स्वर्गआश्रम में एलपीजी आधारित शवदाह गृह का किया उद्घाटन.
पटौदी पालिका के द्वारा 67 लाख से बनवाया गया शवदाह गृह

फतह सिंह उजाला
पटौदी। 
स्वास्थ्य और शुद्ध पर्यावरण के लिए आधुनिक तकनीक समय की जरूरत है । पर्यावरण शुद्ध नहीं होने की वजह से इसका सबसे अधिक प्रभाव सभी जीवों के स्वास्थ्य पर ही पड़ता है । पर्यावरण सहित अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध रखना मानवीय दृष्टिकोण से बहुत जरूरी है । यह बात पटौदी के एमएलए तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने पटौदी स्वर्ग आश्रम में एलपीजी आधारित आधुनिक शवदाह गृह का उद्घाटन करने के मौके पर कही । इस शवदाह गृह का निर्माण पटौदी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा 67 लाख रुपए की लागत से करवाया गया है। इस मौके पर पटौदी नगर पालिका चेयरमैन चंद्रभान सहगल, वाइस चेयरमैन जर्मन सैनी, नगर पालिका सचिव राजेश मेहता, पालिका नरेंद्र तनेजा, गोपाल वाधवा, पटोदी नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन राजकुमार मुदगिल, पार्षद राधेश्याम मक्कड़ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे ।

इस मौके पर एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए संबंधित परिवार और परिजनों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्हीं सब परेशानियों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक पर आधारित शवदाह गृह की जरूरत महसूस की गई और इनका विभिन्न स्थानों पर निर्माण भी किया गया । उन्होंने कहा कि अभी भी कोरोना पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है । कोरोना संक्रमण के मामले और इसका नया वेरिएंट ओमीक्रोन सभी के लिए एक प्रकार से चिंता और चुनौती बना हुआ है ।

पटौदी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा बनवाए गए आधुनिक तकनीक पर आधारित शवदाह गृह में किस प्रकार से मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा इसका भी मौके पर डेमो किया गया। इसके साथ ही जो कुछ अन्य कमियां महसूस की गई उन्हें दूर करने के भी एम एल ए जरावता ने निर्देश सहित सुझाव भी दिए । यहां शवदाह गृह में मृतक की अंतिम संस्कार प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले धुएं के लिए एक 100 फुट ऊंची चिमनी विशेष रूप से तैयार की गई है । बताया गया है कि एक मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाने में औसतन एक सिलेंडर एलपीजी की खपत होगी । वही पारंपरिक तरीके से किए जाने वाले मृतक के अंतिम संस्कार में लगने वाले समय में भी कमी आएगी । इसके साथ ही लकड़ियां इत्यादि जलने से होने वाले प्रदूषण से बचा जा सकेगा । इस प्रकार के शवदाह गृह का उपयोग विभिन्न गंभीर रोगों से पीड़ित मृतकों के अंतिम संस्कार में सबसे अधिक उपयोगी साबित होगा।
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