वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक हिसार 3 फरवरी :- निकटवर्ती गांव बनभौरी बरवाला में स्थित माँ भ्रामरी देवी शक्ति पीठ धाम में गुप्त नवरात्रि के द्वितीय दिवस धाम के मुख्य पुजारी पण्डित सतबीर कौशिक व शिव कौशिक के सानिध्य में हवन यज्ञ के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना आरंभ की गई। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन पुजारी पण्डित सतबीर कौशिक ने बताया कि गुप्त नवरात्रि का महत्व बहुत अधिक है। इस नवरात्रि में की पूजा अर्चना व सिद्धी पूजा सामान्य नवरात्र से कई गुना अधिक फलीभूत होती है। उन्होंने नवरात्रि का महत्व वर्णन करते हुए कहा कि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवी तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी की पूजा-उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना के बाद माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती है। हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण शैलपुत्री हुआ। घटस्थापना या कलश को भगवान गौरी गणेश का रूप माना जाता है। नवरात्रि में मंदिरों और मठों को सजाया जाता है। ढोल-मृदंग की तालों से वातावरण संगीतमय, सुहाना व भक्तिमय हो जाता है। मां का आह्वान कर उनकी पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भगवान गणपति महाराज का पूजन किया जाता है, इसलिए नवरात्रि की पूजा करने से पहले कलश स्थापित कर भगवान गणेश का आवाहन व पूजन करने चाहिए। उन्होंने कहा कि नवरात्रि में पूरे नौ दिन अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें। उन्होंने बताया कि अष्टमी के पावन अवसर पर शुद्ध देशी घी का भंडारा लगाया जाएगा। प्रथम दिन धाम में गुप्त नवरात्रि पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलीपुत्री की पूजा – उपासना विधिपूर्वक की गई। धाम के मुख्य प्रशासक सुरेन्द्र कौशिक ने बताया कि आने वाले श्रद्धालुओं को सेनिटाइज किया जाएगा व वेक्सिनेशन चैक की जाएगी। श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पधारें। Post navigation हम किस देश के वासी……. भारत या इंडिया ? वीर हकीकत राय के बलिदान दिवस पर विशेष