बीते वर्ष 9 अगस्त को राव इंद्रजीत ने किया था उद्घाटन.
आज भी आधा अधूरा ही है 3 करोड़ का आलीशान ऑफिस.
कर्मचारी ऑफिस के अंदर खड़े करते हैं अपने- अपने वाहन.
स्थानीय निकायमंत्री भी एक बार देखे यह करोड़ों का आफिस

फतह सिंह उजाला

पटौदी । हरियाणा में गठबंधन की सरकार लोगों को एक ही छत के नीचे बेहतर और अधिकतम सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च कर रही है । लेकिन आम जनता के टैक्स के भुगतान वाले इस पैसे का कितना सही उपयोग हो पा रहा है, इस पर भी निगरानी की जरूरत महसूस की जा रही है । केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक गढ़ पटौदी विधानसभा क्षेत्र में हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा 3 करोड़ 13लाख रुपए की लागत से फाइव स्टार लुक वाला शानदार पालिका कार्यालय बनाया गया। इस फाइव स्टार लुक वाले हेली मंडी नगर पालिका कार्यालय का बीते वर्ष 9 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के हाथों उद्घाटन भी करवाया गया।

लेकिन आज भी तीन करोड़ रुपए का हेली मंडी नगरपालिका कार्यालय व्हीकल पार्किंग ऑफिस बनकर रह गया है । पालिका कार्यालय में कितने अधिकारी , कितने कर्मचारी , कौन किस स्थान अथवा कमरे में बैठता है ? इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का सूचना पट्ट पालिका कार्यालय में उपलब्ध नहीं है । हकीकत यह है कि आज भी 3 करोड़ से अधिक लागत वाला यह फाइव स्टार लुक लिए हेली मंडी नगर पालिका ऑफिस आधा अधूरा ही है । ऐसे में लाख टके का सवाल यही है कि इस ऑफिस को बनाने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी और हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के बीच में क्या कंप्लीटीशिन सर्टिफिकेट सहित एनओसी का आदान- प्रधान हो चुका है ?

जब से 3 करोड़ से अधिक लागत वाले इस फाइव स्टार हेली मंडी नगर पालिका कार्यालय का उद्घाटन और यहां पर पालिका प्रशासन के द्वारा कार्य आरंभ किया गया । उसके बाद से शायद ही जिला के किसी वरिष्ठ अधिकारी , स्थानीय निकाय विभाग के आला अधिकारी या फिर मंत्री पटौदी क्षेत्र के ही एमएलए के द्वारा आना या फिर मौका मुआयना किया जाने की ज़रूरत तक महसूस नहीं की गई है । हकीकत यह है कि आज भी तीन करोड़ से अधिक लागत वाले उद्घाटन किए जा चुके हेली मंडी नगरपालिका कार्यालय के अंदर दरवाजे खिड़की इत्यादि का काम करवाया जा रहा है । जहां आम लोगों के दो पहिया वाहन कार्यालय परिसर में बाहर खड़े होते हैं , वही ऐसे भी कर्मचारी मौजूद हैं जो अपने दोपहिया वाहन तीन करोड़ के शानदार कार्यालय भवन के अंदर खड़ा करना अपनी शान समझते हैं ।

पालिका कार्यालय में आने वाले लोग जो कि छोटे मोटे कार्यों के लिए पहुंचते हैं, सरकारी योजनाओं के लाभ संबंधित दस्तावेजों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर करवाने होते हैं , ऐसे लोग अक्सर मायूस होकर ही लौट जाते हैं। क्योंकि यहां यही नहीं मालूम होता कि कौन अधिकारी किस कमरे में बैठा है या फिर किसी काम से बाहर गया है अथवा जिला मुख्यालय पर किसी बैठक में शामिल होने के लिए गया हुआ है। जानकारों का कहना है कि पालिका कार्यालय में सार्वजनिक कंप्लेंड रजिस्टर अथवा शिकायत पुस्तिका उपलब्ध होनी चाहिए, जिस पर यहां आने वाले लोग संतोषजनक कार्य नहीं होने पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकें और इस कंप्लेंट रजिस्टर अथवा शिकायत पुस्तिका की गुरुग्राम नगर निगम आयुक्त कार्यालय के द्वारा नियमित अंतराल पर जांच करते हुए संबंधित शिकायतों पर जवाब भी तलब किया जाना चाहिए। क्योंकि गुरुग्राम जिला में नगर पालिका और नगर परिषद गुरुग्राम नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में अथवा दायरे में शामिल की जा चुकी हैं । अब पूरी तरह से नगर परिषद और नगर पालिकाओं की जवाबदेही नगर निगम आयुक्त कार्यालय के प्रति ही है ।

जानकार लोगों ने तो यहां तक कहना आरंभ कर दिया है कि हरियाणा के नए स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता को एक बार 3 करोड़ से अधिक लागत वाले बनाए गए फाइव स्टार लुक लिए हेली मंडी नगरपलिका कार्यालय का अवश्य निरीक्षण और मुआयना कर लेना चाहिए।  वही लाख टके का सवाल यह है कि आखिरकार ऐसी क्या मजबूरी थी कि 3 करोड़ 13 लाख रुपए की लागत वाले इस आधे अधूरे हेली मंडी नगर पालिका ऑफिस का उद्घाटन करवाने में हड़बड़ी दिखाई गई ? कथित रूप से इस हड़बड़ी के पीछे कहीं कोई बड़ी गड़बड़ी तो नहीं छिपी हुई है । यह भी अपने आप में एक सवाल बना हुआ है।

सरकारी टेलीफोन नंबर क्यों नहीं
हेली मंडी नगरपालिका के नए शानदार भव्य ऑफिस के अंदर पालिका प्रशासन के द्वारा दीवार पर पेंट से लिखवाया गया है कि यदि कोई कर्मचारी काम नहीं करता है और काम के बदले में रिश्वत मांगता है तो निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क करें । इसके बाद लिखा है नगर पालिका हेली मंडी प्रधान और हेली मंडी नगर पालिका उप प्रधान । अब ऐसे में सवाल यह है कि जब हरियाणा सरकार के द्वारा और विभिन्न सरकारी विभागों के द्वारा, स्वयं मुख्यमंत्री के द्वारा , पटौदी के एमएलए के द्वारा भ्रष्टाचार रोकने और रिश्वत लेने वालों को पकड़ने के लिए बेहद खास मोबाइल नंबर सार्वजनिक किए जा चुके हैं , तो ऐसे में इन सरकारी टेलीफोन नंबरों को पालिका कार्यालय में क्यों और किसके दबाव में नहीं लिखा गया है । यह भी अपने आपने बहुत बड़ा सवाल है । क्योंकि जो नंबर पालिका कार्यालय में लिखे गए हैं वह नंबर एक निश्चित समय के लिए चुने गए जनप्रतिनिधियों के हैं । सरकारी विभाग या फिर किसी सरकारी अधिकारी के मोबाइल नंबर नहीं लिखे गए हैं।

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