चंडीगढ़, 3 फरवरी-हरियाणा के मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यहां प्रशासनिक सचिवों के साथ 100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी अधिकारियों को परियोजनाओं के समयबद्ध ढंग से निष्पादन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने के साथ साथ परियोजना की निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किये जाने के भी निर्देश दिए ताकि समयबद्ध ढंग से परियोजनाओं की निगरानी की जा सके।

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा लगभग 7 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं की जा रही क्रियान्वित
बैठक में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की 7184.67 करोड रूपये की परियोजनाओं पर चर्चा की गई। सिंचाई विभाग की प्रमुख परियोजनाओं की जानकारी देते हुए सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह ने बताया कि 3921.29 करोड़ रुपये की लागत से मानसून के दौरान अतिरिक्त पानी के उपयोग के लिए डब्ल्यूजेसी कैरियर सिस्टम की क्षमता बढ़ाना, 295.80 करोड़ रुपये की लागत से धनवापुर और बेहरामपुर (गुरुग्राम) में एसटीपी के शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए एसटीपी चौनल की क्षमता 188.60 एमएलडी से बढ़ाकर 500.00 एमएलडी करना, 110.24 करोड़ रुपये से जेएलएन फीडर, जेएलएन नहर, लोहारू नहर और महेंद्रगढ़ नहर प्रणाली के विभिन्न पंप हाउसों पर पंप, मोटर्स और इलेक्ट्रो मैकेनिकल उपकरणों का पुनर्वास / प्रतिस्थापन, 388.16 करोड़ रुपये की लागत से सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए सोम नदी पर आदि बद्री बांध के निर्माण हेतु सोम सरस्वती बैराज और सरस्वती जलाशय का निर्माण शामिल है। इसके अलावा,  1089.43 करोड़ रुपये की सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएँ और अन्य विभागों के 702.06 करोड़ रुपये के (एनपीसीआईएल, पीडब्ल्यू (बी एंड आर) और जीएमडीए) के डिपोजिट कार्य  तथा 677.69 करोड़ रुपये से अटल भुजल योजना का क्रियान्वयन शामिल है।

बैठक में बताया गया कि 3921.29 करोड़ रुपये की लागत से मानसून के दौरान अतिरिक्त पानी के उपयोग के लिए डब्ल्यूजेसी कैरियर सिस्टम की क्षमता बढ़ाने की परियोजना से मानसून के दौरान यमुना नदी में उपलब्ध पानी का अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा और परियोजना के पूरा होने से मानसून के दौरान 4000-5000 क्यूसिक अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा और विभिन्न वाहक प्रणाली में पानी की उपलब्धता में भी सुधार होगा।

बैठक में बताया गया कि दक्षिण हरियाणा में सिंचाई प्रणाली में जल उपलब्धता की क्षमता वृद्धि  करने के लिए 110 .24 करोड़ रुपये से जेएलएन फीडर, जेएलएन नहर, लोहारू नहर और महेंद्रगढ़ नहर प्रणाली के विभिन्न पंप हाउसों पर पंप, मोटर्स और इलेक्ट्रो मैकेनिकल उपकरणों का पुनर्वास / प्रतिस्थापन की परियोजना बनाई गई है जिसके तहत 759 पंपों का पुनर्वास / प्रतिस्थापन किया जायेगा। प्रदेश में अब तक 388 पंपों को बदला जा चुका है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इस परियोजना के व्यापक प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिये।

बैठक में बताया गया कि 295.80 करोड़ रुपये की लागत से धनवापुर और बेहरामपुर (गुरुग्राम) में एसटीपी के शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए एसटीपी चैनल की क्षमता 188.60 एमएलडी से बढ़ाकर 500 एमएलडी करने की परियोजना के तहत एसटीपी चैनल की क्षमता को धनवापुर (गुरुग्राम) के एसटीपी से आउटफॉल ड्रेन नंबर 8. तक बढ़ाया जायेगा। इस शोधित अपशिष्ट जल से 8000 एकड़ सीसीए में सूक्ष्म सिंचाई भी की जाएगी।

बैठक में बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती नदी के किनारे पवित्र सरस्वती नदी के पुनरुद्धार और विरासत विकास के लिए शुरू की गई है। जिसके लिए 388.16 करोड़ रुपये की लागत से सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए सोम नदी पर आदि बद्री बांध के निर्माण हेतु सोम सरस्वती बैराज और सरस्वती जलाशय के निर्माण के लिए परियोजना बनाई गई है।

बैठक में अटल भू-जल योजना की प्रगति पर भी चर्चा की गई। इस योजना के तहत प्रदेश के डार्क जोन में आने वाले खण्डों में भूजल रिचार्ज के लिए बनाई गई योजनाओं को  समयबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।

बैठक में गोरखपुर हरियाणा अनु विद्युत परियोजना को पानी की आपूर्ति के लिए जल परिवहन प्रणाली और संबद्ध संरचनाओं का निर्माण, बहादुरगढ़ शहर के उत्तरी बाईपास के लिए आरडी 4150 से 34000 तक पश्चिमी जुआ ड्रेन के अंदरूनी हिस्से में आरसीसी रिटेनिंग वॉल का निर्माण सहित अन्य योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के  अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वितायुक्त श्री पी के दास एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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