आज हरियाणा पर विभिन्न बैंकों व वित्तिय संस्थानों का 2.43 लाख करोड़ रूपये का कर्ज बोझ है, जिसकी ब्याज राशी चुकाने पर ही प्रदेश की कुल बजट का एक तिहाई खर्च हो जाता है : विद्रोही
जब मुख्यमंत्री केे खुद के निर्वाचन क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा ही नियुक्त किये अधिकारी ही बेलगाम होकर खुली लूट कर रहे है तो शेष हरियाणा की क्या हालत होगी: विद्रोही

21 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि भाजपा राज आने से पहले हरियाणा पर जो 70 हजार करोड़ रूपये का कर्ज बोझ था, उसे भाजपा-खट्टर सरकार ने विगत सात सालों में बढाकरे 2.43 लाख करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया है। विद्रोही ने कहा कि आज हरियाणा पर विभिन्न बैंकों व वित्तिय संस्थानों का 2.43 लाख करोड़ रूपये का कर्ज बोझ है, जिसकी ब्याज राशी चुकाने पर ही प्रदेश की कुल बजट का एक तिहाई खर्च हो जाता है। बजट के बचे दो तिहाई पैसों में से आधे से ज्यादा पैसा सरकारी कर्मचारियों के वेतन व सरकार के दैनिक खर्चो में चला जाता है। ऐसी स्थिति में विकास के नाम पर बहुत थोडा सा पैसा बचता है और इस बचे पैसे का एक तिहाई हिस्सा सत्ताधारी नेता, अफसरों व सत्ता के दलालों में रिश्वत के रूप में बंदर बाट करके हजम कर लिया जाता है। इस तरह प्रदेश में जो भी व्यक्ति रहता है, उस पर 88647 रूपये का कर्ज बोझ है। 

विद्रोही ने कहा कि सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि विगत सात-आठ सालों में भाजपा खट्टर सरकार द्वारा लिए गए लगभग 1.73 लाख करोड़ रूपये का कर्ज किस मद में खर्च हुआ, आम हरियाणवी तो यह जानता ही नही क्योंकि हरियाणा में पहले से ही स्वीकृत केन्द्रीय सड़क परियोजनाओं के अलावा कोई बड़ा प्रोजेक्ट खट्टर राज में लगा हो, यह जमीन पर तो दिखता नही। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर विगत सात सालों से ईमानदार, पारदर्शी, भ्रष्टाचार रहित सरकार चलाने का जुमला उछालते आ रहे है जबकि खुद के निर्वाचन क्षेत्र करनाल में अधिकारी जमकर भ्रष्टाचार, रिश्वत, अवैध वसूली कर रहे है। जब मुख्यमंत्री केे खुद के निर्वाचन क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा ही नियुक्त किये अधिकारी ही बेलगाम होकर खुली लूट कर रहे है तो शेष हरियाणा की क्या हालत होगी, यह बताने की जरूरत नही। 

विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणो अहीरवाल की तो यह हालत है कि एक ओर विकास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नही मिलता, हर घोषित परियोजना इस सरकार द्वारा घोषित हो या पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय में शुरू हुई हो, सभी पर कछुआ गति से काम चल रहा है क्योंकि सरकार उन्हे पूरा करने के लिए पैसा नही दे रही है। और टुकडों में विकास परियोजनाओं के लिए जो थोडा बहुत पैसा मिलता है, वो सरकारी अधिकारी, सत्ता के दलाल व सत्तारूढ़ संघीयों की तिकडी मिलकर हडप लेते है। अहीरवाल क्षेत्र लूट के मामले में अधिकारियों व संघीयों के लिए कामधेनू गाय की तरह है, जहां मनमानी लूट हो रही है। यहां के चुने हुए जनप्रतिनिधि इतने बौने, दब्बू है कि वे न तो अधिकारियों की लूट के खिलाफ बोलने व उस लूट को रोकने की हिम्मत दिखाते है और न ही उनमें मुख्यमंत्री खट्टर द्वारा इस क्षेत्र के साथ राजनीतिक कारणों से किये गऐ जा रहे सौतेले व्यवहार के खिलाफ मुंह खोलने का दम है। यहां के चुने हुए जनप्रतिनिधि क्षेत्र हित के लिए लडने की बजाय मुख्यमंत्री की चापलूसी करके अपने निजी हित पूरे करने को ही क्षेत्र का विकास व सबसे बडा जनहित समझते है। भाजपा राज में विकास, ईमानदारी, पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे तो किये जाते है, लेकिन काम ठीम उसके उल्ट होता है। 

विद्रोही ने कहा कि एक ओर तीन काले कृषि कानून वापिस लेकर किसानों को ठगा गया, वहीं दूसरी ओर हरियाणा में भाजपा खट्टर सरकार ने सरकारी खरीद की बजाय 15 मार्च से कुरूक्षेत्र, कैथल की आधा दर्जन से ज्यादा मंडियों में किसानों से गेंहू की सरकारी खरीद न करने का फरमान जारी करके किसानों को रबी फसल 2022 का अपना गेंहू अडानी की कम्पनी को सीधे देने का आदेश दे दिया जो बताता है कि भाजपा सरकार कितनी लुटेरी व पंूजीपति हित साधने वाली जनविरोधी सरकार है।

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