आखिर पुलिस का साइबर सेल हथियारों का प्रदर्शन करने वाले युवकों पर शिकंजा करने में हो रहा है फेल 
ग्लैमर और दबदबे कि चाह ने युवकों को बना दिया अपराधी
गैंगस्टर बनने की चाह में अपनी जान गवा रहे नाबालिक और नौजवान युवक।

अशोक कुमार कौशिक

 यह उपरोक्त लाइने पिछले बृहस्पतिवार नारनौल में घटित घटना व उससे पहले जिले में घटित घटनाओं को लेकर एक आम शांतिप्रिय नागरिक की पीड़ा है। इन दिनों नौजवान और नाबालिग बच्चों में गैंगस्टर और भाई बनने का बड़ा शौक परवान चढ़ रहा है। जिस शौक को भुनाने के लिए पहले से स्थापित बड़े गैंगस्टर, शराब माफिया, भू माफिया तथा व्हीकल फाइनेंसर उन्हें बढ़ावा देकर अपराध की ओर धकेल कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। जिसका उदाहरण है शहर में पिछले एक-दो सालों में हुए युवाओं में हुआ आपसी गैंगवार जिसमें कई बच्चों ने अपनी जान गवा दी। कई घरों का चिराग तक बुझ गए और अनेक अपराध के दलदल में घंस गए।

आज हम इस खबर का विश्लेषण आप सबके बीच इसलिए कर रहे हैं कि आखिर यह सब हो क्यों रहा है?5 _ 6 दिन पहले शहर में हुए तुषार हत्याकांड में हमने सारे मामले की तह में जाकर समझने का प्रयास किया इस घटना के दो पहलू सामने आए। पहला पहलू यह है कि सोशल मीडिया पर मृतक द्वारा किसी जाति विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का है। जिसे मना करने पर बाद भी वह बार-बार दोहराता रहा।

दूसरा पहलू यह सामने आया कि शहर के अंदर इन दिनों युवा और किशोर पुराने कुछ नामचीन अपराधियों की शरण में आकर के शहर के अंदर अपना वर्चस्व कायम चाह में आकर्षित हो रहे हैं। दबदबा कायम रखने के लिए फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम व सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो व वीडियो का स्टेटस लगाते हैं। सोशल मीडिया पर एक दूसरे को खुली चुनौती देते हैं। इनके द्वारा प्रयुक्त की गई शब्दावली इनके इरादों को  स्पष्ट जाहिर करती है। इतना ही नहीं शहरो और गांवो के अंदर खुले रुप से हथियार डंडे लेकर बीच बाजार में हवाबाजी करते हुए घूमते हैं। नारनौल, मंडी अटेली सहित कई गांवो की घटनाएं इसका जीता जागता उदाहरण है।

बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी, ग्लैमर, शराब और शबाब के साथ अपराधियों की शान शौकत भरी जिंदगी से प्रभावित हो उन्हें अपना आदर्श मानकर की आज का किशोर और युवा अपराध के दलदल में घंसता जा रहा है। यह अकेले नारनौल शहर की समस्या नहीं जिला महेंद्रगढ़ के दूसरे शहर और अनेक गांव भी इस पीड़ा से ग्रसित है।  जिस प्रकार आज के दिन गाने बनाए जा रहे हैं जिसमें युवाओं को अपराध की तरफ आकर्षित किया जा रहा है उनका भी एक अहम योगदान है क्योंकि इन गानों के साथ स्टेटस लगाना और उन गानों की तरह अपने आपको ढालना आज के दिन युवाओं की चाह बनी है।

अपने आप को दादा, डॉन, भाई या गैंगस्टर कहने वाले अधिकांश युवाओं बात करें तो अनेको की आर्थिक स्थिति कमजोर है और कुछ युवाओं के घर में राशन के लाले पड़े  है । फिर सवाल यह उठता है कि उनके पास में अवैध हथियार और बेशकीमती गाड़ियां कहां से आ जाती है।इस चीज की जांच करने का कार्य पुलिस का है क्योंकि पुलिस को यह ध्यान रखना चाहिए कि जो लोग अपराधी प्रवृत्ति के हैं वह कम से कम नए बच्चों को खराब ना करें। 

इस समस्या के कुछ हद तक जिम्मेवार नौजवानों के परिजन भी हैं जो अपने बच्चों की संगति और दिनचर्या पर ध्यान नहीं देते। शिकायतें मिलने पर भी उसको अनदेखा कर देते हैं और यही बातें धीरे-धीरे गंभीर रूप धारण कर लेती है। दौड़-धूप भरी जिंदगी और परिवार के भरण-पोषण के साथ-साथ समाज में स्टेटस मेंटेन करके रखने की चाह रखने वाले परिजन अपने बच्चों की दिनचर्या पर ध्यान और समय नहीं दे पाते। मां-बाप ध्यान दें अपने संतानों की तरफ, उनकी सोसाइटी की तरफ और साथ ही उनकी गतिविधियों पर गहनता से नजर रखे 

