पटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में आंखों के लेंस हुए समाप्त. राज्य में अंधता निवारण अभियान को लग रहा है जोर का झटका. आंखों के लेंस के बिना ऑपरेशन करवाने वाले रोगी खा रहे धक्के फतह सिंह उजालापटौदी/गुरुग्राम । हरियाणा की आर्थिक राजधानी जिला गुरुग्राम जोकि हरियाणा के राजस्व में करीब 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी उपलब्ध करवा रहा है तथा दुनिया में मेडिकल हब के रूप में डंका भी बज रहा है। इसी जिला गुरुग्राम के पटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में आंखों के रोगी लेंस उपलब्ध नहीं होने के कारण आंखों के ऑपरेशन करवाने के लिए धक्के खाने को मजबूर हो रहे हैं । एक तरफ गठबंधन सरकार के सीएम और डिप्टी सीएम, सुबे के स्वास्थ्य मंत्री सहित सत्ता पक्ष के सभी मंत्री-नेता दावा करते आ रहे हैं कि राज्य सरकार का खजाना लबालब भरा हुआ है । ऐसे में जब खजाना लबालब भरा हुआ है तो लाख टके का सवाल है यही है कि पटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में आंखों के रोगियों को लगाए जाने वाले लेंस उपलब्ध क्यों नहीं हो पा रहे हैं ? पटौदी नागरिक अस्पताल में आंखों के लेंस की कमी से संबंधित समाचार और आंखों के रोगियों को हो रही परेशानी इससे पहले विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग, राज्य सरकार व संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा चुका है । लेकिन लगता है कि जो सिस्टम बना हुआ है उस सिस्टम में जरूरतमंद और गरीब लोगों सहित रोगियों की सुनवाई की कोई गुंजाइश बाकी नहीं बची है । सूत्रों के मुताबिक पटोदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा भी आंखों के लेंस की डिमांड यहां लेंस का कोटा समाप्त होने से पहले ही की जा चुकी है । कथित रूप से इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को भी रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं । ल्गता है कि राज्य सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा इस समस्या को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के और स्वास्थ्य विभाग का राष्ट्रीय मिशन अंधता निवारण अभियान कहीं अब प्रचार अभियान तक ही सीमित बनकर नहीं रह गया है ? पटौदी का सामान्य नागरिक अस्पताल करोना महामारी के दौरान अपनी स्वास्थ्य सेवाओं, उपकरणाों की उपलब्धता की वजह से सुर्खियों में आया । यहीं पर ही सबसे पहले 25 बेड का कोरोना उपचार के लिए आइसोलेशन वार्ड भी तैयार किया गया , ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी यहां पर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध रहे । दूसरी ओर साइबर सिटी गुरुग्राम से लेकर अहीरवाल के लंदन रेवाड़ी के बीच में एकमात्र पटौदी का सामान्य नागरिक अस्पताल ही पटौदी क्षेत्र ही नहीं आसपास के जिलों और राज्यों के आंखों के रोगियों के लिए एक विश्वास का केंद्र बन चुका है । यहां पर नेत्र रोगियों की ओपीडी की संख्या औसतन प्रतिदिन 300 तक भी रही है । लेकिन कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए बीते कुछ दिनों से प्रतिदिन 60 आंखों के रोगियों की ही जांच की जा रही है । यहां आंखों के रोगियों की जांच और ऑपरेशन की व्यवस्था इस प्रकार से है कि सप्ताह में 3 दिन आंखों के रोगियों की जांच और सप्ताह में 3 दिन जरूरतमंद आंखों के रोगियों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं । 