एससी एवं एसटी के लंबित मामलों का जल्द निपटारा के दिए निर्देश.
जून-2010 से लेकर 31 अगस्त 2021 तक 362 मामले दर्ज किए.
मामला दर्ज होते ही सूचना जल्द से जल्द संबंधित विभाग तक पहुंचे.
80 हजार से 8. 25 लाख  तक के मुआवजे सहित सजा का प्रावधान

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
गुरूग्राम के डीसी निशांत कुमार यादव ने अपने कार्यालय में जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी कमेटी की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम, 1989 तथा मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुर्नवास अधिनियम 2013 के तहत जिला में लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए उपस्थित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

डीसी ने कहा कि इस एक्ट का उद्देश्य पीड़ित वर्ग को ना केवल कानूनी सहायता उपलब्ध करवाना है बल्कि उनकी आर्थिक मदद करना है। उन्होंने बैठक में उपस्थित पुलिस के अधिकारियों से कहा कि इस एक्ट की प्रभावी ढंग से पालना के लिए जरूरी है कि थाने में मामला दर्ज होते ही इसकी सूचना जल्द से जल्द संबंधित विभाग तक पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त उपरोक्त वर्णित एक्ट के संबंध में साप्ताहिक रिपोर्ट जिला कल्याण अधिकारी को भिजवाना सुनिश्चित करें ताकि पीड़ित व्यक्ति की नियमानुसार सहायता की जा सके। जिला कल्याण अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि अनुसूचित जाति के लोगों पर जाति सूचक शब्दों का प्रयोग , मारपीट , अत्याचार की रोकथाम के लिए 80 हजार रूपये से 8 लाख 25 हजार रूपये तक के मुआवजे सहित सजा का प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत पीड़ित पक्ष को राशि तीन किश्तों में दी जाती है जिनमें से पहली किश्त मामला दर्ज होने पर, दूसरी किश्त चार्जशीट होने पर तथा तीसरी किश्त आरोपी को सजा मिलने पर पीड़ित को दी जाती है।

बैठक में जिला कल्याण अधिकारी राकेश कुमार ने एक्ट के तहत जिला में लंबित मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस एक्ट के तहत जून-2010 से लेकर 31 अगस्त 2021 तक 362 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से अब केवल 25 मामले लंबित है जिनका जल्द से जल्द समाधान करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उपायुक्त ने बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि जिला कल्याण अधिकारी लंबित मामलों का अपने स्तर पर नियमानुसार जल्द से जल्द कार्यवाही करवाना सुनिश्चित करें ताकि वह विभाग की ओर से लंबित ना रहे। इसके अलावा, उन्होंने जिला में एक्ट के तहत रजिस्टर की जाने वाली एफआईआर के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।

इसके अलावा , बैठक में मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुर्नवास अधिनियम 2013 की प्रभावी ढंग से पालना पर भी विचार विमर्श किया गया। जिला कल्याण अधिकारी ने बताया कि इस अधिनियम के तहत यदि किसी सफाई कर्मचारी की सीवर सफाई के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितों को 10 लाख रूप्ये की वित्तीय सहायता संबंधित विभाग या कंपनी द्वारा दी जाती है। इस अधिनियम के तहत सफाई कर्मियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए शिविर भी आयोजित किए जाते हैं। बैठक में एसीपी अशोक सहित कई अन्य विभागों के अधिकारीगण व कमेटी के सदस्य उपस्थित थे। 

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