मुख्यमंत्री खट्टर सच्चे-सुच्चे व ईमानदार व्यक्ति है तो वे प्रदेश में हो रहे अवैध खनन, पहाडी व वन क्षेत्र की जमीनों पर किये गए अवैध कब्जों की स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच करवाने से क्यों भाग रहे है? विद्रोही
जब डाडम माईन के अकेले ठेके में ही सरकार को 22 करोड़ 88 लाख रूपये का राजस्व चूना लगा हो तो अन्य सभी खनन ठेकों को मिलाकर प्रदेश में कितनी भारी राजस्व लूट हुई होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। विद्रोही

15 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा विधानसभा में डाडम माईन हादसे व प्रदेश में हो रहे अवैध खनन मामले में कांग्रेस की स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच की मांग से भागकर मुख्यमंत्री खट्टर ने एक तरह से खुद ही साबित कर दिया कि भाजपा-जजपा सरकार डाडम माईन हादसे व अवैध खनन के मामले का सच सामने लाने की बजाय सत्ता दुरूपयोग से सच को दबाना व छुपाना चाहती है। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर का यह रवैया इस आरोप की पुष्टि करता है कि प्रदेश में अवैध खनन संघी सरकार की सरपरस्ती में हो रहा है और अवैध खनन माफिया व सत्तारूढ संघीयों में भारी सांठगांठ है। भाजपा की सत्ता आने के बाद विगत सात सालों में प्रदेश में पत्थर, रेत, बजरी का अवैध खनन बढ़ा है। अवैध खनन करके संघीयों ने खनन माफिया से मिलकर ना केवल करोडों रूपये के वारे-न्यारे किये है अपितु दक्षिणी हरियाणा में पहाडी व वन क्षेत्र को अवैध खनन करके समतल करके उस जमीन पर भी भू-माफिया से मिलकर कब्जा भी किया है। मुख्यमंत्री खट्टर ने विधानसभास में खुद स्वीकारा है कि डाडम माईन का खनन ठेका देने में हरियाणा सरकार को 22 करोड 88 लाख रूपये के राजस्व का चूना लगा है।

विद्रोही ने आरोप लगाया कि जब डाडम माईन के अकेले ठेके में ही सरकार को 22 करोड़ 88 लाख रूपये का राजस्व चूना लगा हो तो अन्य सभी खनन ठेकों को मिलाकर प्रदेश में कितनी भारी राजस्व लूट हुई होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। भाजपा खट्टर सरकार राज आने के बाद संघीयों ने बजरी, रेत, पत्थर से अवैध खनन व पहाडी व वन क्षेत्र की जमीनों पर अवैध कब्जों द्वारा अरबों रूपये के वारे-न्यारे किये है। इसका जीता जागता प्रमाण विगत सात सालों में फटेहाल भाजपाई-संघीयों के पास आई अपार दौलत व सत्ता दुरूपयोग से कार्यालय कम रेस्ट हाऊस के रूप में अरबों रूपये की भाजपा-संघ के भवन सबके सामने है।

सवाल उठता है कि फटेहाल, भूखे व नंगे संघीयों के पास 7 साल में अपार दौलत कहां से आई और भाजपा-संघीयों के स्वामित्व वाले अरबों रूपये के भवन कहां से खड़े किये गए? विद्रोही ने सवाल किया कि यदि मुख्यमंत्री खट्टर सच्चे-सुच्चे व ईमानदार व्यक्ति है तो वे प्रदेश में हो रहे अवैध खनन, पहाडी व वन क्षेत्र की जमीनों पर किये गए अवैध कब्जों की स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच करवाने से क्यों भाग रहे है? पारदर्शिता से सरकार चलाने का दावा करने वाले खट्टर जी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से अवैध खनन, पहाडी, वन क्षेत्र की जमीनों पर अवैध कब्जों की स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच करवानेे की चुनौती स्वीकारने से क्यों डरते है?

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