एक नहीं सौ कश्मीर फाइल्स फ़िल्म बनाओ, लेकिन उजड़े हुए घर तो बसाओ : सुनीता वर्मा

कश्मीर फाइल्स फिल्म ने आपको रुला दिया लेकिन आदिवासियों और दलितों पर बरसों से हो रहे जातिय अत्याचार पर आपकी आंखों का पानी क्यों सूख गया

पटौदी – 18/3/2022 :- ‘कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में किसी प्रकार की बहस नही होनी चाहिए क्योंकि इससे आपसी भाईचारे एवं सद्भाव का माहौल बिगड़ता है, तत्कालीन परिस्थितियों में क्या हालात थे, उस पर वर्तमान में विवेचना को उचित नहीं कहा जा सकता। उस समय कश्मीर से हिन्दुओं का जो पलायन हुआ उसका दर्द सभी को हुआ था, सभी ने त्रासदी झेली थी, चाहे वो किसी भी धर्म व सम्प्रदाय के हों। फिल्म के नाम पर जो माहौल बनाया जा रहा है, उससे हिन्दु-मुस्लिम सहित विभिन्न धर्मों के बीच खाई और बढ़ेगी, जो किसी भी प्रकार से देशहित में नहीं है। उक्त बातें महिला कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही, उन्होनें कहा कि बीजेपी के सत्ता में रहते कश्मीर से पलायन को मजबुर हुये हिन्दुओं की पीड़ा पर राजनीति कर रही ये मोदी सरकार बताए की बस्तर आदिवासियों पर हुये अत्याचार और देशभर में दलितों के साथ हो रहे जातिय शोषण व गुजरात, भागलपुर, मुजफ्फरनगर दंगों तथा मुरादाबाद ईदगाह काण्ड पर फिल्म कब बनेगी?’

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि 1990 में कश्मीर में जो हुआ वो दर्दनाक था व इसे कतई सही नही ठहराया जा सकता किन्तु अब उन विस्थापितों को वापिस बसाने की बातें न करके उस पर नफरत भरी राजनीति करना भी आज सही नही है।

वर्मा ने कहा कि अब जब कश्मीर की फाइल खुल ही गई है तो ये भी स्पष्ट हो जाना चाहिए कि 1990 में केंद्र में किसकी सरकार थी? किसके समर्थन से बनी थी ? और कश्मीर में गवर्नर कौन था ? और ये कश्मीरी पंडित ही क्यूं कहा जा रहा है, कश्मीरी हिन्दू क्यों नहीं ? उन्होनें कहा की फिल्म देखने वाले दर्शकों को भी इन सवालों के जवाब तलाशने चाहिए की किस राजनीतिक पार्टी के सत्ता में रहते कश्मीरी हिन्दुओं को इस वीभत्स दौर की मर्माहंत पीडा से गुजरना पडा?

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि कश्मीर फाइल्स से पहले ‘शूद्रदराइजिंग’ जैसी फिल्में भी बन चुकी हैं। ‘कश्मीर फाइल्स’ देखकर जिनके आंसू नहीं रुक रहे, ‘शूद्र द राइजिंग’ ‘आर्टिकल15’ और ‘जय भीम’ जैसी फिल्में देखकर उनका कलेजा फट जाना चाहिए…क्योंकि देश में दलित और आदिवासी लोग सबसे ज्यादा वंचित, शोषित और उत्पीड़ित लोग हैं। उन्होनें कहा की इनके साथ रेप और हत्याओं के साथ-साथ इन्हें अपनी ही जमीन से बेदखल किया जाता है। नक्सल मिटाने के नाम पर, खनन करने के नाम पर, अभयारण्य में जानवरों की सुरक्षा के नाम पर, बांध के नाम पर।

कांग्रेस नेत्री ने कहा की हाथरस काण्ड पर भी मूवी बनाते और कौन लोग भारत में स्तन टैक्स लेते थे इस पर भी मूवी बनाते। उन्होनें कहा की आटा छू लेने पर हत्या, मूछें रखने पर हत्या, शादी में घोड़ी चढ़ने पर हत्या, अच्छे कपडे पहनने पर, मन्दिर में कदम रखने पर हत्या, क्या इन अत्याचारों से पीड़ित लोगों के शोषण पर भी फिल्म बनेगी? उन्होनें कहा कि गुजरात में 5हजार लोगों को, नोटबन्दी में 135 लोगों को, गंगा में तैरती लाशों को तथा काले कृषि कानुन से 750 किसानों को मरते देखा है और जिम्मेदार एक ही व्यक्ति है कोई मूवी बनाएगा?

वर्मा ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों द्वारा इस फिल्म को टैक्स फ़्री करके लोगों को ये फिल्म दिखा कर उन कश्मीरी विस्थापितों से इनका सहानुभूति जताने का मकसद नही है बल्कि ये लोग इस फिल्म से नफरत का दायरा बढ़ाना चाहते हैं ताकी इनकी बांटने वाली राजनीति फल फुल सके, 8 साल से केंद्र में बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार है व कश्मीर से धारा 370 हटा चुके है लेकिन कश्मीरी पंडित वापिस कश्मीर में स्थापित नहीं हो पा रहे है।

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