जो चर्चा कयास थे वही हुआ….?
गठबंधन विधायकों के सुर बदले, हुए मुखर
केजरीवाल ने ठुकराया पूर्व सीएम हुड्डा का ऑफर !
क्या केजरीवाल ने चौधरी वीरेंद्र सिंह डूमरखा को अहमियत दी?
हरियाणा की राजनीति में पंजाब चुनाव में मिली आम आदमी पार्टी की विशाल जीत के बाद उठापटक शुरू 

अशोक कुमार कौशिक

 पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद हरियाणा के बड़े-बड़े नेताओं की महत्वकांक्षा अब उबाल लेने लगी हैं। कुर्सी की मोह में नेता अब किसी हद तक जाने को तैयार है। कुर्सी की लड़ाई ने लंबे समय से हाशिए पर पड़े राजनेताओं की अपेक्षाएंअब आप पार्टी को लेकर हिलोरे लेने लगी है। भविष्य में सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के सरल रास्ते की आश ने हरियाणा में केजरीवाल का कुनबा को तेजी से आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस,भाजपा, इनलो, जेजेपी से मोह भंग कर अब सत्ता लोलुप आप में धड़ाधड़ शामिल हो रहे है। हरियाणा के 15 पूर्व विधायक, मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता सहित आम आदमी पार्टी में शामिल होने वालों में गुरुग्राम से पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल, समालखा से पूर्व विधायक रविन्द्र मछरौली, पूर्व मंत्री बलबीर सैनी और पूर्व मंत्री बिजेंद्र बिल्लू भी शामिल हैं। सियासी जमीन कही दरक न जाए इसलिए गठबंधन दल के विधायक भी अपने सुर बदलने लगे हैं और इलाके में अपना वजूद कायम रखने के लिए अब सवाल करने लगे हैं। भाजपा विधायक डॉक्टर अभय सिंह यादव, यमुनानगर घनश्याम दास अरोड़ा, इंद्री से विधायक राजकुमार,जजपा विधायक राजकुमार गोतम तथा पुंडरी विधायक मोहनलाल बरौली  ने मंगलवार को विधानसभा में सरकार पर अपने हल्के के मुद्दों को लेकर सवाल दागे।

आम आदमी पार्टी के हरियाणा में बड़ी सियासी ताकत बनने की संभावना को भांपकर हरियाणा के पूर्व मंत्री बलबीर सैनी (पेहवा)ने बीजेपी को छोड़कर, पूर्व मंत्री बिजेंद्र बिल्लू (पानीपत ग्रामीण) कांग्रेस को छोड़कर, पूर्व विधायक उमेश अग्रवाल (गुरुग्राम) बीजेपी को छोड़कर और पूर्व विधायक रविंद्र मच्छरौली (समालखा) बीजेपी को छोड़कर आप पार्टी में शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि तीन दर्जन से अधिक नेताओ ने आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए अपना जुगाड़ तंत्र सक्रिय कर दिया है। इन हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि हरियाणा की सियासत बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है।

समालखा के पूर्व विधायक रवीन्द्र मच्छरौली और नौल्था से पूर्व विधायक बिजेंद्र उर्फ बिल्लू कादियान ने झाड़ू उठा ली। मच्छरौली तो समालखा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। दूसरी तरफ बिल्लू कादियान पानीपत की ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ने के दावेदार थे, वह कांग्रेस में थे। रवीन्द्र मच्छरौली ने 2014 में आजाद चुनाव जीता था। इसके बाद भाजपा को समर्थन दे दिया था। उन्हें लगा था कि समालखा से भाजपा उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मच्छरौली गांव के रहने वाले हैं,जाट नेता है। समालखा सीट से उन्होंने भाजपा की हवा के बीच जीत दर्ज की थी। पानीपत की चार में से तीन सीट भाजपा के खाते में गईं, लेकिन समालखा में मच्छरौली ने भाजपा का विजय रथ रोक लिया, आजाद जीते। भाजपा पूर्ण बहुमत में आई थी। सो, उन्होंने बिना शर्त भाजपा को समर्थन दे दिया। 2019 के चुनाव में जब 75 पार का नारा लगा, बहुमत भाजपा की ओर जाता दिखा तो मच्छरौली को लगा था कि भाजपा उन्हें टिकट देगी। लेकिन उनकी जगह शशिकांत कौशिक को टिकट मिला। कौशिक जीत नहीं सके। कुछ दिनों से मच्छरौली ने सक्रियता बढ़ा ली थी। भाजपा छोड़कर दूसरे दल में जाने की चर्चा होने लगी थी। पंजाब चुनाव का इंतजार था। परिणाम आते ही मच्छरौली आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। समालखा से टिकट के लिए उनका दावा होगा।

बिल्लू कादियान दबंग नेता माने जाते हैं। हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव लड़कर जीते थे। बाद में इस पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया था। तब से कांग्रेसी ही हैं। पानीपत ग्रामीण सीट से टिकट के दावेदार हैं। कांग्रेस में गुटबाजी की वजह से खुद को असहज महसूस कर रहे थे। केजरीवाल से बात करके पार्टी में शामिल हो गए।

