शिक्षा के लिए देश से प्रतिभाओं के पलायन को रोकने के लिए नई नीति बनाने की मांग की
यूक्रेन से पढ़ाई छोड़कर लौटने वाले छात्रों की भारत में ही शिक्षा पूरी करवाने के लिए ठोस कठम उठाए सरकार : बुवानीवाला

सोहना बाबू सिंगला

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता व अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक पत्र भेजकर मांग की है कि यूक्रेन में फंसे और वहां से अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में छोड़ कर वापिस लौटे भारतीय छात्रों पर छाए संकट के समाधान को लेकर ठोस योजना बनाकर काम करें। उन्होंने पत्र के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार यूक्रेन में फंसे छात्रों विशेषकर सुमी शहर में फंसे हुए विद्यार्थियों को जल्द से जल्द वापिस भारत लेकर आए और वापिसी पश्चात राज्य सरकारों के साथ मिलकर उनकी अधुरी शिक्षा को भारत में ही पूरा करवाने के लिए नई शिक्षा नीति लागू करें। बुवानीवाला ने कहा कि मोदी सरकार अपने आठ साल कार्यकाल में न तो नया मैडिकल कॉलेज दे पाई है और न ही मैडिकल की पढ़ाई के लिए सीटों को बढ़ा पाई है।

बुवानीवाला ने कहा कि भारतीय प्रतिभा के पलायन को रोकने के लिए सरकार को नई नीति बनाने के लिए एक विशेष कार्य समूह का गठन करना चाहिए। भारत के हजारों बच्चे पढ़ाई के लिए विदेशों में जाते हैं क्योंकि विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई भारत की अपेक्षा सस्ती है। लेकिन जब ये छात्र वहां से पढक़र आते हैं तो इन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) देना पड़ता है। वहां के भाषाई एवं पाठ्यक्रम संबंधी बदलावों के कारण 80 फिसदी से भी अधिक बच्चें इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते हैं एवं मेडिकल प्रेक्टिस से भी वंचित हो जाते हैं। ऐसे में देश का भविष्य अंधकारमय नजर आता है और नई संभावनाओं को भी कम करता है।

बुवानीवाला ने कहा कि यूक्रेन संकट ने हम सभी को विचार करने का एक मौका दिया है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर मिलकर काम करे और ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेजों के साथ मेडिकल की सीटों की संख्या भी बढ़ाई जा सकें। बुवानीवाला ने कहा कि यूपीए सरकार ने मौजूदा जिला रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना स्कीम के तहत हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की स्कीम शुरू की थी जो वर्तमान केन्द्र सरकार के दौर में भी चल रही है। यूपीए सरकार के समय केन्द्र एवं राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में थी जिसमें अब राज्यों का अंश बढ़ाकर 60:40 कर दिया गया है। इन सबके बावजूद राज्य और केन्द्र सरकार को मिलकर सोचना होगा कि क्या इतनी संख्या बढ़ाने के बाद भी ये मेडिकल सीटें पर्याप्त हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से केन्द्र सरकार को सुझाव दिया कि एमसीआई के नियमों में बदलाव किया जाए एवं सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों को अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए।

उन्होंने कहा कि भारत में अभी प्रति 1000 व्यक्ति पर औसतन 1 डॉक्टर है। इनमें से भी अधिकांश शहरों में स्थित हैं। वैश्विक संस्थाओं के मानकों के मुताबिक प्रति 1000 व्यक्ति पर 4 डॉक्टर्स होने चाहिए। देश की जनसंख्या बढऩे एवं भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण बन रही अन्य महामारियों की आशंका को देखते हुए भी हमें इस संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए देशभर में मेडिकल कॉलेजों का जाल बिछाने की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार को इस मुद्दें पर सभी राज्यों के साथ एक व्यापक चर्चा करनी चाहिए जिससे हमारे बच्चों को भी पढऩे के लिए दूसरे देशों में ना जाना पड़े। इससे हमारे देश का पैसा भी बचेगा एवं देश में मेडिकल व्यवस्थाएं भी सुधर सकेंगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने यूक्रेन संकट के दौर में भारतीय बच्चोंं को निकालने के लिए हर संभव कदम उठाए और उनकी अधूरी शिक्षा को पूरा करवाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

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