अजीत सिंह

हिसार. 7 फरवरी। मुंबई में जब लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी, तो हिसार में वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ द्वारा उन्हें उन्ही के गीतों के द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

चार बजे शुरू हुआ वेबीनार करीबन तीन घंटे चला और इसमें हिसार के इलावा दुबई, ऑस्ट्रेलिया, नोएडा, दिल्ली, पुणे, कुरुक्षेत्र, भोपाल व अन्य स्थानों से करीबन 30 सदस्य शामिल हुए।

लता जी से मुलाकात के कुछ निजी अनुभव नोएडा से जुड़े प्रो ग्यास उर रहमान ने सुनाए। दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने लता मंगेशकर के जीवन के कुछ अनजान पहलुओं की जानकारी दी। उनका कहना था कि लता ने जीवन के हर पहलू और रंग के गीत गाए हैं और इनमें श्रद्धांजलि गीत भी शामिल हैं। उनका गाया गीत, ऐ मेरे वतन के लोगो भी श्रद्धांजलि गीत ही है।

इसके बाद लता जी को संगीतमय श्रद्धांजलि का दौर शुरू हुआ।

शुरुआत डॉ सत्या सावंत ने बंदिनी फिल्म के गीत,
मोरा गोरा रंग लै ले,
मोहे श्याम रंग दै दे.. से की।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में संगीत विभाग की प्रो डॉक्टर शुचि स्मिता ने गाया,
मेरी आवाज़ ही पहचान है,
गर याद रहे….

पुणे से जुड़ी डॉ दीपशिखा पाठक की प्रस्तुति थी,
फिर तेरी कहानी याद आई,
फिर तेरा फसाना याद आया….
बाद में उन्होंने एक और गीत गाया,
तेरी आंखों के सिवा
दुनिया में रखा क्या है….

भोपाल से जुड़ी भारती विश्वनाथन ने गाया,
रहें ना रहें हम,
महका करेंगे
बन के कली,
बन के सबा,
बाग़े वफ़ा में …
उन्होंने लता का प्रिय महल फिल्म का गीत भी सुनाया, आएगा, आएगा,
आएगा आने वाला…
और इसके बाद लता के गाए अनेकों गीतों के माध्यम से उन्हें याद किया गया।

डॉ योगेश सुनेजा की प्रस्तुति थी,
तुम न जाने
किस जहां में खो गए….

इनके इलावा, वीना अग्रवाल, श्याम सुंदर धवन, अलका बत्रा, नीलम परुथी व डॉ किरण ख्यालिया ने भी लता मंगेशकर को उन्ही के गीतों से श्रद्धांजलि अर्पित की।

तीन घंटे चले कार्यक्रम का संचालन डॉ जे के डांग व अजीत सिंह ने किया।

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