बीजेंद्र सिंह हरियाणा कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, सोहना से बीएसपी से चुनाव लड़कर 40,000 वोट लेने वाले जावेद अहमद, राजकुमार पूर्व चीफ व्हिप कांग्रेस ( 1991 में चुनाव लड़ चुके है) हरियाणा कांग्रेस के पूर्व मेंबर, अंबाला से बीएसपी के सांसद उम्मीदवार रहे डॉक्टर कपूर सिंह, संदीप कुमार गोयल, जगाधरी यमुनानगर से संजय शर्मा, टोहाना से बीएसपी का कैंडिडेट रहे, अब आम आदमी पार्टी में (2021 तक कांग्रेस में भी रहे), गोहाना से पत्रकार देवेंद्र सैनी, विजयपाल गुलिया (बादली से चुनाव लड़ चुके है, बीजेपी किसान मोर्चा के सदस्य), सुरेंद्र दहिया (पानीपत से है, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी और राजस्थान का किसान कांग्रेस के सदस्य) ,मनीष खत्री- प्रधान,  झाड़ू पकड़ चुके है।

इसी कड़ी में चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखा, राव इंदरजीत सिंह के बाद चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के केजरीवाल संपर्क को लेकर हरियाणा की राजनीति में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे है। कल तक अपने को सिरमौर कहने वाले यह नेता अब राजनीति में जूनियर का पल्लू थामने पर विवश हो रहे है। कुछ ने कुर्सी के लिए पहले कांग्रेस को छोड़ा, अब भाजपा को छोड़ने के चक्कर में है। वही चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा कभी नई पार्टी बनाने का सुफगा छोड़ते हैं तो कभी केजरीवाल से गुटर गूं करते नजर आते हैं।

हरियाणा में आपके बढ़ते प्रभाव को लेकर गठबंधन सरकार के विधायको के सुर अपनी ही सरकार पर मुखर हो रहे है। कल विधानसभा में दादा राजकुमार गोतम ने झाड़ू से बचने की नसीब दे डाली। वही नांगल चौधरी से भाजपा विधायक अभय सिंह ने अपने हलके में स्टोन क्रेशर को लेकर सरकार को घेरा! यमुनानगर से भाजपा के विधायक घनशाम दास ने संस्कृति मॉडल्स स्कूलों में स्टॉप की कमी पर सरकार को घेरा। वही इंद्री के विधायक राजकुमार का अपने विधानसभा क्षेत्र में महिला कॉलेज की मांग उठाई। राई के विधायक मोहनलाल बरौली ने योजना को लेकर सरकार को घेरा। इस विधानसभा सत्र की कार्रवाई में गठबंधन दल के विधायकों के सुर कहीं इसलिए तो बदल नहीं रहे कि उनके विधानसभा क्षेत्र में उनकी सियासी जमीन दरक न जाए। शायद बदलते परिवेश के चलते वह अपने वजूद को बचाने और जनता हितेषी होने के उद्देश्य से वह मुखर होते दिखाई दिए।

मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा पुत्र मोह में 13 मार्च की रात 12 बजे केजरीवाल के निवास पर पहुंचे थे। पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने और 30 सीटों पर उम्मीदवार लड़ाने की शर्त पर आम आदमी पार्टी में शामिल होने की शर्त रखी है। उस मीटिंग में संजय सिंह भी मौजूद थे। हरियाणा के प्रभारी सुशील गुप्ता से भूपेंद्र हुड्डा का छत्तीस का आंकड़ा है, जिसकी वजह से हुड्डा ने उन्हें बाईपास करके सीधे केजरीवाल से मुलाकात की है। पता चला है कि भूपेंद्र हुड्डा की तरफ से दिए गए इस ऑफर को केजरीवाल ने जरा भी समय ना लगाते हुए सिरे से खारिज कर दिया।

चौधरी भूपेंद्र सिंह के रास्ते की दूसरी रुकावट चौधरी वीरेंद्र सिंह डूमरखा तथा राव इंद्रजीत सिंह बताए जा रहे हैं। अभी तक राव राजा की ओर से आप पार्टी को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। पर यह चर्चा जोरों पर है कि उनका चौधरी वीरेंद्र सिंह डुमरखान के साथ अच्छा तालमेल है। 25 मार्च को चौधरी बिरेंदर सिंह के जन्मदिन पर एक समारोह होना है जिसमें केजरीवाल आ रहे हैं। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि इस अवसर पर चौधरी बिरेंदर सिंह की तरफ से बहुत बड़े चेहरे और भीड़ अपने साथ दिखाये जाने की संभावना है। 

बताया जा रहा है की केजरीवाल ने हुड्डा से कहा कि पार्टी में शामिल होने पर स्वागत है, लेकिन कोई शर्त मान्य नहीं होगी। सीएम फेस, टिकटों का निर्धारण व उम्मीदवार समय और जरूरत के हिसाब से तय होंगे। सूचना तो यह भी है कि हुड्डा परिवार ने 3 दिन पहले ही टीम दीपेंद्र को यह हिदायत दे दी थी कि आम आदमी पार्टी के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ भी अनर्गल नहीं लिखना है। पिता-पुत्र को अलग पार्टी बनाने से ज्यादा आसान रास्ता आम आदमी पार्टी में शामिल होना लग रहा था। क्या पिता-पुत्र कॉंग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी में केजरीवाल की शर्तों पर शामिल होना स्वीकार करेंगे या फिर कांग्रेस के खात्मे का इतंजार पार्टी के भीतर रहकर ही करेंगे। या फिर कांग्रेस के भीतर रहकर सुनहरे भविष्य की उम्मीद लगाए बैठे रहेंगे। इसका निर्धारण समय करेगा।