सेना में जातियों के नाम से बनी सभी रेजीमेेंट समाप्त की जाये या देश की रक्षा के लिए सेना में रहकर सर्वोच्च कुर्बानी देने में सदैव आगे रहने वाली अहीर जाति के शौर्य के सम्मान करने खातिर अहीर रेजीमेंट का भी गठन किया जाये। विद्रोही

22 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने प्रधानमंत्री मोदीजी से मांग की कि क्या तो सेना में जातियों के नाम से बनी सभी रेजीमेेंट समाप्त की जाये या देश की रक्षा के लिए सेना में रहकर सर्वोच्च कुर्बानी देने में सदैव आगे रहने वाली अहीर जाति के शौर्य के सम्मान करने खातिर अहीर रेजीमेंट का भी गठन किया जाये। विद्रोही ने कहा कि देशभर के अहीर-यादव समाज के लोग वर्षो से अहीर-यादव रेजीमेंट बनाने की मांग कर रहे है, विभिन्न सरकारों ने देश के सबसे बड़े कृषक समूह अहीर-यादव समाज की तर्कपूर्ण व जायज मांग की ओर ध्यान नही दिया। अब हरियाणा में अहीर रेजीमेंट बनाने के लिए आमजन काफी समय से धरना-प्रदर्शन कर रहे है, लेकिन मोदी सरकार अहीर-यादवों की इस जायज मांग के प्रति ठंडा व उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है।

विद्रोही ने कहा कि वैसे तो 1931 के बाद देश में जातिगत जनगणना नही हो रही है, लेकिन यदि 1931 की जनगणना को आधार बनाकर अनुपातिक अनुमान लगाया जाये तो पूरे भारत में अहीर-यादवों की एक जाति के रूप में सबसे ज्यादा जनसंख्या है। देश में सिंगल लार्जस्ट जाति अहीर-यादव को सेना में अहीर रेजीमेंट से वंचित करना किसी भी तरह तर्कसंगत व न्यायसंगत नही है। अहीर-यादव रेजीमेंट न बनाना पिछले 200 वर्षो से सेना-युद्धों में अहीर जाति की दी गई कुर्बानिया, शौर्य, युद्ध कौशल का अपमान है। विद्रोही ने युद्ध इतिहास में अहीर-यादव जाति के इतिहास, शौर्य, कुर्बानियों का अध्ययन करने के बाद हर कोई स्वीकार करेगा कि सेना युद्धों में एक सैनिक के रूप में अहीरों-यादवों का कोई तोड नही। यदि सरकार पुराने इतिहास को नही खंगालना चाहती है तो फिर आधुनिक सैनिक युद्धों के इतिहास का ही अवलोकन कर ले। 

विद्रोही ने कहा कि प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध, 1947-48 का कश्मीर बार्डर पर पाकिस्तान से अघोषित युद्ध, 1962 चीन युद्ध, 1965 व 1971 पाकिस्तान युद्ध, 1999 का कारगिल युद्ध में अहीर-यादव जाति की कुर्बानी व शौर्य की तुलना में सेना में जिन जातियों की रेजीमेंट बनी है, उन जातियों के शौर्य से सरकार तुलना कर ले तो अहीर-यादव जाति के नाम से सेना रेजीमेंट बनी अन्य जातियों से कहीं भी कम नही अपितु युद्धों में शौर्य मेडल, वीरता, प्रदर्शन, कुर्बानी देने में आगे रही है। जब अहीर-यादव जाति कुर्बानी, शौर्ये, युद्ध कौशल, सेना मेडलों में अन्य जातियों से किसी भी तरह कम नही तो अहीर-यादव रेजीमेंट न बनाना उनके साथ अन्याय व भेदभाव नही तो क्या है। विद्रोही ने केन्द्र सरकार से मांग की कि अब समय आ गया है कि जब सेना में अहीर-यादव को उनके योगदान, बलिदान, शौर्य के अनुरूप सम्मान मिले और यह तभी संभव है जब अहीर-यादव जाति के नाम पर सेना में रेजीमेंट बने और यदि सरकार अहीर-यादव रेजीमेंट नही बनाती है तो अन्य जातियों के नाम पर बनी सेना रेजीमेंटों को भी खत्म किया जाये।

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