-अमित शाह के दिल्ली में अभिमन्यु जैसे जाटों से मिलने के मायने

-अमित नेहरा

26 जनवरी 2022 को उत्तर प्रदेश चुनाव से ठीक पहले 250 से अधिक जाटों (ज्यादातर को नेता नहीं कहूँगा) के साथ दिल्ली में मुलाकात के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने जाट समुदाय के नेताओं से अपील की है कि वे 2014, 2017 और 2019 की तरह एक बार फिर बीजेपी की झोली भर दें। जाट समुदाय को दिए गए सम्मान और 2017 से पहले की कानून-व्यवस्था की याद दिलाते हुए बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने 2014, 2017 और 2019 में बीजेपी की सरकार बनवाने के लिए समुदाय को क्रेडिट दिया।

खबरों के अनुसार, अमित शाह ने जाट समुदाय के साथ 650 साल पुराना रिश्ता बताते हुए कहा कि आपने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, हम भी लड़ रहे हैं। जाट भी किसानों के लिए सोचते हैं और बीजेपी भी। जाट देश की सुरक्षा के लिए सोचते हैं और बीजेपी भी।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बैठक में अभिमन्यु नामक एक ऐसा शख्स भी मौजूद था जिसकी शिकायत के चलते हरियाणा के जाट समाज के सैंकड़ों व्यक्ति जेल की हवा खा चुके हैं।

अब आती है एक पूरे विशाल समाज को दोषी ठहराने की ऐतिहासिक पंचायत की घटना :-

अभिमन्यु 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में नारनौंद विधानसभा से बुरी तरह से हार चुका था। जाट आरक्षण आंदोलन (फरवरी 2016) के दौरान कैबिनेट मंत्री अभिमन्यु के घर में आगजनी की गई थी। इसके प्रतिशोध में सत्ता के मद के चलते इसने सैंकड़ों व्यक्तियों को जेल में बन्द करवा दिया था। सत्ता ने आँखों पर इतनी चर्बी चढ़ा रखी थी कि इस प्रकरण पर किसी से सीधे मुँह बात करने को तैयार नहीं था। पर सत्ता आनी जानी होती है, 2019 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गया। भाजपा ने भी इससे किनारा कर लिया।

समाज में हो रही भयंकर थू-थू के खौफ से 16 जनवरी 2020 को जींद की जाट धर्मशाला में जाट समाज के कुछ प्लांटेड लोगों की एक महापंचायत हुई। प्लांटेड इसलिए कि चर्चा है कि यह महापंचायत अभिमन्यु के इशारे पर आयोजित की गई थी। इस पंचायत में इसका भाई वीरसेन भी मौजूद था। अतः इस चर्चा को बल मिलता है।

इस महापंचायत की अध्यक्षता सतरोल खाप के प्रधान रामनिवास लोहान ने की। महापंचायत के दौरान घर में आगजनी के मामले में कैप्टन अभिमन्यु की ओर से दायर किए गए केस को लेकर फैसला लिया गया। इसको लेकर महापंचायत के दौरान एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने बंद कमरे में मीटिंग कर फैसला लिया। इस कमेटी ने अभिमन्यु के घर पर हुई आगजनी के लिए समस्त जाट समाज को दोषी माना।

महापंचायत में कहा गया कि अगर जाट समाज चाहता तो घटना को रोक सकता था।

इस पंचायत के पंचायती यहीं नहीं रुके उन्होंने एक गजब का ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पूरे जाट समाज पर 11 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया! तुर्रा यह कि अभिमन्यु के बड़े भाई वीरसेन ने पंचायत में आकर यह फैसला स्वीकार भी कर लिया!
मतलब साफ था कि जाट समाज के हर व्यक्ति को इस पंचायत ने दोषी ठहरा दिया चाहे इस आंदोलन में उसकी कोई भी भूमिका न थी। यह गजब का फैसला था, इसकी कोई मिसाल देखने को नहीं मिलती। इतिहास में आज तक शायद ही किसी पंचायत में किसी पूरी जाति को अपराधी करार दिया गया हो!

पूरे जाट समाज को अपराधी घोषित करवाने वाले लोग 26 जनवरी 2022 को आयोजित अमित शाह वाली पंचायत में शामिल थे।

कमाल की बात यह है कि भाजपा ऐसे व्यक्तियों के भरोसे उस जाट समाज के लोगों के वोट लेने चाह रही है जिन्होंने सभी जाटों को अपराधी घोषित करवा रखा है!

पूरे जाट समाज को इस तरह का बदनुमा दाग देने वाले ही अगर भाजपा को उत्तरप्रदेश के जाटों में जिताने का बीड़ा उठाये हुए हैं तो पार्टी का भगवान ही मालिक है!

लगता है या तो अमित शाह को जाट समाज पर अभिमन्यु की पकड़ के सही इनपुट नहीं हैं। अगर उनके ये इनपुट सही हैं तो उन्हें इनपुट देने वालों पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। उन्हें ये भी देखना होगा कि 26 जनवरी 2022 को इस जाट मीटिंग में कितने ‘अभिमन्यु’ थे ?

चलते-चलते
अमित शाह की नीतियों की कोई कितनी भी आलोचना क्यों न करे, अनेक बातों पर मैं भी उनसे असहमति रखता हूँ, पर उनमें एक खूबी है कि वे बेहद दृढ़निश्चयी हैं। उनकी ज्यादातर बातों में वजन भी होता है। इस समय अगर भाजपा के बड़े नेताओं में कोई सबसे ज्यादा विश्वसनीय है तो वे अमित शाह ही हैं। वैसे अगर वे जाति-पाती और धर्म से ऊपर उठकर स्वच्छ राजनीति करें तो उनकी कीर्ति ज्यादा स्थाई रहेगी।

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