चंडीगढ़, 28 फरवरी – हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों में फीस से जुड़ा नया कानून लागू किया है। अब निजी स्कूल संचालक न तो अपनी मर्जी से फीस बढ़ा सकेंगे और न ही विद्यार्थियों को वर्दियां और स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए बाध्य कर सकेंगे।
इसके बावजूद अगर कोई भी संस्था तीन बार दोषी पाई जाती है तो उस शिक्षण संस्थान की मान्यता को रद्द कर दिया जाएगा। फीस वृद्धि कानून लागू करने के बाद शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है।

हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। छात्रों से फीस चैक, डीडी, आरटीजीएस, एनईएफटी या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से ली जाएगी। इसके साथ ही कोई भी विद्यालय छमाही या वार्षिक आधार पर फीस का अनिवार्य संग्रहण नहीं कर सकेगा।

फीस की स्थिति को भी स्पष्ट कर दिया है, जिसके अनुसार केवल पंजीकरण के समय एडमिशन से जुड़ी और अन्य फीस एक बार ही जा सकेगी। परीक्षा फीस केवल बोर्ड परीक्षा के लिए ही ली जा सकेगी।

किताबें, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे

अधिसूचना में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कोई भी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान किसी भी छात्र को पुस्तकें, कार्य पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते, मौजे, वर्दी इत्यादि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा।

कोई भी संस्थान लगातार पांच शैक्षिक वर्षों से पहले अपनी वर्दी में बदलाव नहीं करेगा। छात्र, अभिभावक जिला समिति को शिकायत मिलने के लिए तीन माह के अंदर निपटारा करना होगा।

error: Content is protected !!