-कमलेश भारतीय

हिंदी के प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद जहां कहते हैं कि…………….. अरूण यह मधुमय देश हमारा
वहीं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे भ्रष्टाचार की दीमक द्वारा खाये जाने वाला देश बता रहे हैं । बात बिल्कुल सही है । कुछ भी गलत नहीं कहा मन की बात में । कांग्रेस राज में बड़े बड़े घोटाले हुए तो भाजपा को अवसर दिया जनता ने । हजारों करोड़ों रुपये के स्कैम कि सुन कर दिल दहल जाये । कुछ झूठे भी साबित हुए और कुछ नेताओं को सजा भी भुगतनी पड़ी ।
इसके बावजूद पिछले सात वर्षों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कोई गंभीर कोशिश क्यों नहीं की गयी ? सरकारें गिराने में क्या भ्रष्टाचार काम नहीं आया ? नेताओं को खरीदने में क्या कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ ? अपने मन से , आत्मा से पूछियेगा एकांत में या बद्री केदारनाथ की समाधि में ।

दूर क्यों जाना ? दिल्ली में इस जमाने के गांधी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने भी भाजपा की सरकार बनवाने में मदद की , इसमें कोई दो राय नहीं । जंतर मंतर और रामलीला मैदान ने ऐसी रामलीला दिखाई कि कांग्रेस को सही औकात दिखा दी । अरविंद केजरीवाल को राज मिला तो इसी आंदोलन के दम पर । क्या दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया ? आप की सरकार में ही मंत्री रहे मिश्रा जी ने आरोप लगाये कि करोड़ों रुपये लेते अपनी आंखों से देखा । फिर वे भाजपा में चले गये । वहां उनकी आंखें बंद हो गयीं , कुछ दिखाई नहीं देता अब । धृतराष्ट्र की गति को प्राप्त हो गये । आप की टिकटें बिकने के आरोप पंजाब के विधानसभा चुनाव में लग रहे हैं बल्कि हर पार्टी दूसरी पार्टियों पर टिकटें बेचने के आरोप लगा रही है । ये भ्रष्टाचार की नींव ही तो डाली जा रही है । जब टिकटें खरीद कर ये विधायक बन जायेंगे तब ये जनता से इसी धन की वसूली करेंगे कि नहीं ? ऐसे ही नौकरियों में हो रहा है जो लाखों देकर नौकरी पाते हैं , वे भ्रष्टाचार से मुक्त प्रशासन कैसे दे सकते हैं ? अपने हरियाणा में एक अकेला नागर ही तो ऐसा नहीं है जो पहले पैसे देकर लगा और फिर पैसे कमाने लगा ऊपर से । एक संस्था की बदनामी करवाई सो अलग । इतने पैसे इकट्ठे किये कि ब्रीफकेस वाली सरकार कहने लगा विपक्ष । नागर को पकड़ लिया गया और नौकरी से बर्खास्त किया गया । यह उस सरकार में हो रहा है जिसे ईमानदार सरकार का प्रमाणपत्र प्रधानमंत्री जी ने दिया है । गणतंत्र दिवस पर बागवानी अधिकारी सम्मानित होता है और दूसरे दिन ही तीस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया जाता है । अब सरकार इससे सम्मान वापस लेने जा रही है । कितने मामले सामने आ चुके और दावा यह कि पर्ची खर्ची सिस्टम बंद कर दिया तो विपक्ष को बेचैनी हो रही है । कहां खत्म हुआ पर्ची और खर्ची सिस्टम ?

प्रधानमंत्री जी आपकी चिंता बहुत वाजिब और उपाय कहीं दिखाई नहीं दे रहा कोई । कथनी और करनी एक होनी चाहिए कि नहीं ? कहीं है ऐसा सांसद कृष्ण कांत जैसा जो शाम को चुनाव खर्च चैक करता हो और खर्च का पूरा ब्यौरा कार्यकर्त्ताओं से लेता हो ? यह कृष्णकांत ने अनुपम उदाहरण दिया हमें । आज तो नेताओं को खुद नहीं पता कितना पैसा खर्च होता है । हां , हमारे चौ बीरेन्द्र सिंह ने कभी कहा था कि सौ करोड़ में बिकती है राज्यसभा सीट । फिर वे भी राज्यसभा में चले गये । भाजपा सरकार पर शुरू में आरोप लगा कि यह सूट बूट की सरकार है । फिर तो राजीव गांधी तक पर आरोप लगाये भाजपा ने । कभी दंगों का जनक कहा तो कभी बोफोर्स कांड उठाया जिसमें वे बेदाग साबित हुए ।

फिल्मों में भी भ्रष्टाचार के कितने ही दृश्य दिखाये जाते हैं और ये हमारे समाज का आइना होती हैं । मुन्ना भाई लगे रहो में एक वृद्ध ऑफिस में ही सब कुछ उतार कर देने लगता है तब कहीं प्रशासन उसकी व्यथा समझ पाता है । विष्णु प्रभाकर की सबसे प्रसिद्ध कहानी धरती अब भी घूम रही है इस भ्रष्टाचार की गिरी हुई बात सामने रखती है तो मोहन राकेश की कहानी आखिरी सामान भ्रष्टाचार को सामने लाती है ।

खैर , रब्ब खैर करे । हम नमन् करते हैं अपने प्रधानमंत्री का जिन्होंने देश की सबसे बड़ी महामारी पहचानी और उम्मीद करते हैं कि इसका इलाज भी ढूंढेंगे।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा अकादमी ।

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