वास्तव में गुरुकुल संस्कृति और संस्कार का करते हैं बीजारोपण.
आज भी गुरुकुल के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
संस्कृत भाषा को भी रोजगार परक बनाया जाने की है जरूरत

फतह सिंह उजाला

पटौदी । गुरुकुल शिक्षा पद्धति अनादि काल से चली आ रही है और सही मायने में गुरुकुल शिक्षा पद्धति ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा व्यवस्था भी कही जा सकती है । गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के बीच संस्कृति और संस्कार का बीजारोपण किया जाता है । समय के साथ शिक्षा पद्धति-व्यवस्था में भी बदलाव आ रहे हैं और आज प्रतियोगी दौर में अंग्रेजी शिक्षा का महत्व भी अपना एक अलग स्थान रखता है। लेकिन भारतीय संस्कृति में अनादि काल से गुरुकुल शिक्षा पद्धति का जो महत्व रहा है, वह हमेशा ही बना रहेगा । आज भी देश के विभिन्न शहरो में अच्छे, बड़े नामी गुरूकुल मौजूद हैं। यह बात पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार ने शुक्रवार को भगवती आर्ष कन्या गुरुकुल गांव जसात की संस्थापिका स्वर्गीय भगवती देवी आर्ष की 17वीं पुण्यतिथि के मौके पर स्मृति दिवस के रूप में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही ।

यहां गुरुकुल परिसर में पहुंचने पर मुख्य अतिथि एसडीएम प्रदीप कुमार का यहां गुरुकुल में अध्यनरत छात्राओं के द्वारा वैदिक मंत्र उच्चारण से स्वागत और अभिनंदन किया गया। इस मौके पर गुरुकुल के संचालक डॉ रविंद्र आर्य, संचालिका श्रीमती सिमलेश देवी, दमयंती देवी, दीपक कुमार, सतपाल सिंह, रमेश चौहान, भरत सिंह पूर्व सरपंच, सत्यनारायण मिर्जापुर, राजेंद्र सिंह नंबरदार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे । गुरुकुल परिसर में पहुंचने पर मुख्य अतिथि पटौदी एसडीएम प्रदीप कुमार को भगवती आर्ष कन्या गुरुकुल जसात में दी जा रही शिक्षा और छात्राओं के शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए किए जा रहे कार्यों के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई । इससे पहले मुख्य अतिथि एसडीएम प्रदीप कुमार ने गुरुकुल की संस्थापिका स्वर्गीय श्रीमती भगवती देवी के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी ।

23 जनवरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से लेकर 30 जनवरी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में ही जसात गुरुकुल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस मौके पर सबसे अधिक मुख्य आकर्षण का केंद्र छात्राओं के द्वारा मलखंब का प्रदर्शन रहा । मलखंब का प्रदर्शन मार्गदर्शिका छात्रा मोनिका के नेतृत्व में छात्रा मानसी, दीक्षा, निशा, वंशिका, तनु ,सपना ,चंचल अन्य के द्वारा किया गया। मलखंब के ऊपर छात्राओं के द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के हैरतअंगेज प्रदर्शन छात्राओं के शारीरिक और बौद्धिक ताकत का परिचायक रहे । इसी मौके पर छात्राओं के द्वारा संस्था परिसर में भारतीय नक्शे की शानदार रंगोली भी तैयार की गई । गुरुकुल में विभिन्न छात्राओं के द्वारा देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम के साथ साथ यहां दी जा रही शिक्षा से संबंधित वैदिक शिक्षा के मंत्र उच्चारण इत्यादि का भी प्रदर्शन किया गया ।

इस मौके पर गुरुकुल की छात्राओं का प्रोत्साहित करते हुए मुख्य अतिथि पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार ने कहा कि हरियाणा सरकार महिला शिक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इसका सबसे अधिक सशक्त उदाहरण है । विभिन्न कॉलेजों व शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाली छात्राओं को निशुल्क परिवहन की सुविधा भी सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा संस्कृत भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा और वैज्ञानिक भाषा है । संस्कृत भाषा के महत्व को और इसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता । संस्कृत भाषा का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार गुरुकुल में दी जा रही शिक्षा के माध्यम से ही संभव है । उन्होंने कहा की संस्कृत भाषा को आज के प्रतियोगी दौर में रोजगार परक बनाया जाने की जरूरत महसूस की जा रही है । इस मौके पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली गुरुकुल की छात्राओं को मुख्य अतिथि के द्वारा पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया।

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