कमलेश भारतीय

शर्त

युवा समारोह में श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली कलाकार अभिनय से अचानक मुख मोड़ गयी । क्यों ? यह सवाल पूछा तब उसने ठंडी आह भर कर बताया कि सर, नाटक निर्देशक मुझे स्टुडियो मे कदम रखने सै पहले कहने लगे कि अंदर जाने से पहले शर्त यह है कि शर्म बाहर रखनी होगी ।
बस, मेरी कला शर्मसार होने से पहले घर लौट आई ।

मैं खूबसूरत हूं ,पर ,,,

-तुम बहुत खूबसूरत हो ।
-अच्छा बताओ मेरे जिस्म का कौन सा हिस्सा तुम्हें खूबसूरत नहीं लगता ?

मैं जानती हूं कि तुम मुझे यही कहोगे न कि मेरी आंखें झील सी गहरी हैं । बाल काले बादल हैं और होंठ गुलाब । यह बात तुमने कितनी बार कही है । और किस किस तरह से कही है । मैंने और भी बहुत लोगों के मुंह से सुनी है यह बात ।
-तुम्हें मालूम है तुम क्या कह रही हो ?

हां । मुझे मालूम है कि मैं क्या कह रही हूं । यह बात सुनने के बाद तुम भी औरों की तरह यहां रुकोगे नहीं । सब मुझे अंधेरों में छोड़ कर खुद रोशनी में चले जाते हैं । तुम भी उनमें से एक होंगे । क्या ऐसा नहीं है ?
इतना सुनने के बाद उसके पास कोई जवाब न बन पड़ा । वह चुपचाप वहां से चल दिया और सोचती रह गयी कि वह खूबसूरत है भी या ,,,

मैं तुम्हें प्यार नहीं करती

मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं ।
पर मैं तुम्हें प्यार नहीं करती ।
यह क्या कह रही हो ?
मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं आ रहा ।
विश्वास करो , मैं किसी का घर नहीं तोड़ना चाहती ।
क्या मतलब ?
मतलब साफ है कि मेरे पति को एक औरत ने अपने मोह जाल में ऐसा फांसा है कि वह घर छोड़ कर उसके पीछे हो लिया ।
फिर ?
जब मैं एक औरत द्वारा अपना पति छीन लिए जाने का दुख भोग रही हूं, तब तुम मुझसे यह उम्मीद कैसे करते हो कि मैं अपना घर बसाने के लिए किसी का बसा बसाया घर उजाड़ दूंगी ? मैं तुम्हें बिल्कुल मोहब्बत नहीं करती ।
वह अपने हाथों में अपना चेहरा छिपाये सुबकने लगी ।

कितने अजीब,,,,

लेखकों की महफिल थी । एक समारोह के बाद थोड़ी थोड़ी पीने में मस्त थे । जिस महिला रचनाकार ने बुलाया और सम्मानित किया उसी के चरित्र को प्याज के छिलकों की तरह घूंट भर भर कर छील रहे थे । कितनी जल्दी सम्मान करने का ऋण उतार कर मुक्त हो रहे थे । ये लेखकों की महफिल बड़ी अजीब थी ,,,,,

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