3 जुलाई 2020 को आंखों का पहला ऑपरेशनपटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा मार्च 2020 में अपना कार्यभार संभाला गया और 3 जुलाई 2020 को उन्होंने यहां पर आंखों के रोगी का पहला ऑपरेशन किया था । इसके बाद से आंखों के लेंस बदलने अथवा डालने सहित विभिन्न प्रकार के 1000 से भी अधिक आंखों के ऑपरेशन आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा किए जा चुके हैं । हालात यह बने हुए हैं कि एनसीआर क्षेत्र के विभिन्न इलाकों के अलावा साथ लगते राज्य के लोग भी जो कि विभिन्न स्थानों पर अपनी आंखों का उपचार करवा चुके हैं , लेकिन आंखें सही नहीं होने के कारण पटौदी के नागरिक अस्पताल में ही पूरे विश्वास के साथ पहुंचते हैं कि यहां पर उनकी आंखों की बीमारी का पूरी तरह से इलाज हो जाएगा । सिस्टम और व्यवस्था को कोसने को मजबूरलेकिन पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा नियमित अंतराल पर आंखों के लेंस की डिमांड स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने के बावजूद लेंस उपलब्ध नहीं होने से आंखों का ऑपरेशन करवाने वाले अथवा आंखों में लेंस डलवाने वाले बुजुर्ग महिला, पुरुष व अन्य आंखों के रोगी अब मजबूरी में सिस्टम और व्यवस्था को कोसने के लिए मजबूर होने लगे हैं । सही प्रकार से देख सके, सही प्रकार से पढ़ सकें , बिना ठोकर खाए आराम से चल सके, इसी उम्मीद को लेकर बहुत से रोगी प्रतिदिन पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में पहुंच रहे हैं कि शायद आंखों में डालने वाले लेंस आ चुके होंगे। लेकिन जब यह पता लगता है कि अभी लेंस नहीं है तो ऐसे में सिस्टम और व्यवस्था को कोसने के अलावा कोई चारा ही नहीं सामने बचता है । यहां आने वाले आंखों के रोगियों और उनके साथ पहुंचने वाले तीमारदारों की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, गुरुग्राम के सीएमओ डॉ वीरेंद्र यादव, गुरुग्राम के डीसी डॉ यश गर्ग, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ साथ पटौदी के एमएलए तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता से पुरजोर मांग है कि पटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में नेत्र रोगियों जिनके की आंखों के ऑपरेशन लेंस के बिना नहीं हो पा रहे हैं उनकी परेशानी को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द आंखों के लेंस पटौदी के सामान्य नागरिक अस्पताल में उपलब्ध करवाएं जाएं । अपने पैसे से खरीद लेंस लगा रहेअपने पैसे से आंखों के लेंस खरीद कर जरूरतमंद आंखों के रोगियों के ऑपरेशन करके उनकी आंखों में डाले जा रहे हैं , जी हां यह बात सोलह आने सच है । सवाल यह है कि आंखों में डाले जाने वाले लेंस आखिर खरीद कौन रहा है ? आंखों के रोगी या फिर आंखों का ऑपरेशन करने वाले आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा । इस रहस्य से भी पर्दा हटा देते हैं , पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में आंखों के रोगियों के लिए एक प्रकार से देवता बन चुके आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा अपने खर्चे से ही आंखों के लेंस खरीदे जा रहे हैं और बेहद गरीब, मजबूर , बेबस आंखों के रोगियों की आंखों में ऑपरेशन कर लैंस डाले जा रहे हैं । सूत्रों के मुताबिक कथित रूप से करीब दो दर्जन आंखों के रोगियों की आंखों में उनकी जरूरत के मुताबिक आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा अपने खर्चे से आंखों के लेंस खरीद ऑपरेशन कर आंखों में लगा चुके हैं । डॉक्टर सुशांत शर्मा के मुताबिक जब आंखों पर हाथ रखकर गरीब, बेबस आंखों का रोगी अपना दुख दर्द बयान करता है तो वह विचलित हो उठते हैं । इसके बाद में एक ही विकल्प बचता है कि अपने पैसे से ही आंखों के लेंस खरीद कर जरूरतमंद की आंखों में ऑपरेशन कर डाला जाए। ऐसे अनेक आंखों के रोगियों के द्वारा लिखित में हस्ताक्षर कर दिया गया है जिनकी आंखों में आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा अपने पैसे से खरीद कर आंखों के लेंस डाले जा चुके हैं। Post navigation युवा शहीद कैप्टन कपिल कुंडू का 4 फरवरी को शहीदी दिवस समारोह शहीद कपिल का शहादत दिवस……… चंदा मामा के पास जा कर हमको भूल न जाना मामा जी