सदन में वरिष्ठ नेता रघुवीर कादियान का आचरण निंदनीय ठहराया.
धर्मांतरण बिल किसी धर्म विशेष के लिए नहीं यह आस्था का मामला.
डीसी को आवेदन के बाद स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना है संभव.
प्रलोभन, दबाव, डर, धमकी या अन्य कारणों से धर्मांतरण गलत

फतह सिंह उजाला

पटौदी । पटौदी के एमएलए एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा विधानसभा में रखे गए धर्मांतरण बिल का समर्थन किया गया है । इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि , कोई नया जनप्रतिनिधि अथवा एमएलए जो कि सदन की गरिमा और मर्यादा से अनभिज्ञ अथवा अनजान हो, उसके द्वारा तो गलती संभव है । लेकिन सदन के वरिष्ठ सदस्य और नेता जोकि स्वयं विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके, रघुवीर कादियान के द्वारा सदन में धर्मांतरण बिल को लेकर किया गया आचरण निंदनीय है ।

एमएलए जरावता ने कहा कि इस मुद्दे पर विधानसभा स्पीकर के द्वारा वरिष्ठ नेता कादियान को मौका भी दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने शब्द वापस नहीं लिए, यह एक प्रकार से हाउस का अपमान ही है। इस प्रकार का आचरण सदन में किसी भी वरिष्ठ सदस्य अथवा नेता के द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। विधानसभा बहुत ही सम्मानित सदन है और यहां की कार्यवाही सहित सदस्यों और मंत्रियों सहित सीएम को बोलते हुए पूरा प्रदेश और जनता भी देखती है । एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने कहा कि औरंगजेब के समयकाल को देखें तो जबरन अनगिनत हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया गया ।लेकिन अब देश और प्रदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है । लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि ही सदन में चर्चा के बाद विभिन्न सामाजिक बुराइयों पर भी चर्चा करते हुए कानून बनाने का समर्थन करते आए हैं। लेकिन औरंगजेब के समय काल की पुनरावृति किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं हो सकती है ।

उन्होंने कहा किसी प्रलोभन, डर, लालच या फिर दबाव में करवाएं गए धर्मांतरण पर कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए । उन्होंने कहा धर्म किसी के लिए भी एक आस्था का विषय है और हो सकता है। यदि कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है तो संबंधित जिला के डीसी के पास आवेदन कर अनुमति के बाद स्वेच्छा से अपनी आस्था के मुताबिक धर्मांतरण कर सकता है । एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश  जरावता ने कहा कि जिस प्रकार से सदन में सीएम मनोहर लाल के द्वारा कहा गया कि मेरी बातों का किसी को बुरा लगा है तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं । लेकिन यही मौका स्पीकर महोदय के द्वारा दिया जाने वरिष्ठ सदस्य रघुवीर कादियान का आचरण निंदनीय ही ठहराया जा सकता है । धर्मांतरण बिल के मुद्दे को लेकर सदन में हंगामा सदन की गरिमा के लिए किसी भी प्रकार से मान्य और उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

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