-कमलेश भारतीय

हरियाणवी सिनेमा क्या विवादों से फले फूलेगा ? जैसा कि ‘सेफ हाउस’ और ‘दहिया वर्सेज मलिक’ फिल्मों के विवाद सामने आ रहे हैं ? हरियाणवी फिल्मों को विवाद में लेकर क्या फिल्म निर्मात्ता बिन हींग फिटकरी इनका प्रचार करने की नीति पर चल रहे हैं ? यदि यही नीति है तो यह कोई बहुत अनुपम नीति नहीं कही या मानी जा सकती ।

सबसे पहली सुपरहिट हरियाणवी फिल्म ‘चंद्रावल’ बिना किसी विवाद के इतनी हिट हुई थी कि हरियाणा के बाहर उत्तर प्रदेश में भी खूब पसंद की गयी । ऐसी सफलता कोई दूसरी हरियाणवी फिल्म नहीं दोहरा पाई । हालांकि दो हरियाणवी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले । जैसे -पगड़ी द ऑनर और सतरंगी । इन फिल्मों को राष्ट्रीय सम्मान मिले और हरियाणवी सिनेमा को गति मिली । अभी राजीव भाटिया मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ पर आधारित ‘बूमरैंग’ शाॅर्ट फिल्म हिसार में ही बना कर मुम्बई लौटे हैं । यशपाल शर्मा की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘दादा लखमी’ की रिलीज का इंतज़ार है । इसी प्रकार हिसार में ही चिराग भसीन ने ‘घूंघट’ हरियाणवी फिल्म बनाई है । ये फिल्में रिलीज की बाट जोह रही हैं लेकिन जिस तरह से ‘सेफ हाउस’ व ‘दहिया वर्सेज मलिक’ फिल्मों पर विवाद छिड़ गये हैं ये कोई अच्छे उदाहरण नहीं हैं । राजेश अम्बर लाल के निर्देशन में बनी ‘छोरियां छोरों से कम नहीं’ फिल्म को भी पुरस्कार मिला और यह भी एक प्रेरणाप्रद फिल्म रही ।

मलिक खाप ने फिल्म निर्मात्ता और निर्देशक को नोटिस दे दिया है क्योंकि यह फिल्म 28 जनवरी को रिलीज होने जा रही है । पहली बात कि इसका नाम बदला जाये , यह मांग की है दादा बलजीत सिंह मलिक ने । उनका कहना है कि अभी तक तो दहिया और मलिक में बहुत अच्छे संबंध हैं लेकिन फिल्म के प्रदर्शन के बाद ये खराब हो सकते हैं । दादा मलिक ने यह भी माना है कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी । यदि इसका नाम न बदला गया तो इसका विरोध होगा । दादा ने माफी मांगने और नाम बदलने की बात कही है । कानूनी नोटिस भी दिया गया है । ‘सेफ हाउस’ पर भी कानूनी नोटिस दिया गया था ।निर्मात्ता और निर्देशक को जल्द इस विवाद को निपटा कर फिल्म के प्रदर्शन की राह आसान बनानी होगी जिससे अन्य हरियाणवी फिल्में भी विवाद में न आ जायें ।
पूर्व उपाध्यक्ष , हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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