पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 21 दिन के लिए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम फरलो जेल से बाहर आ गया है. इससे कुछ ही दिनों पहले डेरा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था इसमें कई राजनीतिक पार्टियों के लोग भी शामिल हुए थे.

चंडीगढ़. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 21 दिन के लिए जेल से बाहर आ गया है. दुष्कर्म और हत्या के आरोपों में सजा काट रहे राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है. पंजाब चुनावों को देखते हुए इसके कई सियासी मायने भी लगाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि फरलो एक तरह की छुट्टी होती है जिसमें सजायाफ्ता बंदियों को तय समय के लिए छुट्टी मिलती है जिसमें वे अपने घर जा सकते हैं लेकिन वे बताई गई जगह के अलावा कहीं भी नहीं आ जा सकते हैं.
इससे पहले डेरा में 25 जनवरी को एक आयोजन किया गया था. इस आयोजन के दौरान राम रहीम की एक चिट्ठी को पढ़ा गया था. उस चिट्ठी में राम रहीम ने अपने श्रद्धालुओं से जल्द ही उनके बीच आने की बात कह कर फरलो का संकेत दे दिया था.

इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु डेरा के कार्यक्रम में जुटे थे. इसके साथ ही डेरा में एक बार फिर पुरानी रौनक देखने को मिली थी. जेल से ये राम रहीम की 8वीं चिट्ठी थी जिसे कार्यक्रम में सभी के बीच पढ़ा गया था. इस चिट्ठी में राम रहीम ने लिखा था कि अगर परम पिता परमात्मा ने चाहा तो हम जल्द आपके दर्शन करेंगे और एक बार फिर आप लोगों के बीच मौजूद होंगे.

सीएम ने कहा-ये एक संयोग
वहीं राम रहीम के फरलो पर जेल से बाहर आने की बात पर सियासी कयास लगाए जाने को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का बयान आया है. सीएम खट्टर ने कहा कि यदि राम रहीम को चुनाव से पहले फरलो मिली है तो ये एक संयोग है. कोई भी कैदी अपनी फरलो के लिए 3 साल की एक तय सीमा के बाद ही आवेदन कर सकता है. उसके बाद प्रशासन समीक्षा कर के उसकी फरलो पर निर्णय लेता है.

कई नेता पहुंचे थे
इस दौरान पंजाब से कई राजनीतिक दलों के प्रत्याशी भी डेरा सच्चा सौदा पहुंचे थे. इस दौरान पंजाब चुनाव को देखते हुए सरदुलगढ़ विभानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी और पटियाला रूरल के पंजाब लोक कांग्रेस के प्रत्याशी भी डेरा पहुंचे और लोगों से मुलाकात की थी. पिछले कुछ दिनों से लगातार डेरा सच्चा सौदा में पंजाब से राजनीतिक नेताओं का पहुंचना जारी है. गौरतलब है कि डेरा में हमेशा से ही राजनीतिक लोगों का दखल रहा है. इसे काफी बड़े वोट बैंक के तौर पर भी देखा जाता रहा है.

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