केंद्र की मोदी सरकार ने पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 का सरासर उल्लंघन करते हुए हरियाणा प्रदेश के अधिकारों को कुचलने का काम किया ‘फूट डालो राज करो’ की नीति अपनाते हुए भविष्य में कोई किसान आंदोलन सफल न हो सके इसके लिए साजिश के तहत हरियाणा और पंजाब के किसानों के बीच बिजली और पानी को लेकर मतभेद पैदा करना चाहती है मोदी सरकार मुद्दा – धीरे-धीरे प्रमुख प्रशासनिक पदों समेत सभी क्षेत्रों में चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी खत्म की जा रही है, इस पर भी मुख्यमंत्री खट्टर चुप्पी साधे हुए हैं मांग – चंडीगढ़ में प्रशासक के तौर पर सिर्फ पंजाब के गवर्नर को ही लगाया जाता है लेकिन हम मांग करते हैं कि रोटेशन नीति अपना कर एक बार पंजाब और एक बार हरियाणा के गवर्नर को चंडीगढ़ का प्रशासक बनाया जाना चाहिए चंडीगढ़, 28 फरवरी: इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के प्रबंधन में केंद्र की मोदी सरकार ने बीबीएमबी नियम 1974 में संशोधन कर संशोधित नियम 2022 लागू करके हरियाणा और पंजाब दोनों प्रदेशों को उसकी अनिवार्य स्थाई सदस्यता (सिंचाई) से वंचित कर दिया है। उन्होंने हरियाणा प्रदेश के लिए स्थाई सदस्यता (सिंचाई) और पंजाब प्रदेश के लिए स्थाई सदस्यता (बिजली) की अनिवार्यता खत्म करने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह देश के संघीय ढांचे पर सीधा प्रहार है। केंद्र की मोदी सरकार ने पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 का सरासर उल्लंघन करते हुए हरियाणा प्रदेश के अधिकारों को कुचलने का काम किया है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा थोपे गए तीन काले कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए हरियाणा और पंजाब के किसानों ने आंदोलन किया था जिसमें किसानों की ऐतिहासिक जीत हुई और मोदी सरकार को कानून वापिस लेने पर मजबूर होना पड़ा था। इससे तिलमिलाई हुई मोदी सरकार अब दोनों प्रदेशों से बदला लेना चाहती है और ‘फूट डालो राज करो’ की नीति अपनाते हुए भविष्य में कोई किसान आंदोलन सफल न हो सके इसके लिए साजिश के तहत हरियाणा और पंजाब के किसानों के बीच बिजली और पानी को लेकर मतभेद पैदा करना चाहती है। प्रदेश का मुख्यमंत्री और उनके गठबंधन साथी अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में मौन बैठे हैं। अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा प्रदेश की चंडीगढ़ में अपनी हिस्सेदारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि धीरे- धीरे प्रमुख प्रशासनिक पदों समेत सभी क्षेत्रों में हरियाणा की हिस्सेदारी खत्म की जा रही है और इस पर भी मुख्यमंत्री खट्टर चुप्पी साधे हुए हैं। चंडीगढ़ में प्रशासक के तौर पर सिर्फ पंजाब के गवर्नर को ही लगाया जाता है लेकिन हम मांग करते हैं कि रोटेशन नीति अपना कर एक बार पंजाब और एक बार हरियाणा के गवर्नर को चंडीगढ़ का प्रशासक बनाया जाना चाहिए। Post navigation प्राइवेट स्कूलों में मनमर्जी फीस वसूलने पर बड़ा एक्शन, हरियाणा सरकार ने लागू किया कानून नशा तस्करों पर हरियाणा पुलिस की कार्रवाई