ब्रह्माकुमारीज सद्भावना भवन हेलीमंडी में मनाया 86वां शिव जन्मोत्सव.
साक्षात भगवान के दर्शन तो नहीं लेकिन भक्तों के दर्शन सुलभ.
केवल भगवान शंकर को ही कहा गया है देवों के देव महादेव

फतह सिंह उजाला

पटौदी । देवों के देव महादेव के प्रति समर्पित भक्त भी पूजनीय ही हैं । देवी देवताओं के प्रति पूरी तरह से समर्पित भक्त के दर्शन भी भगवान और देवी देवताओं के दर्शन के समकक्ष ही हैं । क्योंकि साक्षात महादेव भगवान शंकर या अन्य देवी देवताओं के के दर्शन करना साधारण इंसान के लिए संभव नहीं है। भारतीय अध्यात्म में आत्मा और परमात्मा के बीच सीधा संबंध और संवाद भी बताया गया है। लेकिन यह सब कार्य करने के लिए देवों के देव महादेव हो या फिर अन्य देवी देवता उनके प्रति पूरी तरह से समर्पित होना भी भक्तों के लिए अनिवार्य है । यह बात महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष पर पटौदी के एमएलए एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने हेलीमंडी में ब्रम्हाकुमारी सद्भावना भवन में आयोजित 86वंें शिवजन्मोत्सव के मौके पर कहीं।

इससे पहले एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने महाशिवरात्रि पर्व एवं शिव जन्मोत्सव के मौके पर केक काटा । इस मौके पर स्थानीय ब्रह्मा कुमारीज सद्भावना केंद्र की संचालिका बीके संतोष, बीके ज्योति, बीके लाजपत राय, बीके हरिराम, बीके शकुंतला, नरेश यादव, श्रीपाल चौहान, अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी दलीप पहलवान छिल्लर, पालिका पार्षद श्रीपाल चौहान, रामफूल सहित अन्य श्रद्धालु भी मौजूद रहे। इस मौके पर बीके संतोष ने कहा कि मानव जीवन बहुत ही सौभाग्य से तथा जन्म जन्मांतर के पुण्य कार्य के बाद ही उपलब्ध होता है । भगवान शंकर जिन्हें  कि भोले बाबा भी कहा गया है , उनको ही आदि और अंत भी माना गया है । जीवन के देने वाले और जीवन को लेने वाले बाबा भोले ही हैं । भगवान शंकर जिन्हें भोले बाबा कहा गया है , वास्तव में इतने भोले हैं कि सच्चे मन से और श्रद्धा पूर्वक की गई पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान मी प्रदान करते हैं और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण भी करते हैं ।

इस मौके पर एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में मान्यता है कि 33 करोड़ देवी देवता मौजूद हैं । किसी भी धार्मिक कार्य और अनुष्ठान में देवी देवताओं का ही सबसे पहले आह्वान किया जाता है, इनके प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष मौजूद रहने की कामना करते हुए यज्ञ हवन अनुष्ठान पूजा पाठ व अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं । उन्होंने कहा भगवान शंकर महादेव या फिर अन्य देवी-देवताओं के प्रति समर्पित भक्तों के चेहरे पर एक अलग ही प्रकार का आध्यात्मिक तेज देखने के लिए मिलता है । उन्होंने कहा हमें सभी धर्मों का आदर करते हुए केवल और केवल जन कल्याण के लिए ही सोचते हुए कार्य करते रहना चाहिए ।

पौराणिक महत्व के इंछापुरी मंदिर में अभिषेक
मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर पटौदी क्षेत्र के गांव इच्छापुरी में पौराणिक महत्व के स्वयंभू स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए तथा विभिन्न तीर्थ स्थानों से लाए गए गंगाजल को अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित स्वयंभू स्थापित शिवलिंग पर अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार अभिषेक करने के लिए मध्य रात्रि से ही श्रद्धालुओं का आगमन और अभिषेक का सिलसिला आरंभ हो गया । इच्छापुरी में स्थित पौराणिक महत्व के शिवलिंग का उद्गम करीब 625 वर्ष पहले का माना गया है । किसान के द्वारा अपने खेत में हल चलाने के दौरान हल का फल अटक गया था इसके बाद जब संबंधित स्थान की खुदाई की गई तो उस स्थान पर स्वयंभू स्थापित शिवलिंग प्रकट हुए ।

ब्लड डोनेशन कैंप का भी आयोजन
इसी स्थान पर आज भव्य शिव मंदिर का निर्माण किया जा चुका है । यहां वर्ष में दो बार शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर्व पर देशभर के विभिन्न राज्यों और स्थानों से अनगिनत शिव भक्त और श्रद्धालु मन्नत मांगने के साथ-साथ अभिषेक करने के लिए भी पहुंचते हैं । इसी मौके पर यहां मंदिर परिसर में ब्लड डोनेशन कैंप का भी आयोजन किया गया । ब्लड डोनेशन कैंप में बड़ी संख्या में शिव भक्त श्रद्धालुओं के द्वारा अपना अपना ब्लड डोनेट किया गया । इच्छापुरी शिव मंदिर परिसर में इसी मौके पर मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के झूले और मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध रहते हैं । श्रद्धालुओं की सुविधा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इच्छापुरी शिव मंदिर धर्मार्थ ट्रस्ट के स्वयंसेवकों के साथ साथ शासन- पुलिस प्रशासन का भी सक्रिय सहयोग रहता है । मंगलवार को ही पटौदी और हेलीमंडी के विभिन्न मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित शिवालयों में अथवा शिव परिवार का श्रद्धालुओं के द्वारा श्रद्धापूर्वक अभिषेक कर पुण्य अर्जित किया गया।

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