राजनीति वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित संतों और महात्माओं के दिखाएं मार्ग पर चलकर संवार सकते है जीवन को : सुधा