एकल और बिखरते परिवार के साथ समाज में एक दूसरे के प्रति बुरा न बनने की प्रवृत्ति भी समस्या का कारण है। यह भी सच है कि आज शांति प्रिय और इमानदार इंसान को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वही अपराधी और गुटबाजी के माहिर लोगों का बोलबाला है। यह तो कुछ समाज के वो पहलू है जो बढ़ते अपराध का कारण है। फिर भी परिजनों को भी अपने बच्चों की तरफ पूर्ण पर ध्यान रखना चाहिए कि वह घर से बाहर कब जा रहा है, कब आ रहा है और किस संगति के अंदर वहां बैठा है यह उनका ही दायित्व बनता है।

अब आते हैं दूसरे पुलिस प्रशासन पहलू पर । सरकार ने अपराधियों पर रोकथाम लगाने के लिए पुलिस विभाग में आईटी सेल का गठन किया हुआ है जो अपराधियों को सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखता है। सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो डाल देते है। जिला आईटी सेल समय से पहले ट्रेस क्यों नहीं कर पाता? जिला महेंद्रगढ़ में पुलिस का आईटी सेल युवाओं में अपराध के प्रति बढ़ते क्रेज को पकड़ने में असफल रहा है। 

मीडिया के बहुत से साथी भी हमारे वर्तमान पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन जी और नारनौल शहर के थाना प्रभारी युद्धवीर को लेकर बड़े-बड़े कसीदे पढ़ते हैं। वे यह कहते नहीं अघाते कि उनके कार्यकाल में अपराधों पर अंकुश लगा है। हम उनकी ईमानदारी या कर्तव्य निष्ठा पर प्रश्न चिह्न नहीं लगा रहे। पर जिले में बढ़ते अपराध उनकी साख पर प्रश्नचिन्ह तो अवश्य लगाते हैं। नारनौल में घटित गुरुवार की घटना ने उनको लेकर बनाए गए मिथक को तोड़ा है। पुलिस के सक्षम अधिकारी होने के कारण उनसे सवाल तो बनता है। उनके कार्यकाल में युवाओं में आपसी रंजिश, मारपीट गिरोहबाज़ी की घटनाएं आए दिन देखने को मिल रही है। पुलिस और कानून का कोई खौफ युवाओं में नजर नहीं आता। वर्तमान पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल में ही जिले भर में दर्जनों यूवको के बीच आपसी गैंगवार की घटनाएं घट चुकी हैं। 

पिछले बृहस्पतिवार को घटित घटना भी उन पिछली घटनाओं की पुनरावृति सी है। घटना की मारपीट के संदर्भ के वीडियो देखने के बाद उसकी निर्दयता और विभित्सा को देखकर रोम रोम सिहर जाता है। शुक्रवार को तुषार की मौत हुई। घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं उसके बावजूद पुलिस ने इसमें शामिल तीन युवकों को ही अभी तक पकड़ा है?

जब बात कानून और पुलिस की शाख की हो तब पुलिस को सख्ती अपनानी होगी । जितनी भी आपस में लड़ाइयां (गिरोहबाजी) चल रही है। इन सबके तानेबाने को तोड़ना होगा। इस तरह के युवाओं को ताड़बतोड़ बुला कर सख्ती करनी चाहिए।  कठोरता बरतते हुए कानून और पुलिस का खौफ पैदा करना चाहिए । भविष्य में अगर यह लोग किसी प्रकार की हरकत करते मिल गए तो इन लोगों को हिस्ट्रीशीटर बना दिया जाए और इनकी सुबह से शाम तक थाने के अंदर हाजिरी लगवाई जाए ताकि भविष्य के अंदर क्राइम होने से बच सकें।

जितनी जिम्मेदारी पुलिस की बनती है उतनी ही इन नौजवानों के परिवार वालों की भी बनती है कि वह अपने बच्चों पर लगाम लगाये क्योंकि पुलिस कोई भी घटना या अपराध होने के बाद उसको सजा तो जरूर दिला सकती है लेकिन सुधारने का काम परिवार और समाज का ही होता है।

त्वरित टिप्पणी ✍️ वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता विजय गोस्वामी

शहर के लिए और समाज के लिए य़ह बहुत बढ़ी घटना है और अगर यहि हालत रही तो वो दिन दूर नहीं आम लोगों का जीना मुस्किल हो जाएगा लूट छीना झपटी होगी पुलिस को ईन अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करे और मैं तो उन माँ बाप को कहना चाहता हूँ कि समय रहते अपने बच्चो को सम्भाल ले वर्ना ऐसे ही बच्चों की आपसी लड़ाई में जान जाती रहेगी! तुषार हत्याकांड बहुत दुःखद घटना है।

मैं असीम भाई साहब जी आप से निवेदन है कि इस हत्याकांड के अपराधियों को जो तुषार को मारने में शामिल हैं एसपी साहब जी से वार्ता कर के जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करके जेल में बंद किया जाए आपने सही कहा है कि आम आदमी को चाहिए कि ऐसी घटनाओं को रोकने मे मदद करे!।

वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब के प्रधान असीम राव की कलम से?

जिम्मेदारी आम आदमी की भी बनती हैं, जिस समय आजाद चौक पर तुषार को पीटा गया और हाथों में लाठियां लिए हुए युवकों उठाकर ले जाया गया तो सैकड़ो लोगो और दुकानदारों ने देखा। अगर कोई भी 112 पर कॉल कर देता तो शायद यह घटना नही होती। लेकिन उन्होंने फोन इसलिए नही किया कि तुषार उनका अपना थोड़े ना था, होने दो कुछ उन्हें क्या फर्क पड़ता है।

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