उमेश जोशी पारम्परिक ढर्रे की शिक्षा से हट कर क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में डिजिटल यूनिवर्सिटी अहम भूमिका निभा सकती है। इसी सोच पर टिकी है डिजिटल यूनिवर्सिटी की अवधारण। डिजिटल यूनिवर्सिटी पर तेजी से काम चल रहा है और अगस्त तक यह काम पूरा किए जाने का लक्ष्य है। केंद्रीय बजट 2022 में पहली बार डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था। डिजिटल यूनिवर्सिटी का लक्ष्य अत्याधुनिक आईसीटी उपकरणों और प्लेटफार्मों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा कार्यक्रमों तक पहुंच का विस्तार करना है। डिजिटल यूनिवर्सिटी से उन बच्चों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा जो आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा से महरूम हो जाते हैं। यह यूनिवर्सिटी ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के बच्चों के लिए भी वरदान साबित होगी जहाँ शिक्षण संस्थाओं की संख्या बहुत कम और बच्चों को पढ़ाई के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। कितने ही ऐसे इलाके हैं जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सुविधाएँ बहुत कम हैं या नहीं हैं। वहाँ के बच्चों के लिए शहरों में रह कर पढ़ाई करना बेहद मुश्किल है क्योंकि इससे उनके जीवनयापन के खर्चों पर बहुत दबाव पड़ेगा। इसी वजह से डिजिटल इंडिया पहल के तहत डिजिटल यूनिवर्सिटी सबसे अच्छे कार्यों में से एक माना जा रहा है। डिजिटल यूनिवर्सिटी परंपरागत यूनिवर्सिटी की तरह नहीं होगी। इस यूनिवर्सिटी में देश के सभी और बाहर के नामी विश्वविद्यालयों की उत्तम गुणवत्ता वाली अध्ययन सामग्री उपलब्ध होगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी ‘हब और स्पोक’ अवधारणा के रूप में काम करती है। इसका मतलब यह है कि डिजिटल यूनिवर्सिटी हब के रूप में काम करती है और पूरे देश और बाहर के उच्च शिक्षण संस्थान प्रवक्ता (स्पोक) के रूप में कार्य करते हैं। डिजिटल यूनिवर्सिटी या तो खुद या स्पोक (प्रवक्ता) के साथ साझेदारी में डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र स्तर पर कार्यक्रम चलाएगी। डिजिटल विश्वविद्यालय पारिस्थितिकी (इकोसिस्टम) में तीन प्रमुख घटक होंगे; पहला घटक तकनालाजी का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा; दूसरा घटक डिजिटल सामग्री तैयार करेगा और तीसरे घटक में उच्च शिक्षण संस्थान (एचईआई) होंगे। देश के प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल यूनिवर्सिटी सही दिशा में एक बड़ा कदम है और देश को डिजिटल शिक्षा में एक विश्व नेता के रूप में स्थापित करेगा। उनकी राय में, डिजिटल यूनिवर्सिटी चालू होने के बाद सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 27 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो सकता है। अभी तक सभी बच्चों का दाखिला नहीं हो पाता था। अच्छी पर्सेंटेज ना होने के कारण कई बच्चे मेरिट से बाहर हो जाते हैं और दाखिले से वंचित हो जाते हैं। डिजिटल यूनिवर्सिटी में सीटों की कोई समस्या नहीं होगी। अब सभी को दाखिला मिलेगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी की कामयाबी पर कुछ विशेषज्ञ संदेह भी कर रहे हैं। उनकी दलील है कि हर जगह खासतौर से दूरदराज इलाक़ों में वाई-फाई की सुविधा पर्याप्त नहीं है या बिल्कुल नहीं है; कहीं वाई-फाई उपलब्ध है तो वहाँ बिजली की सप्लाई नियमित नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि वाई-फाई की समस्या का सबसे प्रभावी समाधान है ‘भारतनेट’। इसके कार्यान्वयन से डिजिटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से शिक्षा सुलभ और सस्ती हो जाएगी। भारतनेट अंततः देश के 6 लाख गांवों को कवर करेगा और ग्रामीण भारत को हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड की सुविधा देगा। देश में जो वास्तुकला होगी, वह कॉलेज और सर्टिफिकेट स्तर की शिक्षा में समाज के विभिन्न वर्गों को सिखाई जाएगी। भारतनेट एक जीवंत हब के रूप में कार्य करेगा और एआईसीटीई और राज्य सरकारों के साथ सक्रिय सहयोग से डिजिटल यूनिवर्सिटी में लाखों छात्रों की ऑनबोर्डिंग को अधिकतम किया जा सकेगा। जहां तक बिजली की समस्या है, उसका समाधान सौर ऊर्जा से निकालने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। कुछ समय बाद यह समस्या भी नहीं रहेगी। Post navigation दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा नियुक्ति का पात्र : सर्वोच्च न्यायालय आत्म बलिदान और निडरता की मिसाल बने चंद्रशेखर आजाद